बच्चों के अभिभावक ही उन्हें धकेल रहे हैं अपसंस्कृति की तरफ़, प्रहलाद प्रसाद उर्फ पारो शैवलिनी की दो टूक।

अखण्ड भारत दर्पण (ABD) न्यूज पंजाब/पश्चिम बंगाल : प्रहलाद प्रसाद उर्फ पारो शैवलिनी की दो टूक,भारतीय संस्कृति पर हररोज हो रहे कुठाराघात पर दो टूक शब्दों में बेबाक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय पत्रकार सुरक्षा संघ के बंगाल प्रदेश प्रभारी प्रहलाद प्रसाद उर्फ पारो शैवलिनी ने बच्चों के अभिभावकों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। प्रसाद ने कहा कि ब्लाग से ब्लागर को अच्छी कमाई होती है।ऐसा सुना जाता है। यह सच भी हो सकता है। परन्तु,अहम सवाल यह है कि अच्छी कमाई के लिए बच्चों को खासकर कम उम्र की बच्चियों को अपसंस्कृति की तरफ़ धकेलना कहां तक उचित है?
समाज में बच्चियां पराया धन मानी जाती है। एक दिन शादी के बंधन में बंध कर उसे ससुराल जाना होता है। जहां उसे एक साथ अपना मायके और ससुराल दोनों की इज्जत को अपने आंचल तले छिपा कर रखना होता है। यही सामाजिक रीति है और हिन्दू परम्परा भी। प्रसाद ने आगे कहा कि ऐसे अभिभावकों का सामाजिक दायित्व भी है कि वो अपने बच्चों को हिन्दू परम्परा और संस्कृति के साथ जीने की कला सिखायें ना कि उन्हें अपसंस्कृति की तरफ़ धकेले।

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