जिला कलेक्टर को छोटे उधमियों ने सौंपा ज्ञापन, अवैध बड़े उधोगों के खिलाफ की कार्यवाही करने की मांग

बाड़मेर:ABD NEWS राजस्थान राज्य ब्यूरो (असरफ मारोठी) उच्च न्यायालय जोधपुर के आदेश की आड़ में  राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल बालोतरा, नगर परिषद, राजस्व विभाग एवं विधुत विभाग द्वारा छोटे उधमियों पर की कार्यवाही, अवैध बड़े उधोगों के खिलाफ भी कार्यवाही करने की दरकार छोटे उधमियों ने जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, नगरपरिषद द्वारा की कार्यवाही को बताया खानापूर्ति।
ज्ञापन में  बालोतरा सीईटीपी ट्रस्ट द्वारा संचालित एचआरटीसी से बगैर ट्रीट किया जहरिला रसायन युक्त पानी लूनी नदी में प्रवाहित करने का छोटे उधमियों ने लगाया आरोप, बालोतरा नगरपरिषद टीम द्वारा नाक के नीचे संचालित अवैध इकाईयों के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर धरातल पर कुछ भी कार्यवाही नजर नहीं आ रही न्यायपालिका के आदेशों की अनुपालना के नाम पर छोटे उधमियों के खिलाफ कार्यवाही कर इतिश्री की गई वहीं अवैधानिक रूप से संचालित अवैध बड़ी बड़ी इकाईयों के खिलाफ कार्यवाही करने में नगरपरिषद प्रशासन हिचकिचाहट क्यों कर रहा है? 
इस मामले को जिला प्रशासन अपने संज्ञान में लेकर जांच करें कि बालोतरा नगरपरिषद की नाक के नीचे एवं शहरी क्षेत्र में खुलेआम संचालित हो रहे दो दर्जन से अधिक संचालित भारी उधोग को कौन दे रहा संरक्षण?  
प्रदूषण फेलाने वाले इन बड़े उधोगों के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर प्रशासन मौन क्यों जबकि छोटे छोटे टाई डाई मजदूरों को बार-बार कार्यवाही के नाम पर कार्यस्थल से बाहर निकाल कर सीज कर दिया गया? जबकि सही मायने में देखा जाए तो बालोतरा सीईटीपी ट्रस्ट पर खुलेआम एचआरटी की आड़ में रसायनिक जहर लूनी नदी में उड़ेलने के आरोप लगाया जा रहा है, प्रदूषण नियंत्रण मंडल की इस मामले में भूमिक संदिग्ध बनीं हुईं हैं। प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं स्थानीय प्रशासन का दायित्व बनता है परन्तु इस मामले प्रशासन की अनदेखी पर उठ रहे सवाल, न्यायालय के आदेशों की पालना के नाम पर नगरपरिषद द्वारा रोजी-रोटी का जुगाड करने वालों के खिलाफ तो कार्यवाही कर रही है तो दूसरी और इसके विपरित चल रही बड़ी बड़ी इकाईयों को कौन दे रहा संरक्षण, वही सीईटीपी ट्रस्ट द्वारा एचआरटीएस से प्रदूषित रसायनिक जहरिला रसायन युक्त पानी लूनी नदी में बहाया जाने के आरोपों के बावजूद प्रशासन की इस मामले में अनदेखी पर उठे सवाल, लूनी नदी में प्रवाहित प्रदूषित पानी को लेकर नगरपरिषद प्रशासन की अनदेखी के पीछे छुपा कोई रहस्य और कारण क्या है? न्यायालय के आदेशों की पालना के नाम पर स्थानीय नगरपरिषद द्वारा  लूनी नदी में प्रवाहित किया जा रहा जहरिला रसायन को रोकना अतिआवश्यक क्यों नहीं समझ रहा, जबकि लूनी नदी में प्रवाहित रसायन युक्त जहर भूमिगत जलश्रोत को भी दूषित और प्रभावित कर रहा है। बालोतरा शहर, जसोल, बिठुजा सहित खारोडिया बेरा, चतुर्थ फेस एवं शहरी क्षेत्र में जगह-जगह बड़े बड़े मशीन जीगर लगाकर संचलित हो रही बड़ी बड़ी ईकाईयों के विरुद्ध नगरपरिषद प्रशासन ने ठोस एवं प्रभावी कार्यवाही करना उचित क्यों नहीं समझा जबकि यह अवैध ईकाईयां ही रसायनिक जहर उगल रही है । अवैध बड़ी इकाईयों को कौन दे रहा संरक्षण, न्यायालय के आदेशों की पालना सुनिश्चित करना भी अतिआवश्यक है परन्तु इसमें भी ईमानदारी पूर्वक कार्यवाही को अमल में लाया जाना सुनिश्चित करना होगा नगरपरिषद की बगैर किसी भेदभाव के कार्यवाही पर कोई भी सवाल नहीं उठता जबकि कार्यवाही के नाम पर बड़ी अवैध इकाईयों को संरक्षण और हस्त निर्मित कार्यों पर कार्रवाई कर इतिश्री करना कहा तक उचित होगा?  जिला प्रशासन एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल को ईमानदारी से न्यायालय के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करनी चाहिए, गरीब परिवारों को बेरोजगार करने की जगह बालोतरा सीईटीपी ट्रस्ट के कार्यकलापों की सुनिश्चित जांच कर प्रदुषण नियंत्रण मंडल अधिकारियों एवं सीईटीपी ट्रस्ट के पूंजीपत्तियो के बीच कथित गठबंधन का जनहित में पर्दाफाश करना भी जरूरी है। लूनी नदी में अवैध तरीके से एचआरटीएस का रासायनिक युक्त जहरिला पानी किसके संरक्षण में छोड़ा जा रहा है इस रहस्य का पर्दाफाश जनहित में किया जाना आवश्यक है। बालोतरा क्षेत्र की जनता के लिए मरू गंगा जीवनदायिनी के रूप में पहचान बनाने वाली लूनी नदी में सीईटीपी ट्रस्ट द्वारा खुलेआम एचआरटी में एकत्रित बगैर ट्रीट किया जहरिला रसायन किसके संरक्षण में बहाया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों को सीईटीपी के क्रियाकलापों की जानकारी होने के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण मंडल की संदिग्ध चुप्पी एवं अनदेखी भी संदिग्ध और संदेहास्पद बनी हुई है। जबकि स्थानीय प्रशासन को अंधेरे में रखकर न्यायालय के आदेशों की आड़ में छोटे छोटे हस्त निर्मित कार्य करने वाले मजदूर लोगों को नगरपरिषद द्वारा बेदखल करने का कार्य भी बगैर उनको कोई चेतावनी या नोटिस दिए बगैर मजदूरों को डरा धमकाकर कार्यस्थल से बाहर खदेड़ ताला लगा कर सीज किया जा रहा है। जबकि मज़े की बात तो यह है कि लूनी नदी में जहरिला रसायन उड़ेल कर प्रदूषण फैला रहे बड़े बड़े अवैध उधोगों को संचालित करने वाले धन्ना सेठों के खिलाफ अधिकारियों ने कार्यवाही करना उचित नहीं समझ मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे लोगों को निशाना बनाकर उन्हें बेरोजगार बनाया जा रहा है। जबकि बालोतरा सीईटीपी ट्रस्ट द्वारा खुलेआम एचआरटी की आड़ में लूनी नदी में खुलेआम रसायनिक जहरिला पानी बहाया जा रहा है। न्यायालय के आदेशों का मखौल उड़ाया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन की सीईटीपी ट्रस्ट द्वारा लूनी नदी में छोड़ा जा रहा जहरिला रसायन की अनदेखी क्यों कर रहा है? जबकि RPCB जयपुर के पत्र क्रमांक  2850 दिनांक 30-01-2024  में इसका उल्लेख किया गया है  RPCB जयपुर द्वारा 18 M.L.D  Z.L.D (zero liquid discharge)प्लांट की CTO (concent to operate) NOC प्रदान की गई।

राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल बालोतरा द्वारा बालोतरा CETP ट्रस्ट की मिलीभगत के चलते HRTS में छोड़ा जा रहा रसायनिक जहर को वहां बने अवैध बडे-बडे डैम से जानबूझकर लूनी नदी में पम्पिंग द्वारा  छोड़ा जा रहा है। न्यायालय के आदेशों की पालना सुनिश्चित करने के नाम पर बड़े बड़े उधोगों द्वारा जहर उगलने का दंड इन मेहनत मजदूरी कर रहे टाई डाई मजदूरों के खिलाफ बार बार कार्यवाही करना कहां तक उचित होगा? जबकि बड़े उधोगों द्वारा ही क्षेत्र में सबसे ज्यादा रसायनिक जहर उगला जा रहा है। बालोतरा क्षेत्र में सीईटीपी ट्रस्ट पर बार-बार आरोप लगाया जाता है कि एचआरटी की आड़ में ट्रस्ट द्वारा लूनी नदी में बहाया जा रहा रसायन युक्त जहर, खारोडिया बेरा, लूनी नदी तट पर संचालित अवैध धुलाई इकाईयों का ज़हरीला रसायन युक्त पानी लूनी नदी में बहाया जा रहा है। इनके खिलाफ प्रशासन करेगा कार्यवाही ? सपरिवार टाई डाई कार्य कर मेहनत से जीवन यापन करने वाले मजदूर लोगों को बेरोजगार करने की बजाय पहले प्रदूषण फैला रही बड़ी अवैध इकाईयों के खिलाफ कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया इन अवैध इकाईयों के खिलाफ क्यों नहीं हो रही कार्यवाही, बालोतरा नगरपरिषद प्रशासन न्यायालय के आदेशों की पालना करवाने में भी कर रहा पक्षपात,  खारोडिया बेरा, बिठुजा, सहित नगरपरिषद की नाक के नीचे चल रही रसूखदारों की इकाईयों के खिलाफ भी कार्यवाही के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं किया गया इन बड़े उधोगों के खिलाफ कार्यवाही कर प्रदूषण को भी कुछ हद तक नियंत्रण में किया जा सकता है। क्षेत्र में प्रदूषण फैला रही बड़ी बड़ी ईकाईयों के खिलाफ नगरपरिषद को बगैर किसी भेदभाव के ईमानदारी पूर्वक कार्यवाही को सुनिश्चित करना होगा, वहीं सीईटीपी ट्रस्ट द्वारा संचालित एचआरटीसी में भरा रसायनिक प्रदूषित पानी लूनी नदी में बहाने के मामले में भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं जिला प्रशासन को अनदेखी नहीं कर न्यायालय के आदेशों की पालना सुनिश्चित कर कार्यवाही को मूर्त रूप दिया जाना चाहिए जबकि इस इस संबंध में प्रशासन ने मोन धारण कर रखा है।

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