वैश्विक रूप से नशे की लत से प्रभावित लोगों की संख्या चिंताजनक
दुनिया में नशे की लत से जूझ रहे 29.20 करोड़ लोग, अस्पतालों में इलाज 11 में सिर्फ एक
भारत में भी नशे की स्थिति चिंताजनक है। साल 2017 में केवल 15,101 लोगों को ही उपचार मिला, जबकि नशाखोरों की संख्या लाखों में है। साथ ही, लगभग चार लाख लोग नशे की दवाओं के व्यापार में शामिल हैं, और उनमें से अधिकांश मामले न्यायिक प्रक्रिया में जुड़े हुए हैं।
नशाखोरों की संख्या दुनिया भर में तेजी से बढ़ रही है। इसके विपरीत, नशे की लत से निजात पाने के लिए उपलब्ध चिकित्सा सेवाएं काफी सीमित हैं। आंकड़ों के अनुसार, दुनियाभर में 11 में से सिर्फ एक नशाखोर समय पर उपचार प्राप्त कर पा रहा है।
भारत में नशे की स्थिति गंभीर है। साल 2017 में केवल 15,101 लोगों को उपचार मिला, जबकि नशाखोरों की संख्या लाखों में है। इसके अलावा, लगभग चार लाख लोग नशे की दवाओं के व्यापार में शामिल हैं, और उनमें से अधिकांश मामले न्यायिक प्रक्रिया में लंबित हैं। एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि वैश्विक नशीली दवाओं के उपयोग में चिंताजनक वृद्धि के साथ-साथ शक्तिशाली नए सिंथेटिक ओपियट्स का भी उदय हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में 22.80 करोड़ लोग गांजा से बनी दवाएं ले रहे हैं। इसके बाद करीब छह करोड़ से ज्यादा लोग ओपिओइड, तीन करोड़ लोग एम्फैटेमिन, 2.30 करोड़ कोकीन और करीब दो करोड़ लोग एक्स्टसी दवाओं का नशा कर रहे हैं।
छह करोड़ लोगों को इलाज की जरूरत
22.80 करोड़ लोग दुनिया भर में गांजा से बनी दवाएं ले रहे हैं
रिपोर्ट में बताया कि दुनिया भर में करीब छह करोड़ लोगों को नशा की लत से बाहर निकालने की जरूरत है, लेकिन अस्पतालों में मौजूद सुविधाएं नाकाफी है। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने कहा, हमारे प्रयास न सिर्फ संतुलित होने चाहिए बल्कि स्वास्थ्य के अधिकारों के साथ मानवाधिकारों को बनाए रखना चाहिए। नशे की लत से जूझ रहे लोगों की मदद करनी चाहिए। इसके लिए सरकारों को नीतिगत फैसले लेना जरूरी है।
22.80 करोड़ लोग दुनिया भर में गांजा से बनी दवाएं ले रहे हैं
रिपोर्ट में बताया कि दुनिया भर में करीब छह करोड़ लोगों को नशा की लत से बाहर निकालने की जरूरत है, लेकिन अस्पतालों में मौजूद सुविधाएं नाकाफी है। भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प ने कहा, हमारे प्रयास न सिर्फ संतुलित होने चाहिए बल्कि स्वास्थ्य के अधिकारों के साथ मानवाधिकारों को बनाए रखना चाहिए। नशे की लत से जूझ रहे लोगों की मदद करनी चाहिए। इसके लिए सरकारों को नीतिगत फैसले लेना जरूरी है।
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