डी.पी.रावत।
18 जुलाई, निरमण्ड।
आजकल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िला के उप मण्डल निरमण्ड के अंतर्गत श्रीखण्ड महादेव यात्रा का दौर चालू है। समुद्र तल से 18750 फुट की ऊंचाई पर स्थित होने के बावजूद भी इस यात्रा में हर साल हज़ारों श्रद्धालु आते हैं।
बताया जा है कि महाभारत काल में यहां पाण्डवों ने अज्ञातवास के दौरान श्रीखण्ड महादेव की यात्रा की थी। यहां रहने की सुविधा न होने के कारण भीम ने यहां रातों रात एक गुफा बनाई। स्थानीय बोली में गुफा को डवार कहा जाता है। जिसे आज "भीम डवार/ भीम डवारी" के नाम से जाना जाता है।
हो सकता है कि पाण्डव भगवान शिव के निमित एक भव्य और सुन्दर मन्दिर बनाना चाहते थे। इसी कारण कुछ आयताकार पथरों को भीम ने तराशा होगा। जिन्हें आज "भीम की बही" के नाम से जाना जाता है।
निरमण्ड की बोली में पीठ पर उठाए जाने वाले बोझे को "बही" कहा जाता है।
इस तथ्य की पुष्टि निरमण्ड गांव के लेखक "लोक नाथ मिश्र" की पुस्तक "सतलुज घाटी की पृष्ठभूमि" में पृष्ठ संख्या 152 पर होती है।
कुछ जन श्रुति इस प्रकार से है कि भीम ने यहां से एक रात के अन्दर आसमान के लिए सीढ़ी बनवाना चाहता था। तभी यहां पड़े आयताकार पत्थर सीढ़ीनुमा आकार में स्थित हैं। कुछेक लोग तर्क देते हैं कि भीम द्वारा सीढ़ी निर्माण करते हुए रात खुल गई और उक्त कार्य अधूरा रह गया।
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