दुबई बैठे साइबर ठगों को देते थे फर्जी बैंक खाते, 10 हजार से 1.50 लाख मिलता था कमीशन; छह आरोपी गिरफ्तार
सेविंग व करंट अकाउंट में ठगी के ट्रांजेक्शनों पर उन्हें कमिशन मिलता था जो कि 10 हजार रुपए लेकर 1.50 लाख रुपए तक होता था। सेविंग खातों में ट्रांजेक्शन की लिमिट कम होती है इसलिए कम कमिशन मिलता था। जबकि, करंट में लिमिट अधिक होने के कारण अधिक कमिशन मिलता था। कुछ ही दिनों में ये खाते ब्लॉक हो जाते थे। उसके बाद ये लोग नए बैंक खातों का इस्तेमाल करते थे। अधिकतर बैंक खातों का उपयोग निवेश स्कीमों से जुड़े फाइनेंशियल फ्रॉड में किया जाता था। इसके अलावा गेमिंग समेत अन्य तरिकों के साइबर फ्रॉड में भी उपयोग किया जाता था।
यहां उल्लेखनीय है कि साइबर क्राइम पुलिस ने गुरुवार को साइबर ठगी के इस रैकेट का पर्दाफाश कर छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनके कब्जे से बड़ी संख्या में सिमकार्ड, बैंक खातों के किट, डेबिट कार्ड समेत अन्य सामग्री बरामद की थी। इस गिरोह के मास्टर माइंड विजय परमार, मुकेश परमार, मंयक सोजित्रा, अरुण, अजय काकडिया, तुषार, राजू, निलेश वघासिया, मितेष पटेल, केतन वाघेला व मिलन दर्जी फरार हैं। साइबर क्राइम पुलिस की अलग-अलग टीमें उनकी तलाश में जुटी है।
136 लोगों के फर्जी खाते खुलवाए
आरोपियों से प्राथमिक पूछथाछ में पता चला कि उन्होंने अब तक सूरत शहर व आस-पास के इलाके के 136 लोगों के नाम से फर्जी बैंक खाते खुलवाएं हैं। जिनके बैंक किट व सिमकार्ड उन्होंने दुबई भेजे हैं। तमिलनाडु के सेलम निवासी टी.थीरुगनम बैंक खातों की किट व सिमकार्ड लेने के लिए ही सूरत आया था। वह स्टेशन इलाके के होटल में रुका था। उसके बारे में विजय ओड से पता चलने पर उसे गिरफ्तार किया गया था
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