डेंगू में प्रभावी हैं घरेलू उपाय

 

डेंगू में प्रभावी हैं घरेलू उपाय

डेंगू मच्छरों की वजह से होने वाली गंभीर संक्रामक बीमारी है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, रैशेज़, मिचली और उलटी जैसी शिकायतें होती हैं। हम यहां आपको डेंगू के बारे में कुछ जानकारी दे रहे हैं जैसे इसके लक्षण, किस वजह से यह होता है, इससे बचने के लिए क्या किया जा सकता है, यह संक्रमण होने पर क्या करें व क्या नहीं करें और इसके इलाज के क्या-क्या विकल्प उपलब्ध हैं।

Barish aur nami wale ilako me dengue ka jokhim zyada hota hai
बारिश और नमी वाले इलाकों में डेंगू का जोखिम ज्यादा होता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

डेंगू, मच्छरों विशेष तौर पर एडीज़ इजिप्टाई मच्छर द्वारा संचारित किया जाने वाला वायरल संक्रमण है। यह संक्रमण ट्रॉपिकल व सब ट्रॉपिकल क्षेत्रों में काफी आम समस्या है। डेंगू संक्रमण के ज़्यादातर मामले पीड़ित व्यक्ति तक सीमित रहते हैं, कई बार ऐसे मामलों में डेंगू हेमेराजिक फीवर (DHF) और गंभीर किस्म का डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) जैसी परेशानियां आ सकती हैं, जिनकी वजह से मरीज़ के जीवन के लिए खतरे पैदा हो जाते हैं।

प्राथमिक रूप से इसकी वजहें बढ़ी हुई वैस्क्यूलर परमिएबिलिटी और शॉक होते हैं। भारत में डेंगू वायरस के सभी चारों सीरोटाइप देखने को मिलते हैं। देश में डेंगू के बुखार का पहला मामला 1956 में तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में पाया गया था।

एडीज़ मच्छरों का प्रजनन आम तौर पर शहरी इलाकों में होता है और यही वजह है कि यह बीमारी सबसे ज़्यादा शहरी इलाकों में होती है। हालांकि, मनुष्यों की वजह से होने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक आर्थिक बदलावों की वजह से यह रुझान बदल रहा है। इसके परिणामस्वरूप एडीज़ मच्छर ग्रामीण इलाकों में भी पाए जाने लगे हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस बीमारी के फैलने की आशंकाएं काफी बढ़ गई हैं।

विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से डीएफ/डीएचएफ के मामले सामने आते रहते हैं जिनमें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पॉन्डिचेरी, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और चंडीगढ़ प्रमुख हैं।

मादा एडीज़ मच्छर आम तौर पर डेंगू वायरस से तब संक्रमित होते हैं, जब वह किसी ऐसे व्यक्ति को काटती हैं जो डेंगू की बीमारी के गंभीर फेबराइल (वायरेमिया) चरण में होता है। 8 से 10 दिनों की इंक्यूबेशन अवधि (मच्छर में) के बाद मच्छर संक्रमित हो जाते हैं और जब संक्रमित मच्छर किसी को काटते हैं, तो वायरस उन तक पहुंच जाता है और मच्छर का स्लाइवा व्यक्ति के घाव में प्रवेश कर जाता है।

एडीज़ एजिप्टी घरों, निर्माण साइटों और फैक्ट्रियों जैसे लगभग पूरी तरह मानव-निर्मित घरेलू परिवेश में प्रजनन करते हैं। ऐसे मच्छरों के लिए प्राकृतिक आवास पेड़ों के बीच बनी दरारें, पत्तियों के सिरे और नारियल के खोल होते हैं।

डेंगू : कारण

  1. डेंगू होने का कारण इन चार डेंगू वायरस सेरोटाइप्स (DEN-1, DEN-2, DEN-3, and DEN-4) में से कोई भी हो सकता है।
  2. मनुष्यों में यह संक्रमण संक्रमित एडीज़ मच्छर विशेषतौर पर एडीज़ इजिप्टाई द्वारा काटे जाने से संचारित होता है।
  3. ये मच्छर ठहरे हुए पानी के स्रोतों में फलते-फूलते हैं जैसे फूलदान, फेंके गए टायर्स या बर्तन जिनमें बारिश का पानी इकट्ठा हो जाता है।

डेंगू : महत्वपूर्ण तथ्य

अमूमन देखा जाता है

क्या करें:

  • अगर आपको डेंगू के लक्षण महसूस हो रहे हैं या आपको लगता है कि आपको इसका संक्रमण हो गया है तो डॉक्टर से सलाह करें।
  • बहुत आराम करें और शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए ढेर सारा पानी पीएं।
  • बुखार और जोड़ों व मांसपेशियों में दर्द से राहत पाने के लिए ओवर-द-काउंटर मिलने वाली दर्द निवारक दवाओं जैसे एसीटामिनोफेन/पैरासिटामोल का इस्तेमाल करें।
  • एस्पिरीन और नॉन-स्टीरॉयडल ऐंटी इनफ्लेमेटरी दवाएं (NSAIDs) जैसे आईबु्प्रोफेन लेने से परहेज़ करें क्योंकि इससे खून बहने का जोखिम बढ़ सकता है।
  • हेल्थकेयर प्रदाता के निर्देशों का पालन करें और बताया गया इलाज पूरा करें।

क्या नहीं करें:

  • खुद से ऐसी दवाएं नहीं लें जिनमें एस्पिरीन या NSAIDs हो।
  • अन्य लोगों में यह संक्रमण नहीं फैले इसके लिए मच्छर द्वारा काटे जाने से परहेज़ करें।
उपचार

बचाव है उपचार से ज्यादा जरूरी 

  • बारिश का पानी इकट्ठा करने वाले बर्तनों-डिब्बों को खाली कर, ढक कर या उनमें दवाई डाल कर मच्छरों के फलने-फूलने की जगह कम करें।
  • त्वचा व कपड़ों पर DEET (N, N-Diethyl-meta-toluamide) युक्त मॉस्किटो रिपेलेंट यानी मच्छरों को दूर करने वाली दवाएं लगाएं।
  • मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचने के लिए लंबी बांह की कमीज़-टीशर्ट, लंबी पैंट्स, मोज़े और जूते पहनें।
  • मच्छरदानी का इस्तेमाल करें या खिड़कियों व दरवाज़ों पर जालियां लगवाएं।
  • ऐसे समय में बाहर जाने से परहेज़ करें जब मच्छरों की संख्या सबसे अधिक होती है जैसे सुबह-सवेरे या शाम को।
  • डेंगू : लक्षण

    1. तेज़ बुखार (तापमान 104°F या 40°C तक पहुंच सकता है)
    2. सिर में तेज़ दर्द होना। विशेष तौर पर आंखों के पीछे
    3. मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होना
    4. थकान व कमज़ोरी आना
    5. उबकाई व उल्टी आना
    6. त्वचा पर चकते उभरना, आमतौर पर बुखार आने के 2-5 दिन के बाद
    7. हल्का का खून बहना (जैसे नाक या मसूड़ों से खून निकलना)

    डेंगू के लक्षणों में बुखार आना, सिरदर्द, थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया, रेट्रो-ऑर्बिटल दर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों का दर्द प्रमुख है। त्वचा या अन्य अंगों से अचानक खून निकलना, काले रंग का मल, नाक से खून निकलना, मसूड़ों से खून आना और पेट में दर्द, गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन, बेहोशी की स्थिति, ऐसे चिंताजनक लक्षण हैं जिनसे डीएचएफ या डीएसएस के संकेत मिलते हैं।

    डेंगू : निदान

    तीन दिन से अधिक बुखार बना रहे तो डॉक्‍टर की देखरेख में डेंगू सेरोलॉजी टेस्‍ट करवाएं। यह एक आसान ब्‍लड टेस्‍ट है, जिसे आप किसी भी पैथोलॉजी लैब में करवा सकते हैं। आपके खून के नमूने से तीनों टेस्‍ट – IgG, IgM, और NS1 किए जाते हैं। टेस्‍ट के नतीजे के आधार पर डॉक्‍टर आपको दवाइयों और आगे के उपचार के बारे में बताएंगे।

  • डेंगू : उपचार

    डेंगू के बुखार के लिए कोई खास एंटी वायरल इलाज नहीं है। इसके इलाज में अधिक ध्यान लक्षणों से राहत दिलाने और रोगी को रिकवरी प्रक्रिया में मदद देने पर होता है। निम्नलिखित कदम उठाकर इससे उबरा जा सकता है:

    आराम करें और ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशंस का सेवन कर खुद को हाइड्रेटेड रखें।
    बुखार व दर्द कम करने के लिए एसीटामिनोफेन/पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं लें।
    ऐसी दवाएं लेने से बचें जो ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ा सकती हैं।

    गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की ज़रूरत पड़ सकती है जिससे रोगी की हालत पर अच्छी तरह नज़र रखी जा सके, इंट्रावेनस फ्लुइड्स स सपोर्टिव केयर दी जा सके।

    सटीक जांच, उचित इलाज और आपकी स्थिति को लेकर इलाज के मार्गदर्शन के लिए डॉक्टर से अवश्य मिलें।

    क्या डेंगू में प्रभावी हैं घरेलू उपाय

    ऐसा देखने में आया है कि डेंगू से पीड़‍ित होने पर कुछ लोग पपीते के पत्‍तों का पानी, गिलॉय का रस या पपीते का सेवन करते हैं। लेकिन सच यह है कि इन पदार्थों के सेवन का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और न ही इनके प्रयोग तथा प्रभावों के बारे में किसी तरह के शोध / परीक्षण हुए हैं।

    अत: इनके प्रयोग से बचना चाहिए। पपीते के पत्‍तों और गिलॉय के इस्‍तेमाल से कुछ लोगों में गैस्‍ट्राइटिस तथा उल्‍टी आने की शिकायत भी देखी गई है। डेंगू के दौरान हमें उल्‍टी होने से हर हाल में बचना चाहिए। प्‍लेटलैट्स का घटना और बढ़ना खुद-ब-खुद होने वाली प्रक्रिया है, इसलिए ट्रेल रिजल्‍ट आने तक हमें किसी भी वैकल्पिक तरीके का प्रयोग करने से बचना चाहिए।

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