हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला, पालमपुर, बैजनाथ, बीड़ और चौंतड़ा आदि क्षेत्रों में चाय का उत्पादन डेढ़ लाख किलोग्राम तक ही रह गया है, जो औसतन पांच लाख किलोग्राम तक रहता है। पहले प्रचंड गर्मी और अब बारिश न होने के कारण चाय की नई पत्तियां तैयार नहीं हो पा रही हैं।
देश और दुनिया में अपनी पहचान बना चुकी कांगड़ा चाय पर भी मौसम की मार पड़ी है। इस साल अभी तक चाय का उत्पादन तीन गुना तक घट गया है। साल के पहले छह माह में धर्मशाला, पालमपुर, बैजनाथ, बीड़ और चौंतड़ा आदि क्षेत्रों में चाय का उत्पादन डेढ़ लाख किलोग्राम तक ही रह गया है, जो औसतन पांच लाख किलोग्राम तक रहता है। वहीं पूरे साल में 10 लाख किलोग्राम से अधिक का उत्पादन होता है। पहले प्रचंड गर्मी और अब बारिश न होने के कारण चाय की नई पत्तियां तैयार नहीं हो पा रही हैं, जिससे कांगड़ा चाय तैयार की जाती है। इस वजह से चाय उत्पादन को बंद भी करना पड़ गया।
बात धर्मशाला की करें तो वर्ष 2023 में कांगड़ा चाय उत्पादन में वर्ष 2022 के मुकाबले 25 फीसदी वृद्धि हुई थी। वर्ष 2023 में जुलाई तक धर्मशाला स्थित चाय उद्योग में 65 हजार किलोग्राम चाय का उत्पादन हो चुका था, जबकि इस वर्ष अभी तक 42 हजार किलोग्राम ही चाय उत्पादन ही रह गया है। ऐसे में उद्योग प्रबंधन की मानें तो इस बार चाय उत्पादन प्रभावित होगा और नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो जाएगा। कोरोना काल में कांगड़ा चाय का उत्पादन 11 लाख किलोग्राम तक पहुंच गया था, लेकिन इस वर्ष बदलने मौसम के कारण उत्पादन तीन से चाल लाख किलो तक ही पहुंचेगा। इससे कांगड़ा चाय के कारोबार पर भी असर पड़ेगा और चाय उद्योग वालों को भी काफी नुकसान झेलना पड़ेगा।
चाय उत्पादन पर मौसम की मार पड़ती नजर आ रही है। क्षेत्र में इस बार पड़ी भारी गर्मी के चलते चाय की पत्तियां तैयार नहीं हो पाई हैं। पिछले साल अब तक 65 हजार किलो ग्राम चाय उत्पादन हो चुका था, जबकि इस साल अभी तक 42 हजार किलोग्राम चाय ही तैयार हो पाई है- अमनपाल सिंह, मैनेजर, धर्मशाला टी फैक्ट्री
गर्मियों के दौरान प्रचंड गर्मी और बरसात के मौसम में बारिश न होने के कारण चाय उत्पादन पर काफी असर पड़ा है। चाय उत्पादन करीब तीन गुना कम रह गया है। पहले छह माह में केवल डेढ़ लाख किलो चाय का ही उत्पादन हो पाया है, जो हर साल पांच लाख किलो तक रहता है- अभिमन्यु शर्मा, कारखाना सलाहकार अधिकारी, टी बोर्ड, हिमाचल प्रदेशNews source
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