Weight Loss की कोशिश में लगे लोगों के लिए खुशखबरी! भारत में जल्द लॉन्च होगी वजन घटाने वाली दवा
नई दिल्ली। मोटापा (Obesity) एक गंभीर समस्या है, जिससे दुनियाभर में कई लोग प्रभावित है। इन दिनों कई लोग इनएक्टिव लाइफस्टाइल को फॉलो कर रहे हैं, जिसकी वजह से वजन का बढ़ना एक आम समस्या बन गई है। मोटापा कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बन सकता है और इस बारे में खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO भी चेतावनी जारी कर चुका है। ऐसे में खुद को हेल्दी और फिट रखने के लिए कई लोग वेट कंट्रोल करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। हालांकि, कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी वजन ठस का मस नहीं होता, जिसकी वजह से सारी मेहनत पानी में चली जाती है। ऐसे में अब वेट लॉस (Weight Loss) की कोशिश में लगे लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है।
अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में चर्चित ओजेम्पिक, जेपबाउंड जैसी वजन घटाने वाली दवाएं अब जल्द ही भारतीय बाजारों में दस्तक देने वाली है। इस सिलसिले में भारतीय ड्रग रेगुलेटर सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने फार्मास्यूटिकल कंपनी 'ऐली लिली' के टिरजेपेटाइड (Tirzepatide) नामक वेट लॉस ड्रग को हरी झंडी दे दी है। यह एक्टिव इंग्रीडिएंट Eli Lilly की मशहूर दवाओं Mounjaro जो डायबिटीज के लिए है और Zepbound जो वजन घटाने के लिए है, में भी मौजूद होता है। पिछले साल अमेरिका के FDA ने वयस्कों में वजन बढ़ने की समस्या के लिए जेपबाउंड को मंजूरी दी थी।
भारतीय ड्रग रेगुलेटर की इस मंजूरी के बाद अब जल्द ही इस दवा की मेन्युफैक्चरर एली लिली भारतीय बाजार में अपने इस प्रोडक्ट को लॉन्च करेंगी। हालांकि, अभी इस दवाई के आयात और इसकी मार्केटिंग को डायबिटीज के लिए मंजूरी दी गई है, न कि वजन घटाने के लिए। CDSCO अभी मोटापे से इसके कनेक्शन की समीक्षा कर रहा है। लेकिन क्या टिरजेपेटाइड सच में वजन कम करने में कारगर है, अगर हां, तो यह कैसे काम करता है और इसके क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, इन सभी सवालों का जवाब जानेंगे आज इस आर्टिकल में।
टिरजेपेटाइड क्या है?
टिरजेपेटाइड एली लिली की दवाओं, मौन्जारो और जेपबाउंड का एक्टिव इंग्रीडिएंट है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि टिरजेपेटाइड शरीर में दो जरूरी हार्मोन्स- जीआईपी और जीएलपी-1 की तरह काम करता है।
कैसे वजन कम करता है टिरजेपेटाइड?
जब इसे इंजेक्ट किया जाता है, तो यह इन हार्मोन्स के लिए रिसेप्टर्स एक्टिव करता है, जिसके कई प्रभाव होते हैं। यह पैनक्रियाज को ज्यादा इंसुलिन प्रोड्यूस करने के लिए स्टीमूलेट करता है और ब्रेन को पेट भरा हुआ महसूस करने का संकेत भी देता है। इस तरह यह दवाई न सिर्फ ब्लड में शुगर के लेवल को कम करती है, बल्कि भूख भी कम करती है, जिससे मोटापे से पीड़ित लोग ज्यादा खाने से बचे रहते हैं।
वहीं, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि टिरजेपेटाइड और भी ज्यादा प्रभावी इसलिए है, क्योंकि यह जीआईपी की नकल करता है, जो भूख को कम करने के साथ-साथ शरीर में शुगर और फैट को तोड़ने के तरीके में सुधार कर सकता है, जिससे वेट लॉस की प्रक्रिया में मदद मिलती है।
अध्ययनों में भी हुआ साबित
कुछ अध्ययनों से भी पता चलता है कि वजन घटाने के लिए टिरजेपेटाइड बहुत प्रभावी होता है। द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में जुलाई 2022 में पब्लिश हुए एक अध्ययन में पता चला कि टिरजेपेटाइड की कम डोज लेने वाले लोगों ने लगभग एक साल में लगभग 16 किलोग्राम वजन कम किया। वहीं, इसकी ज्यादा खुराक लेने वालों के वजन में 22 किलोग्राम की कमी आई।
क्या टिरजेपेटाइड के कोई साइड इफेक्ट्स हैं?
बात करें इसके साइड इफेक्ट्स की, तो एक अध्ययन से यह पता चलता है कि टिरजेपेटाइड से कई बार गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती है। इसकी हाई डोज लेने वाले लगभग एक-तिहाई लोगों को मतली का अनुभव हुआ और पांच में से एक को दस्त का अनुभव हुआ। इसके अलावा इस दवा को लेने वाले कुछ लोगों ने पेट दर्द, उल्टी, कब्ज, सिरदर्द और चक्कर आने की भी शिकायत की।
इसके अलावा एफडीए के अनुसार, जेपबाउंड लेने वाले लोगों को डकार आना, बाल झड़ना और गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज का भी अनुभव हो सकता है। साथ ही किसी प्रेग्नेंट महिला को यह दवा लेने से परहेज करना चाहिए। साथ ही एफडीए का यह भी कहना है कि इस दवा को लेने वाले लोगों में डिप्रेशन या सुसाइडल थॉट्स पर नजर रखी जानी चाहिए और इसके लक्षण नजर आने पर इस दवा को तुरंत बंद कर देना चाहिए।
कब तक भारतीय बाजार में आएगी दवा?
एली लिली के सीईओ डेविड रिक्स ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया था कि मौन्जारो 2025 की शुरुआत में भारत में लॉन्च हो सकती है। वहीं, नोवो नॉर्डिस्क 2026 तक भारत में अपनी वजन घटाने वाली दवा लॉन्च करने की योजना बना रही है। इस दवा की भारत में डिमांड बढ़ने की काफी संभावना है, क्योंकि यहां टाइप 2 डायबिटीज और मोटापे वाले लोगों की संख्या दुनिया में दूसरे स्थान पर है।
2023 में लैंसेट के एक अध्ययन में यह पता चला था कि देश में 101 मिलियन लोग यानी देश की आबादी का 11.4 प्रतिशत डायबिटीज का शिकार है। वहीं, देश में मोटापा भी तेजी से बढ़ रहा है। वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन एटलस के अनुसार, साल 2034 तक लगभग 11 प्रतिशत भारतीय वयस्क मोटापे से ग्रस्त होंगे।
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