Nipah Virus एक जूनोटिक वायरस है जो जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। दरअसल निपाह वायरस के संक्रमण से केरल में एक 14 साल के किशोर ने जान गंवा दी है। राज्य में इस वायरस से पहली मौत की सूचना के बाद से ही प्रदेश और केंद्र सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गई है। आइए आपको बताते हैं इसके कारण लक्षण और बचाव के तरीके
Nipah Virus: निपाह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलने वाला एक संक्रमण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें, तो यह इंसानों के साथ-साथ जानवरों को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। बता दें, इसे चमगादड़ों और सूअरों में सबसे ज्यादा संक्रामक माना गया है। केरल में एक बार फिर से इस वायरस का प्रकोप बढ़ने लगा है। ताजा मामला केरल के मलप्पुरम जिले से सामने आया है, जहां 14 साल के किशोर की निपाह वायरस के लिए पॉजिटिव आने के बाद मौत हो गई है। आइए इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि कितना खतरनाक है यह वायरस, क्या हो सकते हैं इसके कारण, किन लक्षणों से कर सकते हैं इसकी पहचान और क्या हैं बचाव के तरीके।
क्या है निपाह वायरस?
सबसे पहले निपाह वायरस की पहचान साल 1998-99 की गई थी। मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह नामक जगह से इसके मामले सामने आए थे। उस वक्त 250 से ज्यादा लोगों में इसके संक्रमण की जानकारी सामने आई थी। बता दें, यह पहला मौका था जब इस वायरस ने अपना कोहराम मचाया था।
कितना खतरनाक है निपाह?
पहली बार कम्पंग सुंगाई निपाह में जब इस वायरस के मामले सामने आए थे, तो इसके वाहक और कोई नहीं, बल्कि सूअर ही बने थे। बता दें, इस दौरान अस्पतालों में करीब 40 फीसदी लोगों ने जान गंवाई थी। इसकी मृत्यु दर ही एक वजह है, जिसके चलते हाल के दिनों में केरल में इस वायरस के बढ़ते मामलों ने प्रशासन को अलर्ट कर दिया है। वैज्ञानिकों की मानें, तो हर चार में से तीन संक्रमण वाली बीमारियां जानवरों से ही इंसानों में फैलती हैं।
निपाह वायरस संक्रमण के कारण
आमतौर पर निपाह वायरस फलाहारी चमगादड़ों (Fruit Bats) से इंसानों में फैलता है। संक्रमित चमगादड़ों के संपर्क में आने, उनकी लार या दूषित भोजन इस वायरस के फैलने का कारण हो सकते हैं। कुछ मामलों में इस वायरस का मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण भी देखा है, खासतौर से नाक या मुंह के संपर्क में आने और तरल पदार्थों के माध्यम से।
कैसे दिखते हैं शरीर में निपाह के लक्षण?
बुखार
उल्टी
डायरिया
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
दौरे पड़ना या भ्रम की स्थिति
सांस लेने में कठिनाई
खांसी और गले में खराश
एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन
निपाह संक्रमण का इलाज
निपाह वायरस के संक्रमण में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को प्रभावी माना जाता है। बता दें, भारत सरकार ने पिछले साल ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी मंगाई थी। फिलहाल देश में इस संक्रमण के खिलाफ कोई टीका मौजूद नहीं है। यह संक्रमित जानवर और लोगों के संपर्क में आने से फैलता है, यही वजह है कि सरकार की ओर से दूरी बनाकर रखने की सलाह दी जाती है।
निपाह वायरस से बचाव के तरीके
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस संक्रमण के प्रकोप वाले क्षेत्रों में फलाहारी चमगादड़ों और सूअरों के संपर्क से दूर रहने की सलाह देता है। इसके अलावा कच्चे या अधपके फलों के सेवन से बचने और भोजन को अच्छे से पकाकर खाने की सलाह दी जाती है। बार-बार हाथ धोना और पर्सनल हाइजीन से जुड़ी आदतों को अपनाकर इस वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।
Disclaimer: लेख में उल्लेखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।News source
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