टीनेजर्स में सबसे ज्यादा बढ़ रहा है कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा, जानिए इसका कारण और बचाव के उपाय

 टीनेजर्स में सबसे ज्यादा बढ़ रहा है कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा, जानिए इसका कारण और बचाव के उपाय

ज्यादातर लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ी जानकारी की कमी होने की वजह से उन्हें इसका पता बहुत बाद में लगता है। जबतक स्थिति अधिक गंभीर हो चुकी होती है।



आजकल के अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से तमाम तरह की गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन्हीं में से एक है ‘कोलोरेक्टल कैंसर’ (colorectal cancer)। टीनेजर्स में भी अब इसके मामले बढ़ने लगे हैं।

समय रहते इसके प्रति सचेत होना जरूरी है। ज्यादातर लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर से जुड़ी जानकारी की कमी होने की वजह से उन्हें इसका पता बहुत बाद में लगता है। जबतक स्थिति अधिक गंभीर हो चुकी होती है।

कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों को देखते हुए इसके प्रति जानकारी इकट्ठा करने के लिए हेल्थ शॉट्स ने पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में एसोसिएट डायरेक्टर (सर्जिकल ओन्कोलोजी) डॉ. पीयूष कुमार अग्रवाल से बात की। डॉ पीयूष ने इसके संभावित कारण, लक्षण और बचाव के उपाय पर बात की है। तो चलिए जानते हैं, इस विषय से संबंधित कुछ जरूरी जानकारी (Colorectal cancer in teenagers)।

क्या है कोलोरेक्टल कैंसर (what is colorectal cancer)

कोलन कैंसर सेल्स की वृद्धि है जो बड़ी आंत (large intestine) के एक हिस्से में शुरू होती है, जिसे कोलन कहा जाता है। कोलन बड़ी आंत का पहला और सबसे लंबा हिस्सा है। बड़ी आंत पाचन तंत्र का आखिरी हिस्सा है। आपका पाचन तंत्र शरीर को एनर्जी प्रदान करने के लिए खाद्य पदार्थों को तोड़कर पोषण प्रदान करता है।

colorectal cancer khraab aadton ke kaarn hota hai
अधिकांश कोलोरेक्टल कैंसर कोलन या रेक्टम की अंदरूनी परत पर वृद्धि के साथ शुरू होता है। इन्हें पॉलीप्स (Polyps) कहा जाता है। 

यह आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, परंतु कोलन कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। यह आमतौर पर कोशिकाओं के छोटे-छोटे समूहों के रूप में शुरू होता है, जिन्हें पॉलीप्स कहा जाता है। ये कोलन के अंदर बनते हैं। पॉलीप्स आमतौर पर कैंसर नहीं होते हैं, लेकिन कुछ समय के साथ कोलन कैंसर खतरा बढ़ जाता है। खास कर यदि व्यक्ति 50 की उम्र पार कर चुका है, तो उसमें कोलोरेक्टल कैंसर का अधिक खतरा होता है। मगर ताज़ा आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं।

किशोरों में बढ़ रहे हैं कोलोरेक्टल कैंसर के मामले

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा की गई स्टडी के अनुसार 10 से 14 वर्ष की आयु के रोगियों में कोलोरेक्टल कैंसर की दर 500%, 15 से 19 वर्ष की आयु के रोगियों में 333% और 20 से 24 वर्ष की आयु के रोगियों में 185% की दर से बढ़ रही है। 2020 में, 10 से 14 वर्ष की आयु के प्रति 100,000 व्यक्ति में से केवल 0.6 को कोलोरेक्टल कैंसर का निदान किया गया, जबकि 1999 में यह 0.1 प्रति 100,000 व्यक्ति था। 1999 से 2020 तक, 15 से 19 वर्ष की आयु के रोगियों में कोलोरेक्टल कैंसर का निदान 0.3 से बढ़कर 1.3 प्रति 100,000 व्यक्ति और 20 से 24 वर्ष की आयु के रोगियों में 0.7 से बढ़कर 2.0 प्रति 100,000 व्यक्ति हो चुका है।

क्यों किशोरों में भी बढ़ रहे हैं कोलन कैंसर के मामले (Causes of colorectal cancer in teens)

1. खानपान की गलत आदतें जो कब्ज का कारण बनती हैं।

2. इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज पाचन संबंधी एक प्रकार का विकार है, इस समस्या के होने पर कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

3. अधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करने से कोलन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। रेड मीट हाई टेंपरेचर पर पकाए जाते हैं, जिसकी वजह से ये नाइट्राइट्स प्रोड्यूस करते हैं। ये केमिकल कैंसर के जोखिम को बढ़ा देते हैं।

poop colour deta hai cancer ka signal
पूप का कलर लाल है यानी पूप में दर्द के साथ खून आते हैं, तो यह कोलन कैंसर की निशानी हो सकती है। चित्र: शटरस्टॉक

4. कोलन और रेक्टल कैंसर की फैमिली हिस्ट्री वाले व्यक्ति, खासकर यदि इस प्रकार की शिकायत मां-बाप या सिबलिंग्स को रही है, तो व्यक्ति को अधिक खतरा हो सकता है।

5. कोलोरेक्टल कैंसर के पास से 10% तक मामले इन्हेरीटेड जेनेटिक सिंड्रोम के होते हैं यह तब होता है जब परिवार में किसी द्वारा कैंसर के जेनेटिक म्यूटेशन को दूसरे में जींस के माध्यम से पास किया जाता है।

6. टीनएजर्स में कोलोरेक्टल कैंसर बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है अनहेल्दी लाइफस्टाइल। शारीरिक स्थिरता, खानपान की गलत आदतें, बढ़ता वजन और शराब एवं सिगरेट का अत्यधिक सेवन इस प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है।



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