आंखों से कम दिखाई देना दूर या पास की चीजें न दिखना आंखों से पानी आना जलन रेडनेस या फिर मोतियाबिंद ये सभी आंखों से जुड़ी कॉमन प्रॉब्लम्स हैं जिनसे बहुत से लोग पीड़ित रहते हैं। इन्हीं में से एक भेंगापन (Squint) भी है। आंखों से जुड़ी इस समस्या को मेडिकल भाषा में स्ट्रैबिस्मस (Strabismus) कहा जाता है। जिसमें दोनों आंखें एक दिशा में फोकस नहीं कर पातीं।
भेंगापन क्या है?
भेंगापन (स्क्विंट) को स्ट्रैबिस्मस या क्रॉस्ड आइज के नाम से भी जाना जाता है। यह आंखों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है। जिसमें दोनों आंखें एक सीध में नहीं होती हैं। मतलब एक आंख अंदर, बाहर, ऊपर या नीचे की ओर होती है, जबकि दूसरी आंख सीधी रहती है। जिसके चलते दोनों आंखें एक साथ एक ही जगह पर फोकस नहीं कर पाती हैं। अलग-अलग दिशाओं में देखती हैं।
भेंगापन के कारण
भेंगापन कई कारणों से हो सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
मांसपेशियों में असंतुलन: हमारी आंखों का मूवमेंट छह मांसपेशियां की वजह से होता है। अगर इन मांसपेशियों में कमजोरी या असंतुलन हो जाए, तो एक आंख दूसरी दिशा की ओर मुड़ सकती है, जिससे भेंगापन हो जाता है।
नर्व डैमेज: आंखों को हिलाने-डुलाने वाली तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने से भी भेंगापन हो सकता है।
दृष्टि संबंधी समस्याएं: अगर आंखों की दूरदृष्टिता (दूर की चीजें धुंधली दिखना) या निकट दृष्टिता (पास की चीजें धुंधली दिखना) जैसी समस्याओं का इलाज ना कराया जाए, तो इससे भी भेंगापन हो सकता है।
जेनेटिक कारण: अगर आपके परिवार में किसी को भेंगापन है, तो आपको भी ये समस्या हो सकती है।
स्वास्थ्य संबंधी स्थितियां: सेरेब्रल पाल्सी (cerebral palsy), डाउन सिंड्रोम जैसी कुछ बीमारियां या सिर में चोट लगने से भी भेंगापन हो सकता है।
भेंगापन से होने वाली समस्याएं
भेंगापन सिर्फ आंखों तक ही सीमित नहीं है, इससे पीड़ित को कई और दूसरी तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कैसे।
दोहरी दृष्टि (Double Vision)
भेंगापन में दिमाग को हर आंख से अलग-अलग तस्वीरें मिलती हैं, जिससे दोहरी दृष्टि की समस्या हो सकती है।
दूरियों का सही अंदाजा लगाने में परेशानी (Poor Depth Perception)
भेंगापन से गहराई का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के तौर पर सीढ़ियां चढ़ते समय या सड़क पार करते समय दूरी का सही पता नहीं चल पाता है।
आलसी आंख (Amblyopia - Lazy Eye)
भेंगापन के कारण दिमाग कमजोर आंख से आने वाली छवियों को नजरअंदाज कर सकता है। इससे उस आंख की रोशनी कमजोर हो सकती है। इसे आलसी आंख (Lazy Eye) भी कहते हैं।
सामाजिक और मानसिक प्रभाव (Social and Psychological Impact)
भेंगापन की वजह से आंखों का सही सेट ना होना बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकता है। इससे उनका कॉन्फिडेंस कम हो सकता है और सामाजिक मेलजोल में भी परेशानी हो सकती है।
भेंगापन का इलाज
भेंगापन का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि भेंगापन किस वजह से हुआ है और यह कितना गंभीर है। आइए विभिन्न प्रकार के इलाज के बारे में समझते हैं-
चश्मा (Glasses)
अगर भेंगापन दूर दृष्टिता या निकट दृष्टिता जैसी किसी समस्या के कारण हुआ है, तो डॉक्टर चश्मा या कॉन्टेक्ट लेंस लगाने की सलाह दे सकते हैं। ये लेंस आंखों को सही फोकस करने में मदद करते हैं, जिससे भेंगापन में सुधार हो सकता है।
आंखों पर पट्टी (Eye Patches)
कुछ मामलों में, डॉक्टर कमजोर आंख को मजबूत बनाने के लिए आंख पर खास पट्टी लगाने की सलाह दे सकते हैं। इससे कमजोर आंख को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और उसकी रोशनी बेहतर हो सकती है।
आंखों की एक्सरसाइज (Vision Therapy)
कुछ खास तरह की थेरेपी आंखों के तालमेल और फोकस को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं। ये व्यायाम आमतौर पर बच्चों के लिए कारगर होते हैं।
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ऑपरेशन (Surgery)
अगर चश्मा, आंखों की पट्टी या थेरेपी से फायदा ना हो, तो डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह दे सकते हैं। इस ऑपरेशन में आंखों को हिलाने वाली मांसपेशियों की स्थिति या लंबाई में बदलाव किया जाता है, जिससे आंखें सीधी हो सकें।
बोटॉक्स इंजेक्शन (Botox Injections)
कुछ मामलों में, डॉक्टर बोटॉक्स इंजेक्शन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। बोटॉक्स की ये इंजेक्शन आंखों की ज्यादा एक्टिव मसल्स को कुछ समय के लिए कमजोर कर देती हैं, जिससे आंखें सीधी हो सकती हैं।
इस बात का रखें खास ध्यान
भेंगापन की समस्या का जल्द पता लगाना और इलाज करवाना बहुत जरूरी है। इससे न सिर्फ आंखों की रोशनी से जुड़ी समस्याओं को रोका जा सकता है, बल्कि व्यक्ति की लाइफस्टाइल को भी बेहतर बनाया जा सकता है। अगर आपको लगता है कि आपको या आपके बच्चे को भेंगापन की समस्या है, तो देर ना करें। किसी आंखों के विशेषज्ञ (eye specialist) से सलाह लें। वो आपकी आंखों की अच्छी तरह से जांच करेंगे और फिर उसके हिसाब से आपके लिए इलाज सजेस्ट कर सकते हैं।
(डॉ. अजय शर्मा, फाउंडर एंड चीफ मेडिकल ऑफिसर, Eye Q सुपर स्पेशिलिटी आई हॉस्टिपल से बातचीत पर आधारित)
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