Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा की ‘छड़ी मुबारक’ का पूजन कर ले जाया गया पहलगाम, जानें क्या है छड़ी मुबारक

 Amarnath Yatra: अमरनाथ यात्रा की ‘छड़ी मुबारक’ का पूजन कर ले जाया गया पहलगाम, जानें क्या है छड़ी मुबारक

Amarnath Yatra: सावन की शुरुआत हो गई है. देश के मंदिर और शिवालयों में हर-हर भोले की गूंज सुनाई दे रही है. बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ अब उमड़ने लगी है. इस बीच अमरनाथ यात्रा की छड़ी मुबारक को अनुष्ठान के बीच रविवार को दशनामी अखाड़ा भवन से पहलगाम ले जाया गया.

छड़ी मुबारक के संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरि के मुताबिक, आषाढ़ पूर्णिमा के पावन अवसर पर पहलगाम में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन, नवग्रह पूजन, छड़ी पूजन और ध्वजारोहण समारोह आयोजित किए गए. इन्हें पारंपरिक और धार्मिक रूप से स्वामी अमरनाथ जी की वार्षिक तीर्थयात्रा के आरंभ का प्रतीक माना जाता है 

संरक्षक महंत दीपेंद्र गिरि के मुताबिक, स्वामी अमरनाथ जी की वार्षिक तीर्थयात्रा के मुख्य कार्यक्रम से पहले छड़ी मुबारक एक महत्वपूर्ण परंपरा है. उन्होंने कहा, ‘शंखनाद की ध्वनि से पूरा वातावरण गूंज उठा. इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधु, तीर्थयात्री और मार्तंड से आए कई कश्मीरी पंडित परिवार मौजूद थे और वे अनुष्ठान में भी शामिल हुए.’ गिरि ने कहा कि पूजन के बाद हवन भी किया गया और उपस्थित सभी लोगों के लिए लंगर भी परोसा गया. तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर यह छड़ी मुबारक है क्या?

क्या है छड़ी मुबारक?

छड़ी मुबारक को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है. छड़ी मुबारक एक धार्मिक परंपरा है. यह एक तरह से चांदी की एक छड़ी होती है. मगर इसका महत्व अधिक है. ऐसी आस्था है कि इस छड़ी में भगवान शिव की अलौकिक शक्तियां निहित हैं. कहते हैं कि महर्षि कश्यप ने यह छड़ी भगवान शिव को इस आदेश के साथ सौंपी थी कि इसे प्रति वर्ष अमरनाथ लाया जाए.

कब शुरू हुई अमरनाथ यात्रा

बता दें कि अनंतनाग के पहलगाम और गांदेरबल के बालटाल मार्ग से संचालित 52 दिवसीय अमरनाथ यात्रा 29 जून को शुरू हुई थी. अभी तक लगभग 3.90 लाख श्रद्धालु 3,800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर चुके हैं. अमरनाथ यात्रा में गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं.

कुछ तीर्थयात्री अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबे मार्ग से अमरनाथ गुफा मंदिर जाने के लिए पहलगाम पहुंचते हैं, जबकि कुछ तीर्थयात्रियों ने गांदेरबल जिले में 14 किलोमीटर के अपेक्षाकृत छोटे, लेकिन कठिन बालटाल मार्ग से आते जाते हैं. अमरनाथ यात्रा 19 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन श्रावण पूर्णिमा पर समाप्त होगी. पिछले साल, 4.5 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे

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