नॉनस्मोकर्स को ज्यादा हो रहा है भारत में फेफड़ों का कैंसर, एक्सपर्ट बता रहे हैं इसका कारण
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि भारत में फेफड़े के कैंसर की आनुवंशिक संरचना “यहां के लोगों की जटिल विविधता से प्रभावित होती है।” उन्होंने यह भी बताया कि भारत में फेफड़ों के कैंसर के रोगियों का एक “काफी बड़ा हिस्सा” कभी धूम्रपान नहीं करता है। वायु प्रदूषण धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकता है।
पर्यावरण प्रदूषण बन रहा है फेफड़ों के कैंसर की वजह
वैज्ञानिकों ने इस बारे में अलग-अलग क्षेत्र में अलग- अलग तरह से अध्ययन करने के लिए कहा कि किस तरह वायु प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय कैंसर पैदा करने वाले कारक जैसे विशिष्ट जलवायु सीधे फेफड़ों के कैंसर में योगदान करते हैं। मुंबई के शोधकर्ताओं सहित शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में, फेफड़ों के कैंसर के बारे में रिसर्च के मामले में भारत से दुनिया का अनुपात 0.51 है।
द लैंसेट के ईक्लिनिकल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध की एक सीरिज में लेखकों ने दक्षिण-पूर्व एशिया में उपलब्ध आंकड़ों की समीक्षा की, ताकि इस क्षेत्र में फेफड़े के कैंसर की स्थिति को बेहतर ढंग से समझा जा सके, जिसमें भारत पर विशेष ध्यान दिया गया। उन्होंने पाया कि फेफड़े के कैंसर के रोगियों का एक “बड़ा हिस्सा” कभी धूम्रपान नहीं करता।
इस सीरिज के एक अन्य शोधपत्र में, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च (एम्स), नई दिल्ली के शोधकर्ताओं, ने पाया कि वायु प्रदूषण धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकता है। उन्होंने एशिया में फेफड़ों के कैंसर पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का विश्लेषण किया।
लगातार खराब हो रही है एयर क्वालिटी
इस शोध के लेखकों ने 2022 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया के 40 सबसे प्रदूषित शहरों में से 37 दक्षिण एशिया में हैं और भारत चार सबसे प्रदूषित देशों में से एक है। इससे ये साबित होता है कि अगर आप धुम्रपान करते है तो आपको कैंसर को दोगूना खतरा है लेकिन अगर आप धूम्रपान नहीं करते है तो पर्यावरण की खराब होती हवा भी आप में कैंसर का कारण बन सकती
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