पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुए नौ समझौते, अमेरिका ने कही यह बात; जानें भारत ने कैसे दिया जवाब
Meeting of PM Modi and Vladimir Putin: पीएम नरेंद्र मोदी की रूस की दो दिवसीय हाई प्रोफाइल यात्रा नौ समझौतों के साथ संपन्न हुई। इनमें व्यापार, राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग कर व्यापार समझौता, उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसे नए मार्गों के जरिए माल परिवहन कारोबार में बढ़ोतरी शामिल है। दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर से अधिक करने का लक्ष्य रखा है। अमेरिका की आपत्ति के बावजूद पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मजबूत दोस्ती दुनिया ने देखी। पुतिन से चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हम दोनों पिछले 21 सालों से ऐसे ही मिलते आ रहे हैं, लेकिन इस बार पूरी दुनिया इस मुलाकात को अलग तरह से व्याख्यायित कर रही है। पीएम मोदी ने यूक्रेन मुद्दे पर भी शांति की सलाह दी, जिसे पुतिन ने गंभीरता से लिया।
जब पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक-दूसरे से मिल रहे थे, तो अमेरिका समेत सभी पश्चिमी देश उनकी तरफ टेढ़ी नजरों से देख रहे थे। पहले अमेरिका और फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने आपत्ति जताई। अमेरिका ने चेतावनी दी कि अगर कोई भी देश रूस से मिलता है, तो उसे यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना होगा। वहीं, मोदी और पुतिन की गर्मजोशी भरी मुलाकात पर जेलेंस्की नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया को एक हत्यारे को गले लगाते देखना उन्हें बहुत दुख पहुंचाता है।
मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच 22वीं वार्षिक द्विपक्षीय शिखर वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों पक्षों ने विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। भारत और रूस ने 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक तक बढ़ाने पर सहमति जताई। यह लक्ष्य निवेश को बढ़ावा देकर, आपसी व्यापार के लिए राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके और ऊर्जा से लेकर कृषि और बुनियादी ढांचे तक के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर हासिल किया जाएगा। दोनों पक्षों ने रूस-भारत व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय वार्ता को अतिरिक्त गति देने की भी बात कही।
9 समझौतों पर मुहर
दोनों देशों ने सहयोग के नौ प्रमुख क्षेत्रों पर सहमति जताई। इनमें व्यापार, राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करते हुए व्यापार समझौता, उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसे नए मार्गों के माध्यम से माल परिवहन व्यवसाय को बढ़ाना शामिल है। सहयोग के अन्य क्षेत्रों में कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरक व्यापार को बढ़ाना, परमाणु ऊर्जा सहित ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करना, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए संवाद को मजबूत करना, डिजिटल अर्थव्यवस्था में निवेश और संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देना, दवाओं की आपूर्ति में सहयोग और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है।
6 साल में 100 बिलियन डॉलर का लक्ष्य
संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने “भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को खत्म करने” और “ईएईयू-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना सहित द्विपक्षीय व्यापार के उदारीकरण के लिए बातचीत जारी रखने” पर सहमति व्यक्त की। दोनों देशों की इस पहल का उद्देश्य वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के आपसी व्यापार के लक्ष्य को प्राप्त करना है। इसमें संतुलित द्विपक्षीय व्यापार के लिए भारत से वस्तुओं की आपूर्ति बढ़ाना शामिल है। इसके साथ ही निवेश गतिविधियों को फिर से सक्रिय करने पर भी सहमति बनी।
संयुक्त वक्तव्य में भारत और रूस ने “राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करते हुए द्विपक्षीय निपटान प्रणाली के विकास” पर सहमति जताई। इसका मतलब यह है कि भारत संभावित रूप से रूस से किसी भी खरीद, जैसे कच्चे तेल, के लिए भारतीय रुपये में भुगतान करेगा। बदले में रूस भारत से आयात के लिए भारतीय मुद्रा का उपयोग कर सकता है। इसी तरह रूसी मुद्रा रूबल का उपयोग भी संभव है। दोनों नेताओं ने उत्तर-दक्षिण अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री रेखा के नए मार्गों को शुरू करने पर भी सहमति जताई। वक्तव्य के अनुसार, माल की बाधा मुक्त आवाजाही के लिए डिजिटल प्रणालियों का उपयोग करके सीमा शुल्क प्रक्रियाओं में सुधार करने पर भी सहमति बनी।
कृषि, परमाणु ऊर्जा से लेकर पेट्रोकेमिकल्स समेत कई क्षेत्रों में सहयोग
दोनों देशों ने कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ पशु चिकित्सा, स्वच्छता और कृषि उत्पादों में कीटनाशकों की मौजूदगी से संबंधित प्रतिबंधों को हटाने के लिए बातचीत करने पर भी सहमति जताई। बयान में कहा गया है, “समझौते में परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल्स समेत प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाना भी शामिल है।” दोनों पक्षों ने बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, वाहन उत्पादन और जहाज निर्माण, अंतरिक्ष और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को आगे बढ़ाने पर भी सहमति जताई। इसके अलावा, सहायक कंपनियों और औद्योगिक समूहों का गठन करके एक-दूसरे के बाजारों में भारतीय और रूसी कंपनियों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने पर भी सहमति बनी।
बैठक पर अमेरिका ने क्या कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा पर अमेरिका ने भारत की ओर से मास्को को स्पष्ट संदेश दिया। उसने कहा कि यूक्रेन में चल रहे संघर्ष का कोई भी समाधान संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। पीएम मोदी की मास्को यात्रा से संबंधित सवालों का जवाब देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि भारत एक रणनीतिक साझेदार है, जिसके साथ अमेरिका की खुली और ईमानदार बातचीत है, जिसमें रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर चिंताएं भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हम भारत से आग्रह करेंगे, जैसा कि हम किसी भी देश से अपेक्षा करते हैं, कि जब वह रूस से मिले तो वह स्पष्ट करे कि यूक्रेन में संघर्ष का कोई भी समाधान संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करता है और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता, यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान करता है।”
भारत ने इस तरह दिया जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को स्पष्ट संदेश दिया कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ता सफल नहीं होती है। रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय ‘क्रेमलिन’ में पुतिन के साथ शिखर वार्ता से पहले अपने आरंभिक वक्तव्य में मोदी ने यूक्रेन में बच्चों के अस्पताल पर हुए बम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि मासूम बच्चों की मौत दिल दहला देने वाली और बेहद दर्दनाक है। एक दिन पहले कीव में बच्चों के अस्पताल पर संदिग्ध रूसी मिसाइल से हमला हुआ था, जिस पर वैश्विक स्तर पर नाराजगी जताई गई है। पुतिन ने भी पीएम मोदी की इस सलाह को गंभीरता से लिया और यूक्रेन संकट को सुलझाने में भारत के योगदान की सराहना की।
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