Khabron Ke Khiladi: रायबरेली में जीत के बाद लगातार दौरे कर रहे राहुल गांधी, क्या अमेठी की हार से ले लिया सबक?

 Khabron Ke Khiladi: रायबरेली में जीत के बाद लगातार दौरे कर रहे राहुल गांधी, क्या अमेठी की हार से ले लिया सबक?



लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद राहुल गांधी के तेवर काफी बदले हुए हैं। रायबरेली लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करने के बाद नेता प्रतिपक्ष बने राहुल गांधी लगातार दौरे कर रहे हैं। मणिपुर से लेकर हाथरस तक राहुल जा चुके हैं। अपनी संसदीय सीट रायबरेली के भी राहुल एक से अधिक दौरे कर चुके हैं। राहुल के इस बदले तेवर पर ही इस हफ्ते के 'खबरों के खिलाड़ी' में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, राकेश शुक्ल और अवधेश कुमार मौजूद रहे। 
विनोद अग्निहोत्री: राहुल गांधी और कांग्रेस को यह बात समझ में आ गई है कि जब तक वो उत्तर भारत खासतौर पर उत्तर प्रदेश में खुद को मजबूत नहीं करती है तब तक केंद्र में सरकार बना पाना मुश्किल है। दूसरी बात राहुल गांधी ने जो गलती अमेठी में की थी उससे भी उन्होंने सबक ले लिया है। भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की समझ बढ़ी कि जब तक वो लोगों के बीच नहीं रहेंगे तब तक उनकी छवि एक गंभीर नेता की नहीं बनेगी। सबसे बड़ी बात राहुल गांधी का शुक्रवार को दिया बयान है, जिसमें उन्होंने स्मृति ईरानी का बचाव किया। यह भी एक सकारात्मक राजनीति का संकेत है। 
समीर चौगांवकर: जिस तरह के परिणाम उत्तर प्रदेश आए निश्चित रूप से यह भाजपा के लिए चिंता का विषय है। फिलहाल ऐसा दिख रहा है कि राहुल गांधी पूर्णकालिक नेता बनने की प्रक्रिया में है। वो रायबरेली जाते हैं, हाथरस जाते हैं, मणिपुर चले जाते हैं। निश्चित रूप से इससे राहुल गांधी अपनी छवि को तोड़ने में सफल रहे हैं। अगर आगे के 59 महीने भी राहुल गांधी इसी तरह से लोगों के मुद्दे उठाते रहे तो इससे कांग्रेस को फायदा होगा। यह कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत है। राहुल गांधी के लिए अब यह चुनौती है कि वो 99 सीटों को अगले पांच साल में आगे बढ़ा सकें। इन सीटों से आप थोड़ा आगे बढ़े हो लेकिन इसे अगर जीत मान लिया तो यह जल्दबाजी होगी। यह राहुल गांधी पर निर्भर करेगा कि वह कैसे पूरे विपक्ष को साथ लेकर चलते हैं। 

Post a Comment

0 Comments

Close Menu