Paris Olympics: ओलंपिक पदक के करीब पहुंचकर मिल्खा सिंह-पीटी उषा जैसे दिग्गजों को मिली थी निराशा, जानें इतिहास
वैश्विक मंच पर भारतीय खिलाड़ी कई बार बेहद करीब से ओलंपिक पदक जीतने से चूक गए थे। इसकी शुरुआत 1956 मेलबर्न ओलंपिक में हुई थी और यह टोक्यो में हुए पिछले ओलंपिक तक जारी रहा। आइये जानते हैं...
पेरिस ओलंपिक की शुरुआत में ठीक एक हफ्ते का समय बचा है। 26 जुलाई से इस टूर्नामेंट का आगाज होगा जिसमें भारतीय खिलाड़ी भी दम-खम दिखाते नजर आएंगे। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने कुल 117 एथलीट्स को आगामी टूर्नामेंट के लिए भेजा है। भारत को इनसे अच्छे प्रदर्शन और पदक की उम्मीद है। टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत ने एक स्वर्ण के साथ कुल सात पदक अपने नाम किए थे।
आज हम आपको उन मौकों के विषय में बताएंगे जब खेल के सबसे बड़े वैश्विक मंच पर भारतीय खिलाड़ी कई बार बेहद करीब से ओलंपिक पदक जीतने से चूक गए थे। इसकी शुरुआत 1956 मेलबर्न ओलंपिक में हुई थी और यह टोक्यो में हुए पिछले ओलंपिक तक जारी रहा। आइये जानते हैं...
मेलबर्न ओलंपिक, 1956
मेलबर्न ओलंपिक, 1956 में भारतीय फुटबॉल टीम ने क्वॉर्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिाय को 4-2 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी। इस मुकाबले में नेविल डिसूजा ने लगातार तीन गोल किए थे और ओलंपिक में हैट्रिक गोल करने वाले पहले एशियाई बने थे। ऐसा ही प्रदर्शन उन्होंने सेमीफाइनल में किया था। हालांकि, यूगोस्लाविया ने दूसरे हाफ में वापसी करते हुए मुकाबला अपने नाम कर लिया था। कांस्य पदक मुकाबले में भारत बुल्गारिया से 0-3 से हार गया था।
रोम ओलंपिक, 1960
रोम ओलंपिक 1960 में भारत के महान मिल्खा सिंह ने 400 मीटर फाइनल में पदक के लिए दावेदारी पेश की थी। हालांकि, वह सेकंड के 10वें हिस्से से कांस्य पदक से चूक गए थे।
इस हार से वह बुरी तरह टूट गए थे और ‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर इस दिग्गज ने खेल लगभग छोड़ ही दिया था। इसके बाद उन्होंने 1962 के एशियाई खेलों में वापसी करते हुए दो स्वर्ण पदक जीते।
0 Comments