शिमला से राष्ट्रपति निवास रिट्रीट मशोबरा तक मिलेगी मुफ्त बस सेवा

 शिमला से राष्ट्रपति निवास रिट्रीट मशोबरा तक मिलेगी मुफ्त बस सेवा


President’s Residence Shimla: शिमला ऐतिहासिक इमारतों का शहर है। ब्रिटिश शासन के दौरान यहां बनी हर इमारत अपने आप में एक कहानी समेटे हुए है। यहां वर्ष 1850 में बनी एक ऐसी ही इमारत है, जिसका निर्माण कोटी के राजा ने करवाया था।

वर्तमान में यह देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान है। पूरे देश में राष्ट्रपति के केवल तीन निवास स्थान हैं। इनमें दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन के अलावा हैदराबाद, देहरादून और शिमला के राष्ट्रपति निवास शामिल हैं। रिट्रीट मशोबरा राष्ट्रपति का ग्रीष्मकालीन रिट्रीट है। देश के राष्ट्रपति गर्मियों में यहां प्रवास के लिए आते हैं।

शिमला से राष्ट्रपति निवास तक निशुल्क यात्रा

वर्ष 2023 में अप्रैल माह में राष्ट्रपति निवास को आम जनता के भ्रमण के लिए भी खोल दिया गया। 25 जुलाई को देश की वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपना दो वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति निवास की ओर से एक विशेष सुविधा प्रदान की जा रही है। यहां आने वाले पर्यटकों और लोगों को निशुल्क बस सुविधा प्रदान की जा रही है। यह बस शिमला की लिफ्ट की पार्किंग के पास से छराबड़ा तक चलाई जा रही है।

एचआरटीसी की इस बस में आवागमन पूरी तरह निशुल्क है। राष्ट्रपति निवास में आने के इच्छुक लोग इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। फिलहाल यह निशुल्क बस सुविधा शुक्रवार, शनिवार और रविवार को दी जा रही है। हिमाचल पथ परिवहन निगम की यह बस टॉलैंड, छोटा शिमला, संजौली और ढली टनल से लिफ्ट के जरिए छराबड़ा पहुंचती है।

1860 में वायसराय को देने पड़े थे 2,825 रुपये

1860 में कोटी के राजा ने इस ऐतिहासिक भवन का निर्माण करवाया था। उस समय यहां सिर्फ एक मंजिल थी। 1860 में एम.सी. कमिश्नर लॉर्ड विलियम ने कोटी के राजा से इस भवन को लीज पर ले लिया था। उस समय उन्होंने इस भवन को लीज पर लेने के लिए 2,825 रुपये की भारी भरकम रकम चुकाई थी। 1890 में इस भवन में दो मंजिलें बनाई गईं। यह ऐतिहासिक भवन 10,628 वर्ग फीट में फैला हुआ है।

आजादी से पहले यहीं रहते थे वायसराय

आजादी से पहले इसी ऐतिहासिक भवन में वायसराय रहा करते थे। वे ऑब्जर्वेटरी हिल पर बने वायसराय लॉज भवन से वीकेंड पर यहां आया करते थे। वायसराय लॉज की यह इमारत आज भारतीय उन्नत अध्ययन संस्थान के नाम से जानी जाती है, जिसका निर्माण वर्ष 1888 में पूरा हुआ था।

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