चीन की सेना पैंगोंग झील के आसपास बना रही सैन्य अड्डा, मलिकार्जुन बोले, ‘मोदी की चीनी गारंटी’ जारी
Delhi News: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रविवार को भारत-चीन सीमा से जुड़े मुद्दे पर मोदी सरकार पर फिर निशाना साधा। खड़गे ने कहा कि केंद्र सरकार को चीन के साथ सीमा पर स्थिति के बारे में देश को विश्वास में लेना चाहिए। खड़गे ने ‘एक्स’ पर एक खबर साझा की, जिसमें सैटेलाइट तस्वीरों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि चीनी सेना लंबे समय से पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास के इलाके में खुदाई कर रही है और इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण अड्डे पर हथियार और ईंधन रखने के लिए भूमिगत बंकर और बख्तरबंद वाहनों के लिए शेल्टर बनाए हैं।
खड़गे ने एक्स पोस्ट पर कहा?
खड़गे ने अपने एक्स पोस्ट पर कहा, ‘चीन पैंगोंग सो के पास की जमीन पर सैन्य अड्डा कैसे बना सकता है, जो मई 2020 तक भारत के कब्जे में थी।’ खड़गे के पोस्ट पर भाजपा या केंद्र सरकार की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सत्तारूढ़ दल और सरकार ने पिछले दिनों इस मुद्दे पर कांग्रेस के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है। भारत ने चीन के साथ शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शेष क्षेत्रों से ‘पूर्ण सैन्य वापसी’ के महत्व पर जोर दिया है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पोस्ट में कहा, ‘हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गलवान घाटी प्रकरण पर दी गई ‘क्लीन चिट’ के पांचवें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, जहां हमारे बहादुर सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, चीन हमारी क्षेत्रीय अखंडता पर अतिक्रमण करना जारी रखता है। उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल 2024 का दिन याद रखें, जब विदेशी प्रेस को दिए गए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष मजबूती से रखने में विफल रहे थे।
चीन पर जयशंकर पर भी निशाना
खड़गे ने कहा कि विदेश मंत्री का 13 अप्रैल 2024 का बयान कि ‘चीन ने हमारी किसी जमीन पर कब्जा नहीं किया है’ मोदी सरकार की चीन के प्रति नरम नीति को उजागर करता है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा कि 4 जुलाई 2024 को अपने चीनी समकक्ष के साथ बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री ने कहा था कि एलएसी का सम्मान करना और सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना आवश्यक है।’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चीन ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने और सिरिजाप में सैन्य अड्डा बनाने के लिए आक्रामक रुख अपनाया है, जबकि यह जमीन कथित तौर पर भारतीय नियंत्रण में थी। उन्होंने आरोप लगाया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बनाए नहीं रखने के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने 65 में से 26 गश्त बिंदुओं (पीपी) पर कब्जा खो दिया है, जिसमें देपसांग, डेमचोक और गोगरा हॉट स्प्रिंग क्षेत्र के मैदानी इलाकों में स्थित बिंदु शामिल हैं।
‘मोदी की चीनी गारंटी’ जारी है
खड़गे ने आरोप लगाया कि ‘मोदी की चीनी गारंटी’ जारी है, क्योंकि उनकी सरकार अपनी ‘लाल आंख’ पर 56 इंच का बड़ा ‘चीनी ब्लिंकर’ लगाती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक बार फिर एलएसी पर सीमा की स्थिति पर देश को विश्वास में लेने की अपनी मांग दोहराती है। खड़गे ने कहा, “हम अपने बहादुर सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।” पूर्वी लद्दाख में मई 2020 से ही भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध जारी है और सीमा विवाद अभी पूरी तरह से हल नहीं हुआ है, हालांकि दोनों देशों के सैनिक गतिरोध के कई बिंदुओं से पीछे हटे हैं। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी खराब हो गए हैं। यह कई दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल नहीं हो जाती, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों ने अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता की है।
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