प्रेस फ्रीडम का रोना रोने वाले जर्मनी ने कॉम्पैक्ट पत्रिका को किया बैन, कई जगह मारे छापे; जानें क्या लगाए आरोप

 प्रेस फ्रीडम का रोना रोने वाले जर्मनी ने कॉम्पैक्ट पत्रिका को किया बैन, कई जगह मारे छापे; जानें क्या लगाए आरोप




Berlin News: मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता की वकालत करने वाले जर्मनी ने खुद अपने देश की पत्रिका कॉम्पैक्ट को बैन कर दिया है. कॉम्पैक्ट मैगजीन पर ‘नफरत फैलाने’ का आरोप लगाते हुए यह बैन लगाया गया है. कॉम्पैक्ट को लेकर जर्मनी ने कहा कि वह ‘दक्षिणपंथी चरमपंथ’ को प्रचारित प्रसारित करने का ‘मुखपत्र’ है और यह यहूदियों और विदेशियों के प्रति नफरत भड़का रही है. जर्मनी में यह बैन दक्षिणपंथ के तेजी से प्रचार प्रसार और बढ़ते समर्थन के बीच लगाया गया है. वैसे अब तक के इतिहास को देखें तो जर्मनी में मीडिया पर प्रतिबंध बहुत कम ही सामने आए हैं.

जर्मनी सरकार ने छापे मारे और दिया सख्त संदेश…

जर्मनी के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी ने मंगलवार को इस पर यहूदियों, अप्रवासी मूल के लोगों और संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगाया है. मंत्रालय का कहना है कि मैगजीन यहूदियों और विदेशियों को लेकर नफरत भड़काती है. जर्मनी की इंटीरियर मिनिस्टर नैन्सी फेसर ने कहा कि हमारा मेसेज क्लियर है, हम जातीयता के आधार पर यह परिभाषित होने नहीं देंगे कि कौन जर्मनी से बिलॉन्ग करता है और कौन नहीं…. फेसर कॉम्पैक्ट और इसे पब्लिश करने वाली कंपनी, कॉम्पैक्ट-मैगजीन जीएमबीएच (Compact-Magazin GmbH), साथ ही एक फिल्म निर्माण कंपनी, कॉन्स्पेक्ट फिल्म पर भी प्रतिबंध लगाया है. मंत्रालय ने कहा कि पुलिस ने संगठनों, उनके मैनेजमेंट और शेयरहोल्डरों से जुड़े चार जर्मन एरियाज़ में संपत्तियों और अपार्टमेंटों पर भी छापे मारे हैं

कॉम्पैक्ट मैगजीन क्या है और क्यों है यह इतनी महत्वपूर्ण…

मैगजीन के प्रधान संपादक जुएर्गेन एल्सेसेर ने इस बैन को तानाशाही बताया. उन्होंने कहा कि यह जर्मन प्रेस की स्वतंत्रता पर अब तक का सबसे खराब हमला है. कॉम्पैक्ट मैगजीन दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पार्टी के कट्टरपंथी विंग के मुखपत्र (माउथपीस) के रूप में देखा जाता है. इसका सर्कुलेशन 40,000 है और सोशल मीडिया पर इसकी उपस्थिति अच्छी खासी है. यह प्रतिबंध कॉम्पैक्ट की सहायक कंपनी कॉन्स्पेक्ट फिल्म पर भी लागू है और पिछली हर संबंधित ऐक्टिविटी को जारी रखने पर रोक लगाता है. वहीं, एएफडी नेताओं का कहना है कि यह प्रतिबंध प्रेस की स्वतंत्रता को कमजोर करता है. 

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