महिलाओं में तनाव बनता है कोर्टिसोल बैली का कारण, जानें इसे कैसे कम करना है

महिलाओं में तनाव बनता है कोर्टिसोल बैली का कारण, जानें इसे कैसे कम करना है
जीवन में बढ़ने वाला तनाव बैली फैट का कारण बनने लगता है, जिसे कोर्टिसोल बैली भी कहा जाता है। इससे मोटापे के अलावा अन्य स्वास्थ्य जोखिम बढ़ने का खतरा भी बना रहता है। जानते हैं कोर्टिसोल बैली से राहत पाने के उपाय
Cortisol Belly fat ko kaise kum karein
लगातार हाई लेवल स्ट्रेस के कारण शरीर के मध्य भाग में वसा जमा हो जाती है। चित्र- अडोबी स्टॉक
जीवन में दिनों दिन बढ़ने वाला तनाव डायबिटीज़ और हृदय संबधी रोगों के अलावा मोटापे का कारण भी साबित हो रहा है। वे लोग जो किसी न किसी कारण हर दम तनाव में रहते हैं, उन्हें अधिकतर बैली फैट (belly fat) का सामना करना पड़ता है, जिसे कोर्टिसोल बैली (cortisol belly) कहा जाता है। इससे मोटापे के अलावा अन्य स्वास्थ्य जोखिम बढ़ने का खतरा बना रहता है। जानते हैं कोर्टिसोल बैली कैसे बढ़ने लगती है और इसे रिवर्स करने के उपाय

इस बारे में मनस्थली संस्था की फाउंडर और सीनियर साइकोलोजिस्ट डॉ ज्योति कपूर बताती हैं कि तनाव के कारण शरीर में होने वाले हार्मोन सिक्रीशन के चलते कोर्टिसोल बैली फैट (cortisol belly fat) का सामना करना पड़ता है। तनाव के चलते एपिटाइट (appetite) बढ़ जाता है, जो ओवरइटिंग (overeating) का कारण सिद्ध होता है। इसके अलावा क्रोनिक सूजन और नींद की कमी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते कोर्टिसोल बैली की समस्या बढ़ने लगती है। इससे बचने के लिए मानसिक स्वास्थ्य (mental health) पर ध्यान देना आवश्यक है। इसके अलावा एक्सरसाइज़ और हेल्दी फूड भी ज़रूरी है।

कैसे बढ़ती कोर्टिसोल बैली की समस्या (How Increasing Cortisol Belly Problem)

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ के अनुसार शरीर में कोर्टिसोल (cortisol) की ज्यादा मात्रा ग्लूकोज उत्पादन को उत्तेजित करने लगता है। ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर फैट्स में कनवर्ट होकर शरीर में स्टोर होने लगता है। वे लोग जो लो मेटाबॉलिज्म (metabolism) से ग्रस्त है, उन्हें कुशिंग सिंड्रोम का सामना करना लगती है। कार्टिसोल का उच्च स्तर फैट स्टोड़ता है।


insulin resistance ke karan ho sakta hai belly fat

तनाव वजन बढ़ने के प्रमुख कारणों में से एक है, खासकर पेट क्षेत्र में। चित्र : अडोबी स्टॉक

कोर्टिसोल बैली किसे कहते हैं (What is cortisol belly)

इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि अनियमित लाइफस्टाइल और अनहेल्दी खानपान शरीर में कोर्टिसोल के बढ़ने का कारण साबित होता है। दरअसल, कोर्टिसोल एक स्ट्रेस हार्मोन (stress hormone) है, इसके चलते एक्युमिलेट होने लगते हैं। ये हार्मोन एड्रिनल ग्लैंड से रिलीज़ होने लगता है। शरीर में इसकी अत्यधिक मात्रा होने भूख बढ़ने,   (metabolism disorder) और फैट्स स्टोरज़ की समस्या का सामना करना पड़ता है। पेट पर जमा होने वाली चर्बी से हाई ब्लड प्रेशर, इंसुलिन प्रतिरोध और मोटापे (obesity) का जोखिम बढ़ जाता है।

जानें कोर्टिसोल बैली को रिवर्स करने की टिप्स (Tips to reverse cortisol belly) 

1. शरीर को हाइड्रेटेड रखें (Hydration)

मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने और तनाव को कम करने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना आवश्यक है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की उच्च मात्रा बनी रहती है और मानसिक स्वास्थ्य (mental health) उचित बना रहता है। दिनभर में भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इसके अलावा हेल्दी पेय पदार्थ भी मददगार साबित होते हैं। मोटोपे (obesity) का कारण साबित होता है।

 स्लीप पैटर्न ठीक रखें (Follow sleep pattern)

नींद की कमी के चलते शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है। इसे नियंत्रित करने के लिए सोने और उठने का समय तय करें। स्लीप पैटर्न फॉलो करने से एपिटाइट नियंत्रित होने लगता है और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद मिलती है।

3. शारीरिक सक्रियता को बनाए रखें (Stay active)

शरीर को एक्टिव रखने से तनाव के स्तर में गिरावट आने लगती है। इससे शरीर में फील गुड केमिकल एंडोरफिन रिलीज़ होने लगते हैं। इससे शरीर में जमा चर्बी को बर्न करने में मदद मिलती है और शरीर के इम्यून सिस्टम (immune system) को भी मज़बूती मिलती है। सुबह उठकर कुछ देर एक्सरसाइज या फिर योग के लिए निकालें। इससे मसल्स को मज़बूती मिलती है और शरीर में बढ़ने वाली थकान औी आलस्य को भी दूर किया जा सकता है।

4. मेडिटेशन है ज़रूरी (meditation)

रोज़ाना दिन में कुछ देर मेडिटेशन करने से मन में उठने वाले विचारों को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मांइड एक्टिव और फोकस्ड रहता है। इसके अलावा ब्रेन सेल्स को बूस्ट करने में मदद मिलती है। साथ ही बार बार भूलने की समस्या को भी नियंत्रित किया जा सकता है। मेडिटेशन से विचारों में सकारात्मकता बढ़मी है, जिससे कोर्टिसोल के स्तर में गिरावट लाई जा सकती है।




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