महिला उद्यमियों के लिए अवसर जो महिलाएं उद्यमी बनना चाहती हैं, उनके लिए अवसर बेहतर है, क्योंकि बजट में एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली कई घोषणाएं की गई हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुद्रा लोन की सीमा बढ़ाने की सराहनीय घोषणा की है। पहले मुद्रा लोन के अंतर्गत 10 लाख रुपये की सीमा थी, जिसे अब तरुण श्रेणी के अंतर्गत बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया गया है। वहीं, औसत ऋण का आकार मौजूदा चालीस हजार रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये कर दिया गया है।
लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन केंद्रीय बजट 2024 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने की महत्वपूर्ण घोषणा की गई है। यह खासकर महिला उद्यमियों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है, जो भारत में एमएसएमई सेक्टर के विकास और उसके संचालन में अहम भूमिका निभा रही हैं। इसमें नई क्रेडिट गारंटी यो
जना विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इससे महिलाओं के नेतृत्व वाले एमएसएमई उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। उन्हें मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए सावधि ऋण आसानी से मिल सकेगा, जो महिला उद्यमियों के साथ ही उनके साथ काम करने वाली महिलाओं को भी सशक्त करेगा।
उद्यम इसका खासा प्रभाव देखने को मिलेगा। यह कदम महिला उद्यमियों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगा। खाद्य प्रसंस्करण या परिधान विनिर्माण क्षेत्रों, जिनमें काम को बढ़ाने के लिए अक्सर पर्याप्त पूंजी की जरूरत होती है, में अब महिलाओं को आसानी से ज्यादा ऋण मिलेगा, जिससे निश्चित रूप से उन्हें अपना उद्यम संचालित करने में सहूलियत होगी। ध्यान देने वाली बात है कि जब काम के लिए आसानी से
• मदद मिलेगी, तो ज्यादा से ज्यादा महिला उद्यमी एमएसएमई सेक्टर की ओर आकर्षित भी होंगी। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना अप्रैल 2015 में जारी की गई थी। इसमें गैर कॉर्पोरेट, गैर कृषि छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को लोन मिलता है।
एमएसएमई समूहों की सुविधा के लिए 24 नई सिडबी (स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया) की शाखाओं की स्थापना करने का निर्णय भी एक स्वागतयोग्य कदम है। ये जो नई शाखाएं खुलेंगी, उनके माध्यम से ऋण और निवेश की जटिलताओं का समाधान होगा। साथ ही ये शाखाएं महिला उद्यमियों को जरूरी वित्तीय मार्गदर्शन प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएंगी।
सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर स्थापित ई-कॉमर्स निर्यात केंद्रों में भी अपार संभावनाएं हैं। इससे कढ़ाई, मिट्टी के बर्तन या धातु के काम में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली महिला शिल्पकार अब अपने उत्पादों को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित कर सकती हैं। यह पहल इन प्रतिभाशाली महिलाओं की आय बढ़ाने के साथ ही उनको खास पहचान दिलाने में उल्लेखनीय योगदान दे सकती है।
बजट में एमएसएमई ऋण के लिए एक नए मूल्यांकन मॉडल का प्रस्ताव किया गया, जिसमें सार्वजनिक बैंक डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर इन- हाउस मॉडल विकसित कर रहे हैं। यद्यपि प्रगतिशील होते हुए भी डिजिटल विभाजन को संबोधित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार द्वारा प्रायोजित डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों या कार्यशालाओं के माध्यम से इस अंतर को पाटना यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि सभी महिलाओं को इन नए ऋण प्रारूपों से लाभ मिलेगा। केंद्रीय बजट में रोजगार और कौशल पर जोर देना भी सराहनीय है। 1.48 लाख करोड़ रुपयों का आवंटन सरकार के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाता है। कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल, क्रेच और महिला विशिष्ट कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने वाली पहल से कार्यबल में महिला भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
इसके अतिरिक्त, एमएसएमई क्षेत्र में 50 बहुउत्पाद खाद्य विकिरण इकाइयां स्थापित करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में बदलाव सहित 60 समूहों में ऊर्जा ऑडिट की सुविधा के प्रस्ताव सही दिशा में उठाए गए कदम हैं। ये उपाय न केवल एमएसएमई सेक्टर की स्थिरता को बढ़ाएंगे, बल्कि इन उभरते क्षेत्रों में महिला उद्यमियों के लिए नए अवसर भी पैदा करेंगे। कुल मिलाकर, वित्तीय सहायता प्रदान करके, ऋण पहुंच बढ़ाकर और कौशल विकास को बढ़ावा देकर, ये उपाय महिला उद्यमियों को महत्वपूर्ण रूप से सशक्त बना सकते हैं। हालांकि, बजट में एमएसएमई सेक्टर को लेकर की गई घोषणाएं जमीनी स्तर पर प्रभावी रूप से क्रियान्वित हो और उन तक लोगों की पहुंच हो सके, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
यह काम सरकार के स्तर पर, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) और निजी संस्थान मिलकर कर सकते हैं। इससे भारत में महिलाओं के नेतृत्व में आर्थिक विकास के नए दरवाजे खुल जाएंगे।
जिला संवाददाता मयंक शेखर मिश्रा
अखण्ड भारत दर्पण न्यूज प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
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