WHO ने की चेतावनी: 100 करोड़ से अधिक लोगों को सुनने की समस्या का खतरा, क्या आप भी कर रहे हैं ये गलतियाँ?

 WHO ने की चेतावनी: 100 करोड़ से अधिक लोगों को सुनने की समस्या का खतरा, क्या आप भी कर रहे हैं ये गलतियाँ?


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है जिसमें बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर सुनने की क्षमता में कमी और बहरेपन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 12 से 35 वर्ष की आयु के एक बिलियन (100 करोड़) से अधिक लोगों को सुनने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इसके मुख्य कारणों में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, विशेषकर ईयरबड्स और हेडफोन का बढ़ता उपयोग शामिल है।

सुनने की क्षमता में कमी का बढ़ता खतरा

हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि तेज आवाज वाले उपकरण, जैसे कि ईयरबड्स और हेडफोन, आंतरिक कान को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लंबे समय तक उच्च ध्वनि में संगीत सुनने और शोरगुल वाली जगहों पर रहने से कानों की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 65 प्रतिशत लोग ईयरबड्स या हेडफोन के माध्यम से 85 डेसिबल (dB) से अधिक आवाज में संगीत सुनते हैं, जो कानों के आंतरिक हिस्से के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

ईयरबड्स और हेडफोन्स का खतरा

ईयरबड्स और हेडफोन्स का उपयोग करने वाले लोगों के लिए, सुनने की समस्या का खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि ये उपकरण अक्सर उच्च ध्वनि पर सेट किए जाते हैं। लंबे समय तक इस प्रकार के उच्च ध्वनि के संपर्क में आने से आंतरिक कान की कोशिकाओं को क्षति हो सकती है, और इस क्षति का ठीक होना मुश्किल हो सकता है। समय के साथ, यह समस्या गंभीर रूप ले सकती है और सुनने की क्षमता में और कमी आ सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता

कोलोराडो विश्वविद्यालय में ईएनटी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. डैनियल फिंक ने इस बढ़ते खतरे के बारे में चिंता व्यक्त की है। उनके अनुसार, युवा आबादी में ईयरबड्स और हेडफोन्स का बढ़ता उपयोग 40 की उम्र तक सुनने की क्षमता को कमजोर कर सकता है। डॉ. फिंक ने कहा कि चिकित्सा और ऑडियोलॉजी समुदाय को इस गंभीर खतरे की ओर ध्यान देना चाहिए और इसके समाधान की दिशा में प्रयास करने चाहिए।

सुनने की कमी और मस्तिष्क स्वास्थ्य

सुनने की समस्या केवल कानों की समस्या तक ही सीमित नहीं है। 2011 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, सुनने की क्षमता में कमी होने से मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों जैसे कि डिमेंशिया का जोखिम भी बढ़ जाता है। सुनने की क्षमता में कमी वाले लोगों में डिमेंशिया होने का जोखिम दो गुना अधिक पाया गया है। वहीं, जो लोग पूरी तरह से बहरे हैं या बहरेपन के शिकार हैं, उनमें डिमेंशिया का खतरा पांच गुना अधिक हो सकता है।

ध्वनि के स्तर को नियंत्रित करना

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि ध्वनि को डेसिबल (dB) में मापा जाता है। सामान्यतः 60-70 डेसिबल की ध्वनि को सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, 85 डेसिबल या उससे अधिक की ध्वनि के लंबे समय तक संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता में कमी हो सकती है। ईयरबड्स और हेडफोन्स जैसी तकनीकें 100 डेसिबल से अधिक की ध्वनि उत्पन्न कर सकती हैं, जो कानों की कोशिकाओं को क्षति पहुंचा सकती हैं और सुनने की समस्या को बढ़ा सकती हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सुझाव

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ध्वनि के स्तर को नियंत्रित रखने की सलाह दी है। जब भी ईयरबड्स या हेडफोन का उपयोग करें, सुनिश्चित करें कि ध्वनि का स्तर 60 डेसिबल से कम हो और लंबे समय तक उच्च ध्वनि में न सुनें। इसके अलावा, सार्वजनिक स्थानों पर या शोरगुल वाली जगहों पर होने पर भी कानों की सुरक्षा का ध्यान रखें।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट ने यह भी सुझाव दिया है कि लोगों को अपने सुनने की क्षमता की नियमित जांच करनी चाहिए और यदि किसी प्रकार की सुनने की समस्या महसूस हो, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लें।



एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या

सुनने की क्षमता में कमी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ईयरबड्स और हेडफोन्स के बढ़ते उपयोग के साथ, यह समस्या और भी बढ़ सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि लोग ध्वनि के स्तर को नियंत्रित रखें और कानों की सुरक्षा का ध्यान रखें। अपने कानों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और किसी भी प्रकार की समस्या के संकेत मिलने पर तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श करें।

नोट: आपकी सुनने की क्षमता और कानों के स्वास्थ्य के लिए उचित देखभाल और सावधानी आवश्यक है ताकि भविष्य में किसी प्रकार की गंभीर समस्या से बचा जा सके।

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