बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया की लत: एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट

बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया की लत: एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट

social media ke algorithm iss tarah set kiye jate hain ki bachche uuski jakad me aa jate hain.
आज की डिजिटल दुनिया में सोशल मीडिया का प्रभाव हर जगह दिखता है, चाहे वह वयस्क हो, किशोर हो, या फिर बच्चे। पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया ने हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। लेकिन जो बात सबसे ज्यादा चिंताजनक है, वह है बच्चों और किशोरों में सोशल मीडिया की बढ़ती लत। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और व्हाट्सएप ने न केवल मनोरंजन के साधन के रूप में बल्कि एक मानसिक स्वास्थ्य संकट के रूप में भी उभर कर सामने आया है।

सोशल मीडिया और बच्चों की मानसिकता पर प्रभाव

डॉ. बेजी जैसन, एक प्रसिद्ध पीडियाट्रिशियन, के अनुसार, सोशल मीडिया के अल्गोरिदम इस तरह से सेट किए गए हैं कि ये बच्चों और किशोरों को अपनी ओर खींचते हैं, और धीरे-धीरे उन्हें इस हद तक प्रभावित करते हैं कि वे इसका शिकार हो जाते हैं। यह प्रक्रिया इतनी सूक्ष्म और चालाकी से होती है कि बच्चे और किशोर इसमें फंस कर रह जाते हैं। वे इसे केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि अपने मानसिक और भावनात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी उपयोग करने लगते हैं।

सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति की चेतावनी

यूएस के शीर्ष चिकित्सक, सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति, ने हाल ही में यूएस कांग्रेस को चेतावनी दी थी कि सोशल मीडिया बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को डाउनलोड करने से पहले एक वैधानिक चेतावनी दी जानी चाहिए, जैसे सिगरेट के पैकेट्स पर दी जाती  है। उनका कहना था कि सोशल मीडिया की लत बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दे सकती है, जो उनके भविष्य के विकास के लिए हानिकारक है।

सोशल मीडिया की लत: एक महामारी

पिछले दशक में, सोशल मीडिया की लत किसी संक्रमण की तरह फैली है। यह समस्या इतनी व्यापक हो गई है कि 13 से 17 वर्ष के 95% बच्चे किसी न किसी रूप में सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं, और इनमें से एक तिहाई से अधिक बच्चे लगातार इस पर सक्रिय रहते हैं। यह आदत धीरे-धीरे बच्चों और किशोरों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बनती जा रही है, और वे इसके बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर पा रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य पर सोशल मीडिया का प्रभाव

2019 में, जानी-मानी मेडिकल पत्रिका JAMA में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें इस बात की जांच की गई थी कि सोशल मीडिया पर बिताए गए समय का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे किशोरावस्था में तीन घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, वे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। यह समस्याएँ अवसाद, चिंता, और आत्म-सम्मान में कमी जैसी गंभीर मानसिक स्थिति का कारण बन सकती हैं।

क्या कहती है विज्ञान?

अनेक शोध बताते हैं कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सोशल मीडिया पर मिलने वाली अवास्तविक और छवि-संबंधी अपेक्षाओं के चलते बच्चे और किशोर आत्म-प्रशंसा  और आत्म-स्वीकृति के मामलों में संघर्ष करते हैं। वे अपनी वास्तविकता की तुलना उस आभासी दुनिया से करने लगते हैं, जो असल में होती ही नहीं। इसके चलते उनमें आत्म-संदेह, निराशा और अवसाद जैसी भावनाएँ उत्पन्न होने लगती हैं।

सोशल मीडिया की लत से उबरने के उपाय

डॉ. बेजी जैसन और अन्य विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल मीडिया की लत से बच्चों और किशोरों को बचाने के लिए माता-पिता और अभिभावकों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्हें बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों से अवगत कराना होगा और उन्हें इस बात की समझ देनी होगी कि इसका अत्यधिक उपयोग कितना हानिकारक हो सकता है।

कुछ महत्वपूर्ण कदम जो उठाए जा सकते हैं, वे हैं:

  • सोशल मीडिया का सीमित उपयोग: बच्चों को सोशल मीडिया पर बिताने का समय सीमित करना चाहिए। इसके लिए दिनचर्या में अन्य रचनात्मक और शारीरिक गतिविधियों को शामिल करना होगा।

  • खुले संवाद का महत्व: बच्चों से खुले तौर पर संवाद करना चाहिए, ताकि वे अपने मन की बात आसानी से कह सकें और सोशल मीडिया से जुड़े किसी भी नकारात्मक अनुभव को साझा कर सकें।

  • डिजिटल डिटॉक्स: समय-समय पर बच्चों को सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रखने का प्रयास करना चाहिए, जिससे वे वास्तविक दुनिया में जीने का आनंद ले सकें।

  • निगरानी और मार्गदर्शन: सोशल मीडिया पर बच्चों की गतिविधियों की निगरानी करते रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर सही दिशा में  

  • चाहिए और जरूरत पड़ने पर सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए।

  •  सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार

    सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार की तरह है, जो बच्चों और किशोरों के जीवन को प्रभावित कर रही है। जहां यह उन्हें दुनिया के साथ जुड़ने का अवसर देता है, वहीं इसके दुरुपयोग से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं। इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बच्चे और किशोर इसका उपयोग संयमित और सुरक्षित तरीके से करें, ताकि वे एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकें।

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