2019 में, जानी-मानी मेडिकल पत्रिका JAMA में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें इस बात की जांच की गई थी कि सोशल मीडिया पर बिताए गए समय का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। इस अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे किशोरावस्था में तीन घंटे से अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, वे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। यह समस्याएँ अवसाद, चिंता, और आत्म-सम्मान में कमी जैसी गंभीर मानसिक स्थिति का कारण बन सकती हैं।
क्या कहती है विज्ञान?
अनेक शोध बताते हैं कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। सोशल मीडिया पर मिलने वाली अवास्तविक और छवि-संबंधी अपेक्षाओं के चलते बच्चे और किशोर आत्म-प्रशंसा और आत्म-स्वीकृति के मामलों में संघर्ष करते हैं। वे अपनी वास्तविकता की तुलना उस आभासी दुनिया से करने लगते हैं, जो असल में होती ही नहीं। इसके चलते उनमें आत्म-संदेह, निराशा और अवसाद जैसी भावनाएँ उत्पन्न होने लगती हैं।
सोशल मीडिया की लत से उबरने के उपाय
डॉ. बेजी जैसन और अन्य विशेषज्ञों के अनुसार, सोशल मीडिया की लत से बच्चों और किशोरों को बचाने के लिए माता-पिता और अभिभावकों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। उन्हें बच्चों को सोशल मीडिया के खतरों से अवगत कराना होगा और उन्हें इस बात की समझ देनी होगी कि इसका अत्यधिक उपयोग कितना हानिकारक हो सकता है।
कुछ महत्वपूर्ण कदम जो उठाए जा सकते हैं, वे हैं:
सोशल मीडिया का सीमित उपयोग: बच्चों को सोशल मीडिया पर बिताने का समय सीमित करना चाहिए। इसके लिए दिनचर्या में अन्य रचनात्मक और शारीरिक गतिविधियों को शामिल करना होगा।
खुले संवाद का महत्व: बच्चों से खुले तौर पर संवाद करना चाहिए, ताकि वे अपने मन की बात आसानी से कह सकें और सोशल मीडिया से जुड़े किसी भी नकारात्मक अनुभव को साझा कर सकें।
डिजिटल डिटॉक्स: समय-समय पर बच्चों को सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रखने का प्रयास करना चाहिए, जिससे वे वास्तविक दुनिया में जीने का आनंद ले सकें।
निगरानी और मार्गदर्शन: सोशल मीडिया पर बच्चों की गतिविधियों की निगरानी करते रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर सही दिशा में
चाहिए और जरूरत पड़ने पर सही दिशा में मार्गदर्शन देना चाहिए।
सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार
सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार की तरह है, जो बच्चों और किशोरों के जीवन को प्रभावित कर रही है। जहां यह उन्हें दुनिया के साथ जुड़ने का अवसर देता है, वहीं इसके दुरुपयोग से उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर खतरे भी उत्पन्न हो रहे हैं। इसलिए, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बच्चे और किशोर इसका उपयोग संयमित और सुरक्षित तरीके से करें, ताकि वे एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकें।
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