केंद्र सरकार द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को 59.34 करोड़ रुपये जारी, साथ में दी गई सख्त चेतावनी
हिमाचल प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता
हिमाचल प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं के लिए केंद्र सरकार ने पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत 59.34 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया है। यह अनुदान राज्य के पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों के लिए निर्धारित किया गया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी किए गए इस अनुदान का उद्देश्य जमीनी स्तर पर विकास कार्यों को गति देना है।
अनुदान की शर्तें और चेतावनी
इस अनुदान के साथ केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार को सख्त निर्देश भी दिए हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह राशि संबंधित पंचायतों को सीधे हस्तांतरित की जानी चाहिए और किसी भी स्थिति में राज्य सरकार या कोई भी विभाग इसे अपने पास नहीं रख सकता। केंद्र से यह राशि प्राप्त होने के पंद्रह दिनों के भीतर इसे पंचायतों और अन्य संबंधित संस्थाओं को हस्तांतरित करना आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो राज्य सरकार को इस पर ब्याज देना होगा।
वित्त आयोग की सिफारिशों का पालन आवश्यक
केंद्र सरकार ने इस अनुदान का उपयोग कर्मचारियों के वेतन और स्थापना व्यय पर करने से भी मना किया है। इस संबंध में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के वित्त आयोग प्रभाग के निदेशक चिन्मय पुंडलीकराव गोटमारे ने राज्य सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज सचिव को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने राज्य सरकार को पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार निधियों के पारदर्शी और कुशल प्रबंधन के निर्देश दिए हैं।
निधि का उपयोग और परियोजनाओं की प्राथमिकताएं
यह अनुदान पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों का हिस्सा है और इसे ग्रामीण स्थानीय निकाय मूल अनुदान अनटाइड के तहत जारी किया गया है। इस अनुदान का उपयोग जमीनी स्तर पर विकास परियोजनाओं के लिए किया जाएगा, जिसमें विशेष रूप से उन क्षेत्रों में ध्यान दिया जाएगा जिन्हें पहले की योजनाओं से बाहर रखा गया था। इस धनराशि का वितरण 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाएगा, जिसमें सामान्य और अन्य मदों के लिए क्रमवार 90 और 10 प्रतिशत का भार रहेगा।
सरकार द्वारा विशेष दिशा-निर्देश जारी
पंचायती राज मंत्रालय ने इस अनुदान के उपयोग के लिए विशेष दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। इस निधि का उपयोग अनटाइड है, जिसका मतलब है कि इसका इस्तेमाल स्थानीय निकायों की आवश्यकताओं के अनुसार विभिन्न विकास गतिविधियों के लिए किया जा सकता है। राज्य सरकार को निधियों के पारदर्शी और कुशल प्रबंधन के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से जुड़े पंद्रहवें वित्त आयोग के अनुदानों के लिए अलग-अलग बैंक खाते खोलने के निर्देश दिए गए हैं।
ग्रामीण विकास और पंचायती राज
हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास और पंचायती राज सचिव के पास अब इस अनुदान के प्रभावी और समय पर वितरण की जिम्मेदारी है। इस अनुदान से राज्य की पंचायतों में विकास कार्यों को गति मिलने की संभावना है, और इससे ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान होगा। केंद्र सरकार की चेतावनी के साथ यह स्पष्ट हो जाता है कि इस धनराशि का समय पर और उचित उपयोग सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है।
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