मां वैष्णो देवी की कसम, भाजपा को वोट नहीं देंगे; विधानसभा चुनावों से पहले बगावत, सामूहिक इस्तीफे की दी धमकी

मां वैष्णो देवी की कसम, भाजपा को वोट नहीं देंगे; विधानसभा चुनावों से पहले बगावत, सामूहिक इस्तीफे की दी धमकी


 जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर असंतोष की लहर उठ चुकी है। पार्टी के टिकट बंटवारे को लेकर कई नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी है, और यह असंतोष अब खुलकर सामने आ चुका है। श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा द्वारा घोषित उम्मीदवार को लेकर जो विवाद उत्पन्न हुआ है, उसने पार्टी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

विवाद की शुरुआत: रोहित दुबे के समर्थकों की नाराजगी

यह विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा ने पहले घोषित उम्मीदवार रोहित दुबे की जगह पूर्व विधायक बलदेव राज शर्मा को श्री माता वैष्णो देवी विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया। इस फैसले के बाद रोहित दुबे के समर्थकों में भारी नाराजगी फैल गई। कटरा कस्बे के मुख्य चौक पर इकट्ठा होकर उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू किया और भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की। उनके नारों में गुस्सा और आक्रोश साफ झलक रहा था, जिसमें उन्होंने कहा, "हम मां वैष्णो देवी की कसम खाते हैं कि हम भाजपा को वोट नहीं देंगे और उसकी हार सुनिश्चित करेंगे।"

भाजपा के लिए चुनौती: सामूहिक इस्तीफे की धमकी

रोहित दुबे के समर्थकों ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफे की धमकी दी है। उनके अनुसार, पार्टी ने दुबे के साथ अन्याय किया है और अगर पार्टी हाईकमान ने अपना निर्णय नहीं बदला, तो वे भाजपा से अलग हो जाएंगे। इस स्थिति ने भाजपा के नेतृत्व को मुश्किल में डाल दिया है, क्योंकि विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस तरह के विद्रोह से पार्टी को गंभीर नुकसान हो सकता है।

रविंदर रैना का हस्तक्षेप: स्थिति को संभालने की कोशिश

इस विद्रोह को शांत करने के लिए भाजपा के जम्मू-कश्मीर प्रमुख रविंदर रैना को खुद कटरा पहुंचना पड़ा। उन्होंने दुबे और उनके समर्थकों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस मामले को पार्टी आलाकमान के सामने उठाएंगे। रैना ने कहा, "भाजपा एक परिवार है जो राष्ट्र प्रथम, पार्टी द्वितीय और स्वयं अंतिम के सिद्धांत में विश्वास करता है। मैं उनके मुद्दों को समझने और हल करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उनसे मिल रहा हूं।"

दुबे की अपील: विरोध प्रदर्शन स्थगित करने की सलाह

रविंदर रैना से मुलाकात के बाद, रोहित दुबे ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे अपना विरोध प्रदर्शन स्थगित कर दें। उन्होंने कहा, "पार्टी के फैसले से हम सभी निराश हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आज हम जो कुछ भी हैं, वह पार्टी के कारण हैं। पार्टी अध्यक्ष ने मुझे जम्मू बुलाया है और मामले को आलाकमान के सामने उठाने का आश्वासन दिया है। तब तक मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप धरना समाप्त कर दें।"

राजनीतिक गणित: बलदेव राज शर्मा की उम्मीदवारी

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा ने रोहित दुबे की जगह बलदेव राज शर्मा को उनके जनाधार को देखते हुए उम्मीदवार बनाया है। शर्मा का भोमग सहित वैष्णो देवी निर्वाचन क्षेत्र में मजबूत आधार है, जो चुनावी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, कटरा में दुबे का प्रभाव भी कम नहीं है, जिससे पार्टी के लिए संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

कांग्रेस का दखल: दुबे को समर्थन

रोहित दुबे को कांग्रेस के नेताओं से भी समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री जुगल किशोर शर्मा ने भाजपा के इस फैसले पर नाराजगी जताई और दुबे से मिलकर एकजुटता प्रकट की। उन्होंने संकेत दिया कि अगर भाजपा ने दुबे को उम्मीदवार नहीं बनाया, तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ने पर विचार कर सकते हैं। इस समर्थन ने स्थिति को और जटिल बना दिया है, जिससे भाजपा के लिए हालात और कठिन हो सकते हैं।

भाजपा के सामने चुनौती: एकता बनाए रखना

भाजपा के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर एकता बनाए रखना है। रोहित दुबे के समर्थकों का विद्रोह और सामूहिक इस्तीफे की धमकी पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अगर पार्टी इस मुद्दे को सुलझाने में विफल रहती है, तो आगामी विधानसभा चुनावों में इसका बड़ा असर देखने को मिल सकता है।

निष्कर्ष: भाजपा के लिए निर्णायक क्षण

जम्मू-कश्मीर में भाजपा के लिए यह समय निर्णायक साबित हो सकता है। पार्टी के भीतर उठे इस विद्रोह ने चुनावों से पहले भाजपा के लिए कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। रविंदर रैना और अन्य नेताओं की कोशिशें इस समय पार्टी को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। लेकिन, अगर असंतोष का यह माहौल समय पर शांत नहीं होता है, तो इसका सीधा असर भाजपा के चुनावी प्रदर्शन पर पड़ सकता है।

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