हिमाचल प्रदेश के राशन डिपो होल्डरों ने उठाई कमीशन बढ़ाने की मांग, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्ष ओबरॉय का सरकार से आग्रह
हिमाचल प्रदेश में राशन डिपो होल्डरों ने प्रदेश सरकार से अपनी कमीशन बढ़ाने की मांग उठाई है। यह मांग ऐसे समय में आई है जब सरकार ने आटा और चावल की नई दरें लागू करने की योजना बनाई है, जिससे आम जनता को इन आवश्यक वस्तुओं के लिए अधिक भुगतान करना पड़ेगा। डिपो होल्डर एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्ष ओबरॉय ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है, और सरकार से कमीशन बढ़ाने की अपील की है ताकि डिपो होल्डरों को उनकी मेहनत का उचित मुआवजा मिल सके।
नई दरें और जनता पर प्रभाव
हिमाचल प्रदेश सरकार ने आटा और चावल की नई दरें निर्धारित की हैं, जो जल्द ही लागू की जाएंगी। इस योजना के तहत, एपीएल (APL) उपभोक्ताओं को आटा अब 9.50 रुपये से 12 रुपये प्रति किलो और चावल 10 रुपये से 13 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्रदान किया जाएगा। वहीं, बीपीएल (BPL) उपभोक्ताओं को आटा अब 7 रुपये से बढ़ाकर 9.30 रुपये प्रति किलो और चावल 6.85 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति किलो मिलेगा।
इस मूल्यवृद्धि से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है, क्योंकि अधिकांश परिवारों के लिए यह आवश्यक वस्तुएं हैं। लेकिन यह बोझ केवल जनता तक ही सीमित नहीं है; राशन डिपो होल्डरों को भी इस मूल्यवृद्धि के चलते अपनी सेवाओं के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ रही है, जबकि उन्हें मिलने वाली कमीशन में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
डिपो होल्डरों की समस्या और मांग
हिमाचल प्रदेश डिपो होल्डर एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि पिछले कई वर्षों से डिपो होल्डरों की कमीशन में कोई वृद्धि नहीं हुई है। एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्ष ओबरॉय का कहना है कि जब सरकार आटा और चावल के दाम बढ़ा रही है, तो डिपो होल्डरों को प्रति क्विंटल मिलने वाली कमीशन भी बढ़ाई जानी चाहिए।
हर्ष ओबरॉय ने कहा, "डिपो होल्डरों को सरकार से मिलने वाली कमीशन बहुत कम है, और यह पिछले कई वर्षों से नहीं बढ़ाई गई है। अब जब आटा और चावल की कीमतें बढ़ रही हैं, तो सरकार को हमारी कमीशन भी बढ़ानी चाहिए। इससे न केवल डिपो होल्डरों को उनका उचित मुआवजा मिलेगा, बल्कि वे और अधिक उत्साह से अपनी सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।"
सरकार की सब्सिडी में कटौती और उसका प्रभाव
सरकार की ओर से हाल ही में सब्सिडी पर कटौती की जा रही है, जिससे न केवल आम जनता पर बोझ बढ़ा है, बल्कि राशन डिपो होल्डरों की समस्याएं भी बढ़ी हैं। हर्ष ओबरॉय ने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "जब सरकार सब्सिडी में कटौती कर रही है, तो यह आम जनता के लिए एक चुनौती बन जाती है। उन्हें अधिक भुगतान करना पड़ता है, और दूसरी ओर, डिपो होल्डरों को भी सरकार की ओर से पर्याप्त कमीशन नहीं मिल रहा है। ऐसे में डिपो होल्डरों को भी आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।"
डिपो होल्डरों की भूमिका और सेवाएं
हिमाचल प्रदेश में डिपो होल्डर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जनता को समय पर और गुणवत्तापूर्ण राशन उपलब्ध कराने का जिम्मा उठाते हैं। कठिनाइयों और समस्याओं के बावजूद, डिपो होल्डरों ने हमेशा अपनी जिम्मेदारियों को पूरा किया है और उपभोक्ताओं को बेहतरीन सेवाएं प्रदान की हैं।
हर्ष ओबरॉय ने कहा, "डिपो होल्डर उपभोक्ताओं को हर हाल में राशन प्रदान कर रहे हैं, चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं। हम लोग अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोई कोताही नहीं बरतते। लेकिन हमारी कमीशन में बढ़ोतरी की मांग को भी सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि हम और भी बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकें।"
डिपो होल्डरों की मांगों पर सरकार की प्रतिक्रिया
डिपो होल्डरों की इस मांग पर सरकार का क्या रुख होगा, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि, यह साफ है कि यदि डिपो होल्डरों की कमीशन नहीं बढ़ाई जाती है, तो यह उनके लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है। वर्तमान आर्थिक स्थितियों में, जहां आम जनता को भी अधिक भुगतान करना पड़ रहा है, वहां डिपो होल्डरों को उनकी मेहनत का उचित मुआवजा मिलना जरूरी है।
हर्ष ओबरॉय ने इस मांग को जोर-शोर से उठाया है और उम्मीद जताई है कि सरकार इस पर सकारात्मक कदम उठाएगी। उन्होंने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमारी मांगों को सुनेगी और हमारी कमीशन में वृद्धि करेगी। इससे न केवल हमारे जीवन में सुधार होगा, बल्कि हम जनता को और भी बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकेंगे।"
राशन डिपो होल्डरों की कमीशन बढ़ाने की मांग
हिमाचल प्रदेश में राशन डिपो होल्डरों की कमीशन बढ़ाने की मांग एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आटा और चावल की नई दरों के लागू होने से आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, और इसी के साथ डिपो होल्डरों को भी उनकी सेवाओं के लिए उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
डिपो होल्डर एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हर्ष ओबरॉय की यह मांग न केवल वाजिब है, बल्कि इसे सरकार द्वारा गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अगर सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाती है, तो यह न केवल डिपो होल्डरों के लिए राहत की बात होगी, बल्कि यह राज्य के आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
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