वयस्कों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा सबसे अधिक है; जानिए इसके कारण और बचाव के उपाय।
ज्यादातर लोग कोलोरेक्टल कैंसर के बारे में बहुत कम जानते हैं, इसलिए वे इसका पता बहुत बाद में लेते हैं। जब तक स्थिति गंभीर नहीं हो जाती।
हेल्थ शॉट्स ने पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में एसोसिएट डायरेक्टर (सर्जिकल ओन्कोलोजी) डॉ. पीयूष कुमार अग्रवाल से बात की, कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों को जानने के लिए। डॉ. पीयूष ने इसके कारणों, लक्षणों और बचाव के उपायों पर चर्चा की है। इसलिए, चलिए जानते हैं, इस विषय से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विवरण (colorectal cancer in adolescents)
क्या है कोलोरेक्टल कैंसर (what is colorectal cancer)
कोलन कैंसर सेल्स की वृद्धि है जो बड़ी आंत (large intestine) के एक हिस्से में शुरू होती है, जिसे कोलन कहा जाता है। कोलन बड़ी आंत का पहला और सबसे लंबा हिस्सा है। बड़ी आंत पाचन तंत्र का आखिरी हिस्सा है। आपका पाचन तंत्र शरीर को एनर्जी प्रदान करने के लिए खाद्य पदार्थों को तोड़कर पोषण प्रदान करता है।
यह आमतौर पर अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, परंतु कोलन कैंसर किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। यह आमतौर पर कोशिकाओं के छोटे-छोटे समूहों के रूप में शुरू होता है, जिन्हें पॉलीप्स कहा जाता है। ये कोलन के अंदर बनते हैं। पॉलीप्स आमतौर पर कैंसर नहीं होते हैं, लेकिन कुछ समय के साथ कोलन कैंसर में बदल सकते हैं।
अमूमन बढ़ती उम्र के साथ कोलन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। खास कर यदि व्यक्ति 50 की उम्र पार कर चुका है, तो उसमें कोलोरेक्टल कैंसर का अधिक खतरा होता है। मगर ताज़ा आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले हैं।
किशोरों में बढ़ रहे हैं कोलोरेक्टल कैंसर के मामले
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा की गई स्टडी के अनुसार 10 से 14 वर्ष की आयु के रोगियों में कोलोरेक्टल कैंसर की दर 500%, 15 से 19 वर्ष की आयु के रोगियों में 333% और 20 से 24 वर्ष की आयु के रोगियों में 185% की दर से बढ़ रही है। 2020 में, 10 से 14 वर्ष की आयु के प्रति 100,000 व्यक्ति में से केवल 0.6 को कोलोरेक्टल कैंसर का निदान किया गया, जबकि 1999 में यह 0.1 प्रति 100,000 व्यक्ति था। 1999 से 2020 तक, 15 से 19 वर्ष की आयु के रोगियों में कोलोरेक्टल कैंसर का निदान 0.3 से बढ़कर 1.3 प्रति 100,000 व्यक्ति और 20 से 24 वर्ष की आयु के रोगियों में 0.7 से बढ़कर 2.0 प्रति 100,000 व्य2. इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज पाचन संबंधी एक प्रकार का विकार है, इस समस्या के होने पर कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
3. अधिक मात्रा में रेड मीट का सेवन करने से कोलन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। रेड मीट हाई टेंपरेचर पर पकाए जाते हैं, जिसकी वजह से ये नाइट्राइट्स प्रोड्यूस करते हैं। ये केमिकल कैंसर के जोखिम को बढ़ा देते हैं।
4. कोलन और रेक्टल कैंसर की फैमिली हिस्ट्री वाले व्यक्ति, खासकर यदि इस प्रकार की शिकायत मां-बाप या सिबलिंग्स को रही है, तो व्यक्ति को अधिक खतरा हो सकता है।
5. कोलोरेक्टल कैंसर के पास से 10% तक मामले इन्हेरीटेड जेनेटिक सिंड्रोम के होते हैं यह तब होता है जब परिवार में किसी द्वारा कैंसर के जेनेटिक म्यूटेशन को दूसरे में जींस के माध्यम से पास किया जाता है।
6. टीनएजर्स में कोलोरेक्टल कैंसर बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है अनहेल्दी लाइफस्टाइल। शारीरिक स्थिरता, खानपान की गलत आदतें, बढ़ता वजन और शराब एवं सिगरेट का अत्यधिक सेवन इस प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है।क्ति हो चुका है।
क्यों किशोरों में भी बढ़ रहे हैं कोलन कैंसर के मामले (Causes of colorectal cancer in teens)
1. खानपान की गलत आदतें जो कब्ज का कारण बनती हैं।
जानें इसके कुछ कॉमन लक्षण (symptoms of colorectal cancer)
बॉवेल हैबिट्स यानी आंत की आदतों में बदलाव आना जैसे कि बार-बार स्टूल पास करना, डायरिया और काॅन्स्टिपेशन।
रेक्टल ब्लीडिंग और मल में ब्लड नजर आना।
पेट के आसपास लंबे समय से असामान्य महसूस होना जैसे कि क्रैंप्स, गैस और दर्द।
बॉवेल मूवमेंट के बाद भी ऐसा महसूस होना कि आपका स्टॉल अभी भी क्लियर नहीं हुआ है।
कमजोरी और थकान महसूस होना।
अचानक से वजन कम होना।
कोलन कैंसर से बचना है तो लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव
1. डाइट का ध्यान रखें
साबुत अनाज में विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कैंसर को रोकने में मदद कर सकते हैं। अलग अलग प्रकार के फल एवं सब्जियों का सेवन करें, इससे आपको अलग अलग प्रकार के पोषक तत्व प्राप्त होंगे। हेल्दी डाइट कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को कम के देता है।
2. अल्कोहल पर नजर रखें
आजकल टीनएजर्स में स्मोकिंग और अल्कोहल का कंजप्शन काफी ज्यादा बढ़ गया है। यह आपकी भी जिम्मेदारी है कि आप अपने किशोर बच्चों या भाई-बहनों को इनके जोखिम बताएं। शराब और तंबाकू उनकी आदतों में शुमार न हो, इस पर नजर रखना भी जरूरी है।
3. शारीरिक सक्रियता है जरूरी
शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से कोलोरेक्टल कैंसर और पॉलीप्स का जोखिम कम होता है। नियमित रूप से अपनी बॉडी को कुछ देर एक्टिव रखने का प्रयास करें। शारीरिक गतिविधि की तीव्रता बढ़ाने से आपके जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।
4. स्मोकिंग से बचाएं
धूम्रपान करने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि इससे आंत और फेफड़ों में डीएनए की क्षति और सूजन होता है। इससे हाइपोक्सिया हो सकता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें ऊतक स्तर पर अपर्याप्त ऑक्सीजन होती है, जो डीएनए उत्परिवर्तन के अलावा, शरीर में असामान्य कोशिकाओं के विकास और कैंसर में बदलने का कारण बन सकती है।
5. वेट मैनेजमेंट पर ध्यान दें
यदि आप स्वस्थ वजन पर हैं, तो दैनिक व्यायाम के साथ स्वस्थ आहार को शामिल कर अपना वजन बनाए रखने का प्रयास करें। यदि आपका वजन अधिक है, और इसे कम करने की आवश्यकता है, तो आवश्यक वेट लॉस टिप्स को फॉलो कर एक हेल्दी वेट मैनेज करें। क्योंकि बढ़ता वजन तमाम शारीरिक समस्याओं का इकलौता कारण होता है। कम कैलोरी लें और अधिक गतिविधि करें। धीरे-धीरे वजन में अंतर नजर आएगा।
6. पाचन संबंधी समस्याओं पर ध्यान दें
यदि आपको किसी प्रकार की पाचन संबंधी समस्या है, तो इस इन पर फौरन ध्यान देना जरूरी है। इन्हें लंबे समय तक नजरअंदाज करने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। खासकर पाइल्स, कॉन्स्टीपेशन, डायरिया आदि जैसी समस्याएं यदि फ्रिक्वेंटली परेशान कर रही हैं, तो फौरन मेडिकल ट्रीटमेंट लें।
0 Comments