त्रिपुरा में भयानक बाढ़ के कारण 31 लोगों की हुई मौत, सैकड़ों लोग हुए बेघर; केंद्र ने राहत के लिए तैनात की टीम

त्रिपुरा में भयानक बाढ़ के कारण 31 लोगों की हुई मौत, सैकड़ों लोग हुए बेघर; केंद्र ने राहत के लिए तैनात की टीम


 त्रिपुरा में हाल ही में आई भयानक बाढ़ ने राज्य के लोगों के जीवन को त्रासदी में बदल दिया है। बाढ़ ने न केवल 31 निर्दोष जानें ली हैं, बल्कि सैकड़ों लोगों को बेघर भी कर दिया है। इस आपदा ने पूरे राज्य में भारी तबाही मचाई है और स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि केंद्र सरकार को राहत और बचाव कार्यों के लिए विशेष टीमें तैनात करनी पड़ी हैं।

बाढ़ की शुरुआत और इसके प्रभाव

त्रिपुरा में बाढ़ की शुरुआत अत्यधिक बारिश से हुई। पिछले कुछ हफ्तों में, राज्य के कई हिस्सों में अत्यधिक वर्षा हुई, जिससे नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ गया। विशेष रूप से गोमती नदी का जलस्तर अपने सामान्य स्तर से ऊपर पहुंच गया, जिससे पश्चिम, गोमती, सिपाहीजला, और दक्षिण त्रिपुरा के जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। बाढ़ के कारण हजारों घर नष्ट हो गए और सैकड़ों लोग बेघर हो गए।

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, त्रिपुरा में बाढ़ के कारण 31 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, दो लोग घायल हो गए हैं और एक व्यक्ति अभी भी लापता है। बाढ़ की विभीषिका के कारण लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं, और वर्तमान में 53,356 से अधिक लोग 369 राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए, केंद्र सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (IMCT) को त्रिपुरा भेजा। इस टीम का नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव बी.सी. जोशी कर रहे हैं, और इसमें कृषि, वित्त, परिवहन, जल संसाधन और ग्रामीण विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों के अधिकारी शामिल हैं।

टीम का उद्देश्य त्रिपुरा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करना और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठकें कर स्थिति का मूल्यांकन करना है। टीम के सदस्य विशेष रूप से पश्चिम, गोमती, सिपाहीजला और दक्षिण जिलों में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे। उनके दौरे का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राहत कार्य प्रभावी ढंग से चल रहे हैं और बाढ़ पीड़ितों को समय पर सहायता मिल रही है।

राज्य सरकार की प्रतिक्रिया और राहत कार्य

त्रिपुरा की राज्य सरकार ने भी बाढ़ की स्थिति का गंभीरता से संज्ञान लिया है और त्वरित कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा ने बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की और तत्काल राहत कार्यों पर जोर दिया। उन्होंने शुद्ध पेयजल, स्वच्छता और राहत शिविरों में स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इसके अलावा, उन्होंने बिजली की लाइनों की बहाली और शैक्षणिक संस्थानों के पुनः खोलने पर भी बल दिया।

राहत और पुनर्वास के कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की तीन टीमें और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की दो टीमें, 500 सिविल डिफेंस और आपदा मित्र स्वयंसेवकों के साथ काम कर रही हैं। इन टीमों का मुख्य कार्य बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करना है।

स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंध

बाढ़ के बाद उत्पन्न स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने विशेष कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 2000 बैग ब्लीचिंग पाउडर, 2 लाख ओआरएस पैकेट्स, हैलोजन टैबलेट्स, जिंक टैबलेट्स, और अन्य आवश्यक दवाइयों की खरीद की है। यह सुनिश्चित किया गया है कि ये दवाइयां और स्वास्थ्य सामग्री राहत शिविरों में उपलब्ध हो और समय पर जरूरतमंदों तक पहुंच सके।

इसके साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने 1799 स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया है, जिनमें 42,800 से अधिक लोगों का इलाज किया गया है। डॉक्टरों ने राहत शिविरों में 1207 बार दौरा कर 35,993 लोगों का इलाज किया है। इसके अलावा, जिले के मजिस्ट्रेटों को पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बाढ़ के कारण उत्पन्न जलजनित बीमारियों से बचाव किया जा सके।

राहत सामग्री का वितरण

बाढ़ के कारण बेघर हुए लोगों को राहत सामग्री प्रदान करने के लिए भी राज्य सरकार ने व्यापक कदम उठाए हैं। पर्यटन विभाग के निदेशक प्रशांत बडाल नेगी के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया है, जो अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर विभिन्न संगठनों से प्राप्त राहत सामग्री का संग्रह और पुनर्वितरण करने का काम कर रही है।

राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन विभाग ने सभी आठ जिलों के लिए 69 करोड़ रुपये जारी किए हैं और कृषि और बिजली विभागों के लिए 5 करोड़ रुपये अतिरिक्त दिए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. साहा ने इससे पहले बाढ़ पीड़ितों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष (CMRF) से 2 करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की थी। उन्होंने अपनी एक महीने की तनख्वाह भी राहत कार्यों के लिए दान कर दी है, जिससे उनके नेतृत्व में बाढ़ पीड़ितों के प्रति उनकी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।

भविष्य की चुनौतियाँ

हालांकि, बाढ़ की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हुआ है, लेकिन त्रिपुरा के लोगों के सामने अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। बाढ़ के कारण नष्ट हुए घरों का पुनर्निर्माण, बाढ़ से प्रभावित कृषि भूमि का पुनर्वास, और पीने के पानी की आपूर्ति जैसे मुद्दों का समाधान करना अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा, बाढ़ के बाद की बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए भी स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहना होगा।

मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा और उनकी सरकार ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी तत्परता दिखा दी है, लेकिन इसके लिए लंबी अवधि की योजना और निरंतर प्रयासों की आवश्यकता होगी। बाढ़ की इस विभीषिका ने त्रिपुरा के लोगों को भले ही अस्थायी रूप से कमजोर कर दिया हो, लेकिन उनकी सहनशक्ति और एकजुटता से वे इस कठिनाई से उबरने में सफल होंगे।

बाढ़ राज्य के लोगों को एक बड़ी चुनौती 

त्रिपुरा की बाढ़ ने राज्य के लोगों को एक बड़ी चुनौती के सामने ला खड़ा किया है। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त प्रयासों से राहत और पुनर्वास कार्य तेजी से चल रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बाढ़ पीड़ितों को समय पर सहायता मिले, सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं। हालांकि, अभी भी कई चुनौतियाँ हैं जिनका समाधान करना आवश्यक है। त्रिपुरा के लोगों की सहनशक्ति और सरकार की तत्परता के साथ, राज्य इस आपदा से उबरने में सफल होगा और जल्द ही सामान्य स्थिति में लौट आएगा।

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