प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा: जेलेंस्की से गले मिलने पर पश्चिमी मीडिया में मचा हड़कंप, एस जयशंकर का सधा हुआ जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया यूक्रेन यात्रा ने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप बल्कि पश्चिमी दुनिया में भी काफी चर्चा बटोरी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से गले मिलने पर पश्चिमी मीडिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पश्चिमी मीडिया की आलोचनाओं के बावजूद, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इन आलोचनाओं का सधा हुआ और स्पष्ट जवाब दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी का यूक्रेन दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूक्रेन दौरे पर जब वे राजधानी कीव पहुंचे, तो उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने न केवल मोदी का स्वागत किया, बल्कि दोनों नेताओं ने आपसी विश्वास और संबंधों को मजबूत करते हुए गले भी लगाया। यह गले मिलना भारत की एक सदियों पुरानी संस्कृति का परिचायक है, जिसमें आत्मीयता और सौहार्द्र को महत्व दिया जाता है।
यह गले मिलना यूक्रेन और भारत के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक माना जा सकता है। दोनों नेताओं के बीच की इस मुलाकात ने जहां राजनीतिक विशेषज्ञों का ध्यान खींचा, वहीं पश्चिमी मीडिया में इसे लेकर आलोचना भी शुरू हो गई।
पश्चिमी मीडिया की प्रतिक्रिया और आलोचना
जब प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले रूस दौरे के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से गले लगाया था, तब भी पश्चिमी मीडिया में इसे लेकर कड़ी आलोचना की गई थी। उनके अनुसार, इस प्रकार का आत्मीयता दिखाना एक ऐसे समय में गलत संदेश भेज सकता है जब रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते विश्व में तनाव बढ़ा हुआ है।
पश्चिमी मीडिया ने पीएम मोदी और जेलेंस्की के गले मिलने को भी इसी संदर्भ में देखा। उनका तर्क था कि प्रधानमंत्री मोदी का यह गेस्चर एक संवेदनशील राजनीतिक समय में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के नियमों के विपरीत हो सकता है।
एस जयशंकर का सधा हुआ जवाब
पश्चिमी मीडिया की आलोचनाओं का जवाब देने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भारतीय संस्कृति में गले मिलना एक सामान्य और आत्मीयता भरा तरीका है। उन्होंने कहा, "हमारी संस्कृति में जब लोग मिलते हैं, तो वे एक-दूसरे को गले लगाते हैं। यह हमारी परंपरा और आत्मीयता को दर्शाता है। यह आपकी संस्कृति का हिस्सा नहीं हो सकता है, लेकिन यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।"
जयशंकर ने यह भी कहा कि पश्चिम और भारत के बीच सांस्कृतिक अंतर है, जिसे पश्चिमी लोग शायद पूरी तरह से समझ नहीं पाते। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच अधिकांश चर्चा रूस-यूक्रेन संघर्ष पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। भारत हमेशा शांति और संवाद का समर्थक रहा है।"
भारत की विदेश नीति और पश्चिमी नजरिया
भारत की विदेश नीति हमेशा से स्वतंत्र और संतुलित रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत न केवल अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखता है, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता को भी बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
पश्चिमी मीडिया की आलोचनाओं के बावजूद, भारत ने हमेशा अपने सांस्कृतिक और कूटनीतिक मूल्यों को प्राथमिकता दी है। जयशंकर के बयान से यह साफ हो जाता है कि भारत पश्चिमी दुनिया की कूटनीतिक मान्यताओं के साथ समझौता नहीं करेगा, और अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखेगा।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच हुई वार्ता के दौरान मुख्य फोकस रूस-यूक्रेन युद्ध पर रहा। दोनों नेताओं ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे इस संघर्ष को समाप्त किया जा सकता है और क्षेत्र में स्थिरता बहाल की जा सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है और रूस-यूक्रेन संघर्ष को बातचीत और संवाद के माध्यम से सुलझाने का पक्षधर है। उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इस मुद्दे को उठाएगा और युद्ध के प्रभावों को कम करने के लिए सभी संभव प्रयास करेगा।
भारत की भूमिका और जिम्मेदारी
भारत की कूटनीतिक भूमिका अंतरराष्ट्रीय मंच पर तेजी से बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी का दौरा इस बात का सबूत है कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है। रूस और यूक्रेन जैसे जटिल अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत की स्थिति यह दिखाती है कि देश अब वैश्विक निर्णयों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
एस जयशंकर के बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत अब किसी भी आलोचना के सामने झुकने वाला नहीं है। भारत अपनी संस्कृति, परंपरा और कूटनीतिक नीति को महत्व देता है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार की आलोचना का सामना करने के लिए तैयार है।
नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन यात्रा और राष्ट्रपति जेलेंस्की से गले मिलने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। हालांकि, पश्चिमी मीडिया ने इस पर सवाल उठाए, लेकिन भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट और दृढ़ता के साथ इन आलोचनाओं का जवाब दिया।
भारत के सांस्कृतिक और कूटनीतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए, जयशंकर ने यह संदेश दिया कि भारत अपनी परंपराओं और संस्कृति का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रखेगा। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच हुई चर्चा ने यह भी दिखाया कि भारत वैश्विक शांति और स्थिरता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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