26 अगस्त से शुरू हो रही है मणिमहेश यात्रा, जानें कितना लगेगा शुल्क; चौपर सुविधा भी मिलेगी

 मणिमहेश यात्रा 2024: 26 अगस्त से होगी शुभारंभ, पंजीकरण और चौपर सुविधा से जुड़े सभी महत्वपूर्ण विवरण



शिमला: हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित मणिमहेश झील की पवित्र यात्रा इस वर्ष 26 अगस्त से शुरू होकर 11 सितंबर तक चलेगी। हर साल लाखों श्रद्धालु इस धार्मिक यात्रा में भाग लेते हैं, जो भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है। इस बार यात्रा को और भी सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आइए, जानते हैं मणिमहेश यात्रा 2024 से जुड़े सभी महत्वपूर्ण जानकारी।

पंजीकरण प्रक्रिया और शुल्क

श्री मणिमहेश यात्रा में भाग लेने के लिए सभी श्रद्धालुओं को पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इस बार पंजीकरण के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

  • ऑनलाइन पंजीकरण: श्रद्धालु मणिमहेश न्यास की आधिकारिक वेबसाइट http://www.manimaheshyatra.hp.gov.in पर लॉगिन करके स्वयं पंजीकरण कर सकते हैं।

  • ऑफलाइन पंजीकरण: जिन श्रद्धालुओं के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वे ऑफलाइन पंजीकरण कर सकते हैं। इसके लिए चंबा जिले में विभिन्न स्थानों पर पंजीकरण केंद्र बनाए गए हैं, जैसे चौगान नंबर एक (मिंजर मंच), गुज्जर आश्रम कलसूंई, साडा वाणिज्य परिसर भरमौर, भरमाणी मंदिर परिसर, प्रंघाला नजदीक वन्यजीव विभाग भवन, सुविधा केंद्र गुईनाला, और त्यारी तहसील होली।

पंजीकरण के दौरान प्रत्येक श्रद्धालु से 20 रुपये का पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा, जिसमें स्वच्छता शुल्क भी शामिल है। पंजीकरण के बिना किसी भी श्रद्धालु को यात्रा के विभिन्न बेस कैंपों से आगे नहीं जाने दिया जाएगा। यह पंजीकरण शुल्क यात्रा के दौरान साफ-सफाई, शौचालयों के रखरखाव, पानी की व्यवस्था और प्लास्टिक कूड़े के निष्पादन में उपयोग किया जाएगा।

पवित्र मणिमहेश यात्रा की शुरुआत

इस वर्ष की मणिमहेश यात्रा का शुभारंभ 26 अगस्त को होगा, जो कि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पड़ रही है। इस दिन को ‘छोटा शाही न्हौण’ कहा जाता है, जोकि मणिमहेश यात्रा का पहला प्रमुख पड़ाव होता है।

शाही न्हौण का समय: पवित्र डल झील में स्नान का शुभ समय 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर देर रात 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों शिवभक्त मणिमहेश पहुंचते हैं और डल झील में स्नान कर भगवान शिव की अराधना करते हैं। इस पवित्र स्नान के दौरान डल झील के चारों ओर भगवान शिव के जयकारों की गूंज सुनाई देती है, जो श्रद्धालुओं के असीम भक्ति का प्रतीक है।

चौपर सुविधा का आरंभ

इस वर्ष मणिमहेश यात्रा के दौरान प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चौपर सेवा की भी व्यवस्था की है। यह सेवा विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए शुरू की गई है जो चलने-फिरने में असमर्थ हैं या जो कठिन यात्रा को नहीं कर सकते।

चौपर सेवा की शुरुआत: 22 अगस्त से भरमौर से गौरीकुंड के लिए चौपर सेवा शुरू हो जाएगी। इसके लिए दो चौपर भरमौर हेलीपैड पर तैनात किए गए हैं। इन चौपर सेवाओं का लाभ उठाने के लिए श्रद्धालु पहले से बुकिंग करा सकते हैं। यह सेवा विशेष रूप से उन वृद्ध और अस्वस्थ श्रद्धालुओं के लिए बहुत उपयोगी साबित होगी, जो पैदल यात्रा करने में असमर्थ होते हैं।

यात्रा के दौरान प्रशासन की तैयारियां

प्रशासन ने इस बार मणिमहेश यात्रा को सुरक्षित और सुगम बनाने के लिए कई तैयारियां की हैं। यात्रा मार्ग पर स्थायी और अस्थायी शौचालयों की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, पानी की पर्याप्त व्यवस्था और सफाई के इंतजाम भी किए गए हैं। यात्रा मार्ग पर कूड़ा-कचरा जमा करने और उसके वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं।

सुरक्षा के इंतजाम: श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यात्रा मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर पुलिस चौकियों की स्थापना की गई है। इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं को भी सुदृढ़ किया गया है। यात्रा के दौरान किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए मेडिकल टीमों को तैनात किया गया है।

यात्री संख्या की निगरानी: माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेशानुसार, यात्रा के दौरान प्रवेश द्वार लगाए जाएंगे और यात्रियों की गिनती सुनिश्चित की जाएगी। इसका उद्देश्य यात्रा मार्ग पर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावी बनाना है।

यात्रा के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

मणिमहेश यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व असीमित है। यह यात्रा भगवान शिव की आराधना का एक प्रमुख केंद्र है और इसे ‘छोटा कैलाश’ के नाम से भी जाना जाता है। डल झील के किनारे स्थित मणिमहेश पीक को भगवान शिव का निवास माना जाता है। हर साल, हजारों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और पवित्र डल झील में स्नान करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन: कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मणिमहेश यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन, श्रद्धालु रातभर जागरण करते हैं और भगवान कृष्ण और शिव की आराधना करते हैं। इस मौके पर डल झील के किनारे विशेष भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं।

यात्रा के दौरान सावधानियां

हालांकि मणिमहेश यात्रा का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, लेकिन यह यात्रा शारीरिक रूप से काफी कठिन मानी जाती है। ऊँचाई और ठंडे मौसम के कारण श्रद्धालुओं को विशेष सावधानी बरतनी होती है।

स्वास्थ्य संबंधी सुझाव: यात्रा पर जाने से पहले श्रद्धालुओं को अपने स्वास्थ्य की जांच करवा लेनी चाहिए। उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या अन्य किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। यात्रा के दौरान ऊँचाई पर ऑक्सीजन की कमी भी हो सकती है, इसलिए जरूरी दवाइयां और ऑक्सीजन सिलिंडर साथ रखना उचित होगा।

जलवायु और यात्रा के लिए आवश्यक वस्त्र: यात्रा के दौरान ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े, रेनकोट, मजबूत जूते और अन्य आवश्यक वस्त्रों को साथ रखना आवश्यक है। यात्रा मार्ग पर तापमान अचानक गिर सकता है, इसलिए इसके लिए तैयार रहना जरूरी है।

यात्रा के दौरान स्थानीय संस्कृति और सामुदायिक सहयोग

मणिमहेश यात्रा के दौरान, श्रद्धालुओं को स्थानीय समुदाय का भी पूरा सहयोग मिलता है। भरमौर और आसपास के गांवों के लोग श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए विशेष इंतजाम करते हैं। यात्रा मार्ग पर भोजन और रहने की व्यवस्था के लिए कई लंगर और शिविर लगाए जाते हैं, जो स्थानीय समुदाय द्वारा संचालित होते हैं।

यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और सामुदायिक भावना का भी प्रतीक है। श्रद्धालु यहां आकर हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कर सकते हैं और स्थानीय लोगों के आतिथ्य का आनंद ले सकते हैं।

एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा

मणिमहेश यात्रा 2024 एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है, जिसमें श्रद्धालुओं को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने का अवसर मिलता है। प्रशासन द्वारा की गई तैयारियों और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उपलब्ध कराई गई सेवाओं से इस यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने का प्रयास किया गया है।

यदि आप इस पवित्र यात्रा में भाग लेने की योजना बना रहे हैं, तो सभी आवश्यक तैयारियों और सावधानियों के साथ इस अद्भुत अनुभव का आनंद लें। मणिमहेश यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण साधन है। भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद के साथ, यह यात्रा आपके जीवन को एक नई दिशा और प्रेरणा प्रदान कर सकती है।

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