हिमाचल टैक्सी यूनियन का प्राइवेट गाड़ियों पर नाका, पुलिस और आरटीओ की मौजूदगी में चालान कर वसूले 50 हजार रुपये का जुर्माना
हिमाचल प्रदेश में टैक्सी यूनियनों और प्राइवेट गाड़ियों के बीच तनाव दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। हाल ही में एक और घटना ने इस विवाद को और अधिक तीव्र कर दिया है। 29 अगस्त को सुंदरनगर के डैहर के समीप अलसू में हिमाचल टैक्सी यूनियन ने एक नाका लगाया और टैक्सियों के रूप में चल रही निजी गाड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। इस दौरान पुलिस और आरटीओ विभाग की संयुक्त टीम भी मौके पर मौजूद रही और करीब 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूल किया गया।
टैक्सी यूनियन का बड़ा कदम
हिमाचल प्रदेश टैक्सी एंड ड्राइवर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राम रतन शर्मा और डैहर के जय मां शीतला टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। टैक्सी यूनियन ने यह कदम प्राइवेट नंबर वाली गाड़ियों के खिलाफ उठाया, जो टैक्सियों के रूप में अवैध रूप से चल रही थीं। यूनियन का कहना है कि इन प्राइवेट गाड़ियों की वजह से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि यह बेरोजगार युवाओं के अधिकारों को भी छीन रही हैं, जो टैक्सी ऑपरेटर के रूप में अपना जीवनयापन कर रहे हैं।
यूनियन के पदाधिकारियों का मानना है कि प्राइवेट गाड़ियां, जो टैक्सी के रूप में चल रही हैं, टैक्सी ऑपरेटरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। टैक्सी ऑपरेटर अपनी गाड़ियों के लिए सभी आवश्यक कर और टैक्स अदा करते हैं, जबकि प्राइवेट गाड़ियां इस जिम्मेदारी से बचती हैं और अवैध रूप से टैक्सी सेवाएं प्रदान करती हैं। राम रतन शर्मा ने कहा, "हम प्राइवेट नंबर वाली गाड़ियों को टैक्सी के रूप में किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह न केवल हमारे अधिकारों का हनन है, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहा है।"
सामूहिक बैठक में लिया गया फैसला
जय मां शीतला टैक्सी ऑपरेटर्स यूनियन डैहर के पदाधिकारियों और सदस्यों ने एक सामूहिक बैठक का आयोजन किया जिसमें डैहर, कोट, अलसू, मलयवार, बटोरी, मंदीरघाट, कुहमझवार, सलापड़, जंबला, जरोड़, सलवाना के सभी टैक्सी ऑपरेटर्स ने हिस्सा लिया। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि प्राइवेट गाड़ियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा। यूनियन ने एक ज्ञापन सरकार, आरटीओ और अन्य उच्च अधिकारियों को भेजा, जिसमें उन्होंने इस मुद्दे पर ध्यान देने और आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्राइवेट नंबर वाली गाड़ियों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा, ताकि उन्हें टैक्सी के रूप में संचालन करने से रोका जा सके। यूनियन के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाना चाहिए और प्राइवेट गाड़ियों को अवैध रूप से टैक्सी सेवाएं प्रदान करने से रोकना चाहिए।
पुलिस और आरटीओ की संयुक्त कार्रवाई
यूनियन के नाका लगाने के बाद, पुलिस और आरटीओ विभाग की संयुक्त टीम मौके पर पहुंची और प्राइवेट गाड़ियों की जांच की। जिन गाड़ियों के पास टैक्सी लाइसेंस नहीं था और जो प्राइवेट नंबर पर टैक्सी सेवाएं प्रदान कर रही थीं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई। इस दौरान करीब 50 हजार रुपये का जुर्माना वसूला गया।
पुलिस और आरटीओ की इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य प्राइवेट गाड़ियों को टैक्सी के रूप में चलाने से रोकना था। साथ ही, उन्होंने इन गाड़ियों के मालिकों को चेतावनी दी कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों से दूर रहें। जिन गाड़ियों का चालान किया गया, उन्हें आगे से प्राइवेट गाड़ी को टैक्सी के रूप में ना चलाने की सख्त हिदायत दी गई।
यूनियन की मांगें और भविष्य की रणनीति
हिमाचल प्रदेश टैक्सी एंड ड्राइवर यूनियन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सरकार से कई मांगें की हैं। यूनियन का कहना है कि सरकार को अवैध रूप से टैक्सी सेवाएं प्रदान करने वाली प्राइवेट गाड़ियों के खिलाफ सख्त कानून लागू करना चाहिए। इसके अलावा, टैक्सी ऑपरेटरों के हितों की रक्षा के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
यूनियन ने यह भी घोषणा की है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे राज्यव्यापी आंदोलन की तैयारी कर सकते हैं। यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष राम रतन शर्मा ने कहा, "अगर सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो हम सड़क पर उतरने से भी नहीं हिचकिचाएंगे। हम अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।"
प्राइवेट गाड़ियों के मालिकों की प्रतिक्रिया
प्राइवेट गाड़ियों के मालिकों ने इस कार्रवाई के खिलाफ अपनी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि वे अपनी गाड़ियों का उपयोग टैक्सी सेवाओं के लिए नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे अपने निजी काम के लिए ही गाड़ी चला रहे हैं। कुछ गाड़ी मालिकों ने यह भी कहा कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और वे इस कार्रवाई के खिलाफ कानूनी उपायों पर विचार कर रहे हैं।
हालांकि, टैक्सी यूनियन का कहना है कि यह कार्रवाई केवल उन गाड़ियों के खिलाफ की गई है, जो अवैध रूप से टैक्सी सेवाएं प्रदान कर रही थीं। यूनियन के अनुसार, जिन गाड़ियों के पास उचित लाइसेंस नहीं था और जो टैक्सी के रूप में चल रही थीं, उन्हें ही चालान किया गया है।
टैक्सी यूनियनों और प्राइवेट गाड़ियों के बीच यह विवाद
हिमाचल प्रदेश में टैक्सी यूनियनों और प्राइवेट गाड़ियों के बीच यह विवाद तेजी से बढ़ रहा है। यूनियन की सख्त कार्रवाई ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण है कि सरकार और संबंधित अधिकारी इस मुद्दे को कैसे हल करेंगे। टैक्सी ऑपरेटरों के हितों की रक्षा के साथ-साथ, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी भी गाड़ी मालिक के अधिकारों का उल्लंघन न हो।
इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह समय बताएगा। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश में टैक्सी सेवाओं के संचालन को लेकर अब सख्ती बरती जा रही है। टैक्सी ऑपरेटरों की सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा के लिए सरकार को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि यह विवाद जल्द से जल्द सुलझ सके।
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