महिला का गला घोंटकर करता रहा बलात्कार, प्राइवेट पार्ट में डाली पाइप; अदालत ने सुनाई फांसी की सजा
यह घटना दिल्ली से सटे फरीदाबाद में घटित हुई, जहाँ अदालत ने एक हृदयविदारक मामले में आरोपी को मौत की सजा सुनाई है। मामला एक ऐसी महिला से जुड़ा है, जिसे बेहद बर्बरता से मार दिया गया था और उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुरुषोत्तम कुमार की अदालत ने इस मामले में आरोपी मनोज नेपाली को दोषी ठहराते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई। साथ ही, अदालत ने आरोपी पर एक लाख पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
प्राइवेट पार्ट में डाली गई रॉड
DNA रिपोर्ट के साथ ही 34 गवाहों ने गवाही दी थी। शिकायतकर्ता के भाई ने ही महिला का अर्धनग्न शव सबसे पहले देखा था। 7 नवंबर 2022 को करीब 34 वर्षीय महिला बाटा चौक मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी थी। वहां से सेक्टर-11डी राजीव नगर झुग्गी निवासी मनोज नेपाली गुजर रहा था।
इस दौरान उसकी महिला से बातचीत हुई। महिला का अपने पति से विवाद चल रहा है। वह अपनी मां के साथ रहती है, इसलिए उसने महिला को अपने साथ चलने के लिए मना लिया। उसने महिला से कहा कि उसकी शादी नहीं हुई है। वह खाना बनाना भी जानता है। उसने महिला को शादी का भरोसा दिलाया था। वह महिला को सेक्टर-7 स्थित गुरुद्वारे के पास अपने साथ ले आया।
CCTV फुटेज से हुए कई बड़े खुलासे
यहां सुनसान हालत देखकर वह महिला को पीछे पार्क में ले गया। वहां उसने महिला के साथ दुष्कर्म किया। महिला उसके चंगुल से भागने की कोशिश कर रही थी। उसने महिला के गले में तौलिया डाल रखा था। गला घोंटने के दौरान भी आरोपी दुष्कर्म करता रहा। उसने महिला के प्राइवेट पार्ट में पाइप भी डाल दिया।
इस मामले में पीड़िता की ओर से सरकारी वकील सुरेश चौधरी ने पैरवी की थी। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली थी। शव मिलने से एक रात पहले CCTV कैमरे की फुटेज में आरोपी मृतक महिला के साथ नजर आया था। इसी फुटेज के आधार पर आरोपी की पहचान हो पाई। पुलिस ने घटना के 12 दिन बाद आरोपी को नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया था।
मामले की पृष्ठभूमि
7 नवंबर 2022 की रात करीब 34 वर्षीय महिला बाटा चौक मेट्रो स्टेशन के पास खड़ी थी। आरोपी मनोज नेपाली, जो कि फरीदाबाद के सेक्टर-11डी, राजीव नगर की झुग्गियों में रहता था, वहां से गुजर रहा था। आरोपी ने महिला से बातचीत की और उसे अपने साथ चलने के लिए राजी कर लिया। मनोज ने महिला को भरोसा दिलाया कि वह अकेला है और खाना बनाने में सक्षम है, और उसने महिला से शादी का भी वादा किया। आरोपी ने महिला को सेक्टर-7 स्थित गुरुद्वारे के पास सुनसान जगह पर ले गया।
बर्बरता की घटना
सुनसान जगह देखकर मनोज नेपाली ने महिला के साथ दुष्कर्म किया। महिला ने उसके चंगुल से भागने की कोशिश की, लेकिन आरोपी ने महिला के गले में तौलिया डालकर उसे जकड़ लिया। गला घोंटने के दौरान भी आरोपी दुष्कर्म करता रहा। उसके बाद उसने महिला के प्राइवेट पार्ट में पाइप डालकर उसे और भी दर्दनाक स्थिति में पहुंचा दिया।
पुलिस की कार्रवाई और जांच
इस मामले की जांच में पुलिस ने महत्वपूर्ण सबूत जुटाए, जिनमें डीएनए रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज शामिल थे। सबसे पहले महिला का अर्धनग्न शव उसके भाई ने देखा था। शव मिलने के बाद पुलिस ने तत्काल आसपास के क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज खंगाले, जिसमें आरोपी को मृतक महिला के साथ देखा गया था। यह फुटेज मामले में आरोपी की पहचान के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ।
आरोपी मनोज नेपाली घटना के बाद नेपाल भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन पुलिस ने 12 दिन बाद उसे नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की गिरफ्तारी के बाद डीएनए रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई कि आरोपी ही इस बर्बर घटना का जिम्मेदार था।
अदालत का फैसला
कोर्ट ने मामले में सबूतों के आधार पर आरोपी को दोषी पाया और उसे फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने महिला के साथ जो किया, वह मानवता के खिलाफ है और उसे बख्शा नहीं जा सकता। इस मामले में कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं था, लेकिन डीएनए रिपोर्ट और सीसीटीवी फुटेज ने मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई।
इस मामले में कुल 34 गवाहों की गवाही हुई, जिसमें पीड़िता की मां, पति और शिकायतकर्ता के भाई भी शामिल थे। सरकारी वकील सुरेश चौधरी ने मामले की पैरवी की और अदालत को मामले की संजीदगी को समझाने में सफलता पाई।
समाज पर प्रभाव
इस मामले ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। महिला की हत्या और उसके साथ हुए अमानवीय व्यवहार ने लोगों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। इस घटना ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनके प्रति बढ़ती हिंसा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ऐसी घटनाओं से समाज को यह सीखने की जरूरत है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाए जाएं। कानून व्यवस्था को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके और उन्हें सख्त सजा दी जा सके।
नतीजा
इस मामले का फैसला समाज में एक सख्त संदेश देने के लिए किया गया है कि ऐसे जघन्य अपराधों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आरोपी को फांसी की सजा सुनाकर अदालत ने दिखा दिया कि न्याय के प्रति हमारी न्यायिक व्यवस्था कितनी सख्त है। इस मामले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराधी चाहे जितना भी चालाक क्यों न हो, कानून के शिकंजे से बच नहीं सकता।
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