इस शोध के लेखकों ने 2022 की वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया के 40 सबसे प्रदूषित शहरों में से 37 दक्षिण एशिया में हैं और भारत चार सबसे प्रदूषित देशों में से एक है। इससे ये साबित होता है कि अगर आप धुम्रपान करते है तो आपको कैंसर को दोगूना खतरा है लेकिन अगर आप धूम्रपान नहीं करते है तो पर्यावरण की खराब होती हवा भी आप में कैंसर का कारण बन सकती है।
जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और हीटवेव सहित कई प्राकृतिक आपद होने का खतरा है ये हम सभी जानते है। पर्यावरण में ये परिवर्तन समाज के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा सकती हैं, हेल्थ केयर सिस्टम को उथल-पुथल कर सकती है। साथ ही दुनिया की एक बड़ी आबादी को पर्यावरण में कैंसर पैदा करने वाले कारकों के संपर्क में ला सकती हैं
साल 2022 में 81 जलवायु से संबंधित आपदा देखने को मिली। एशिया में प्राकृतिक आपदाओं से चीन, भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं और इन देशों में वर्ष 2020 में फेफड़ों के कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आए, जिनमें 9.65 लाख से अधिक नए मामले सामने आए।
जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन होगा, हवा की क्वालिटी खराब होगी, फेफड़ों के कैंसर के मरीजों का बोझ देश में उतनी तेजी से बढ़ेगा। ये एशिया में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। शोधकर्ताओं ने इस बारे में अध्ययन कराने पर जोर दिया है कि कैसे पर्यावरण में बदलाव फेफड़ों के कैंसर का कारण बन रहें है
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