तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतन और नियमित करने का आदेश: हिमाचल हाईकोर्ट का अहम फैसला

 तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतन और  नियमित करने का आदेश: हिमाचल हाईकोर्ट का अहम फैसला 


शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में पंचायतों में कार्यरत तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतनमान देने और उन्हें प्रदेश सरकार की नीति के तहत नियमित करने के आदेश को चुनौती देने में हुई देरी को माफ करने से इनकार कर दिया है। इस निर्णय से सरकार की अपील भी खारिज हो गई है, जिससे तकनीकी सहायकों को बड़ी राहत मिली है।

मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने कहा कि एकल पीठ के फैसले पर सवाल उठाना सरकार का अधिकार है, परंतु उसे फैसले की प्रति हासिल करने के बाद निर्धारित 30 दिन की अवधि के भीतर अपील दायर करने के लिए कदम उठाने चाहिए थे। प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण देरी की दलील पर सरकार को देर से अपील दायर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

न्यूनतम वेतन देने और नियमित करने के आदेश किए जारी

25 सितंबर, 2023 को एकल पीठ ने तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतन देने और नियमित करने का आदेश जारी किया था। सरकार ने एक मामले में इस फैसले को 213 दिन की देरी को माफ करने के आवेदन के साथ खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। पंचायती राज विभाग के अनुसार यह मामला पहली नवंबर, 2023 को कानून विभाग के समक्ष उठाया गया था कि क्या एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए या नहीं। कानून विभाग ने तीन जनवरी, 2024 को राय दी थी कि एकल पीठ के निर्णय को चुनौती देने की आवश्यकता नहीं है। इसके बाद वित्त विभाग ने कार्मिक विभाग से परामर्श किया। कार्मिक विभाग ने फैसले को चुनौती देने की सलाह दी और मामला 18 जून, 2024 को मंत्रिमंडल की बैठक में रखा गया।

मंत्रिमंडल ने एकल पीठ के फैसले के खिलाफ अपील दायर करने का निर्णय लिया। इसके बाद हाई कोर्ट में अपील दायर की गई थी। तकनीकी सहायकों की ओर से दायर याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) बनाया था। इसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से कम से कम 100 दिन का गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध कराना था। प्रदेश सरकार ने सात अप्रैल, 2008 को ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीकी सहायकों को नियुक्त करने के लिए अधिसूचना जारी की।

2019 में तकनीकी सहायक के 1081 पद स्वीकृत

सरकार ने इनके लिए वेतन निर्धारण के नियम भी बनाए। नियमित तकनीकी सहायक को 10300-34800 और 3000 रुपये का ग्रेड पे एवं अनुबंध सहायकों को 5910 और सिर्फ 3000 रुपये के ग्रेड पे का प्रविधान किया गया था। सरकार ने 23 जुलाई, 2019 को तकनीकी सहायक के 1081 पद स्वीकृत करने का निर्णय लिया और वर्ष 2020 में 115 खाली पद भरने की प्रक्रिया शुरू की गई। याचिकाकर्ताओं को इस चयन प्रक्रिया में अनुबंध आधार पर नियुक्त किया गया था। उनके नियुक्ति पत्र में भी उन्हें 8910 रुपये मासिक दिए जाने का निर्णय लिया गया था, परंतु विभाग ने 17 दिसंबर, 2021 को उन्हें कमीशन आधार पर वेतन देने का आदेश जारी किया। इस आदेश को प्रार्थियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। एकल पीठ ने विभाग की ओर से जारी 17 दिसंबर, 2021 के कमीशन आधार पर वेतन देने के आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें न्यूनतम वेतन देने का  आदेश दिया और नियमितीकरण नीति का लाभ देने को कहा।

पंचायत स्तर पर तकनीकी सहायकों की भूमिका

तकनीकी सहायकों की भूमिका ग्रामीण विकास परियोजनाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे न केवल तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं बल्कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। मनरेगा के तहत, इन सहायकों का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न निर्माण कार्यों का निरीक्षण और सुपरविजन करना होता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे ग्रामीण जनता तक पहुंचे और कार्य गुणवत्ता के साथ पूरा हो।

तकनीकी सहायकों के संघर्ष की कहानी

हिमाचल प्रदेश में तकनीकी सहायकों का संघर्ष लंबे समय से चल रहा है। उनकी मुख्य मांगें न्यूनतम वेतनमान और नियमितिकरण रही हैं। तकनीकी सहायकों ने अपने हक की लड़ाई के लिए कई बार आंदोलन किए, धरने दिए और सरकार से अपनी मांगें मनवाने की कोशिश की। उनका कहना था कि वेतनमान और नियमितिकरण के अभाव में उनका जीवनयापन कठिन हो रहा है। वे अपने परिवारों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थे और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे।

न्यायालय का हस्तक्षेप और निर्णय

तकनीकी सहायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने 25 सितंबर, 2023 को निर्णय सुनाया कि उन्हें न्यूनतम वेतनमान दिया जाए और प्रदेश सरकार की नीति के तहत नियमित किया जाए। सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने का निर्णय लिया, लेकिन अपील दाखिल करने में देरी हो गई। हाईकोर्ट ने सरकार की इस देरी को माफ करने से इनकार कर दिया, जिससे एकल पीठ का आदेश बरकरार रहा। इससे तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतनमान और नियमितिकरण का लाभ मिलने का रास्ता साफ हो गया।

तकनीकी सहायकों की प्रतिक्रिया

हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद तकनीकी सहायकों में खुशी की लहर दौड़ गई। उन्होंने इसे अपने संघर्ष की जीत बताया और कहा कि न्यायालय ने उनके हक की लड़ाई को मान्यता दी है। तकनीकी सहायकों ने कहा कि यह निर्णय उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा और वे अब अपने परिवारों का बेहतर तरीके से भरण-पोषण कर सकेंगे। उन्होंने न्यायालय के प्रति आभार व्यक्त किया और कहा कि न्यायालय ने उनके संघर्ष को सार्थकता दी है।

सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय का सम्मान करने की बात कही है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासनिक प्रक्रिया के कारण अपील दाखिल करने में देरी हो गई थी, लेकिन अब वे न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे और तकनीकी सहायकों को न्यूनतम वेतनमान और नियमितिकरण का लाभ देंगे। सरकार ने यह भी कहा कि वे भविष्य में ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे और सुनिश्चित करेंगे कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में तेजी लाई जाए।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का यह निर्णय तकनीकी सहायकों के लिए एक बड़ी जीत है। यह निर्णय न केवल उनके आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि उनके कार्यों की मान्यता भी प्रदान करेगा। सरकार और न्यायालय के बीच इस संघर्ष में, न्यायालय का निर्णय एक संदेश है कि किसी भी कर्मचारी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए और उन्हें उनके हक का सम्मान मिलना चाहिए। यह निर्णय अन्य राज्यों के तकनीकी सहायकों और कर्मचारियों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

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