मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में भाजपा नेता और अभिनेत्री नमिता के प्रवेश पर विवाद: हिंदू होने का सबूत मांगने पर भड़कीं एक्ट्रेस

 मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में भाजपा नेता और अभिनेत्री नमिता के प्रवेश पर विवाद: हिंदू होने का सबूत मांगने पर भड़कीं एक्ट्रेस

तमिलनाडु: साउथ फिल्म इंडस्ट्री की प्रसिद्ध अभिनेत्री और भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की सदस्य नमिता को सोमवार को एक अप्रिय घटना का सामना करना पड़ा। तमिलनाडु के प्रसिद्ध मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए पहुंची नमिता को मंदिर के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया गया और उनसे हिंदू होने का प्रमाण मांगा गया। इस घटना ने न केवल नमिता को आहत किया, बल्कि मंदिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

मंदिर प्रवेश पर विवाद: नमिता का बयान

नमिता ने इस मामले में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनके साथ मंदिर के अधिकारियों द्वारा गलत व्यवहार किया गया। उन्होंने बताया कि उन्हें मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपना धर्म साबित करने के लिए कहा गया और यहां तक कि उनका जाति प्रमाण पत्र भी मांगा गया। नमिता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "मैंने देश के कई मंदिरों के दर्शन किए हैं, लेकिन कहीं भी मुझे इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। मेरे बेटे का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा गया है, मैं एक हिंदू हूं, लेकिन यहां के मंदिर अधिकारियों ने मेरे साथ उचित व्यवहार नहीं किया।"

अधिकारियों के साथ हुई नोकझोंक

नमिता ने बताया कि जब वह और उनके पति मंदिर में प्रवेश करने के लिए गए, तो एक अधिकारी ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने उनसे पूछा कि क्या वे हिंदू हैं और फिर उनसे इसका प्रमाण मांगा। नमिता ने इस बात पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया कि उन्हें और उनके परिवार को अपने धर्म और आस्था को साबित करने के लिए प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए अत्यंत अपमानजनक और पीड़ादायक अनुभव था।

नमिता ने मीडिया से बातचीत में कहा, “यह सर्वविदित है कि मैं एक हिंदू परिवार में जन्मी हूं। मेरी शादी तिरुपति में हुई थी और मेरे बेटे का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर रखा गया है। इसके बावजूद मंदिर के अधिकारी ने मुझसे प्रमाण पत्र मांगा, जो कि मेरे लिए एक अविश्वसनीय और अपमानजनक अनुभव था। यह पहली बार हुआ है जब मैंने किसी मंदिर में प्रवेश के लिए इस तरह के अपमान का सामना किया।”

मंदिर प्रशासन का पक्ष

मंदिर के वरिष्ठ अधिकारी ने नमिता के आरोपों को खारिज करते हुए अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि नमिता और उनके पति मास्क पहने हुए थे, जिसके चलते उन्हें पहचानने में कठिनाई हुई। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने नमिता और उनके पति से केवल यह पूछने का प्रयास किया था कि क्या वे हिंदू हैं, क्योंकि मंदिर में केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों को ही प्रवेश की अनुमति है।

अधिकारी ने आगे बताया, "हमने केवल परंपरा के अनुसार उनसे सवाल किया। उनके स्पष्टीकरण के बाद उनके माथे पर कुमकुम लगाया गया और फिर उन्हें मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई।" अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल मंदिर की परंपराओं का पालन करना था और किसी भी प्रकार का अपमान करना नहीं था।

नमिता की प्रतिक्रिया

नमिता ने इस घटना के बारे में आगे कहा कि उन्हें अपनी आस्था साबित करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई। उन्होंने इसे उनके धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन माना और इस बात पर जोर दिया कि किसी भी व्यक्ति को उसकी आस्था को लेकर इस तरह के सवालों का सामना नहीं करना चाहिए। नमिता ने कहा, "मैंने हमेशा से अपने धर्म का पालन किया है और मेरी आस्था पर सवाल उठाना मेरे लिए बेहद अपमानजनक था।"

भाजपा का समर्थन

भाजपा के तमिलनाडु इकाई ने नमिता का समर्थन किया और इस घटना को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि इस तरह की घटनाएं हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अपमानजनक हैं और मंदिर प्रशासन को अपने नियमों और परंपराओं पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, "किसी भी व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश करने के लिए अपने धर्म का प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। यह एक निंदनीय घटना है और हम इस पर कड़ी आपत्ति जताते हैं।"

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। कुछ लोगों ने मंदिर प्रशासन की कार्रवाई का समर्थन करते हुए इसे परंपराओं का पालन बताया, जबकि अन्य ने नमिता के साथ हुई इस घटना को अपमानजनक और अनुचित करार दिया। ट्विटर पर हैशटैग #SupportNamitha और #TempleEntry विवादित मुद्दे बन गए, जहां लोग अपने-अपने विचार साझा कर रहे हैं।

मंदिर प्रवेश परंपराओं पर सवाल

यह घटना एक बार फिर से मंदिरों में प्रवेश से संबंधित परंपराओं और नियमों पर सवाल खड़े करती है। तमिलनाडु के मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर की तरह कई मंदिरों में केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों को ही प्रवेश की अनुमति है, और इसके लिए कई बार उन्हें अपने धर्म का प्रमाण देने के लिए भी कहा जाता है। हालांकि, यह घटना इस बात पर जोर देती है कि आस्था एक व्यक्तिगत मामला है और इसे प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

भविष्य के लिए दिशा-निर्देश

इस घटना के बाद, उम्मीद की जा रही है कि मंदिर प्रशासन अपने नियमों और प्रक्रियाओं पर पुनर्विचार करेगा ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। मंदिरों को चाहिए कि वे अपने अनुयायियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें और उन्हें उनकी आस्था के बारे में सवालों का सामना न करना पड़े।

 धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे

नमिता के साथ मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में हुई इस घटना ने न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि मंदिर प्रशासन को अपने अनुयायियों के साथ व्यवहार में अधिक सतर्क और संवेदनशील होने की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि हर व्यक्ति को उसकी आस्था और धार्मिक विश्वासों के प्रति सम्मान मिले, और धार्मिक स्थलों पर किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।

इस घटना के बाद यह भी जरूरी हो जाता है कि धार्मिक स्थलों पर प्रवेश के नियमों और परंपराओं की पुन: समीक्षा की जाए ताकि कोई भी व्यक्ति अपने धर्म को लेकर अपमानित महसूस न करे। मंदिरों को अपनी परंपराओं को बनाए रखते हुए भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी की धार्मिक आस्था का उल्लंघन न करें।

Post a Comment

0 Comments

Close Menu