रिश्वत का आरोपी DM 3 दिन के रिमांड पर, बैंक खातों और अन्य प्रॉपट्री की भी होगी जांच

 हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के डिवीजनल मैनेजर पर रिश्वतखोरी का आरोप: बैंक खातों और संपत्तियों की होगी जांच


सिरमौर, हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड के डिवीजनल मैनेजर (डीएम) अश्वनी कुमार वर्मा को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने हाल ही में रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। इस घटना ने राज्य भर में सनसनी फैला दी है और सरकारी कर्मचारियों के बीच अनुशासन और ईमानदारी के महत्व पर सवाल उठाए हैं। इस मामले में आरोपी डीएम को सिरमौर जिले के नाहन स्थित कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।

रिश्वतखोरी का मामला:

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब वन विकास निगम के एक ठेकेदार ने डीएम अश्वनी कुमार वर्मा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, ठेकेदार के 67 लाख रुपये के बकाया बिलों को पास करने के लिए डीएम वर्मा ने 2 फीसदी कमीशन की मांग की थी। यह राशि ठेकेदार के लिए बहुत बड़ी थी, और डीएम द्वारा बिल पास न करने की धमकी ने ठेकेदार को मजबूर कर दिया कि वह इस अवैध मांग को पूरा करने के लिए तैयार हो जाए। हालांकि, ठेकेदार ने भ्रष्टाचार के इस कृत्य को उजागर करने का साहसिक निर्णय लिया और इस संबंध में विजिलेंस नाहन से संपर्क किया।

विजिलेंस की जालसाजी और गिरफ्तारी:

शिकायत के आधार पर, विजिलेंस की टीम ने डीएम वर्मा को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। योजनानुसार, शिकायतकर्ता ठेकेदार ने डीएम को 50 हजार रुपये की पहली किस्त दी, जो कि कमीशन की मांग की गई राशि का एक हिस्सा था। जैसे ही डीएम वर्मा ने यह रिश्वत ली, विजिलेंस की टीम ने उन्हें मौके पर ही रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी राज्य के सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश है और यह दिखाती है कि कानून के हाथ भ्रष्टाचारियों तक पहुंचने में सक्षम हैं।

कोर्ट की कार्रवाई:

शनिवार को डीएम अश्वनी कुमार वर्मा को नाहन कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। पुलिस रिमांड में भेजे जाने के बाद, डीएम वर्मा का निलंबन भी तय माना जा रहा है। इस बात की संभावना जताई जा रही है कि सोमवार को वन विकास निगम द्वारा उनके निलंबन के आदेश जारी कर दिए जाएंगे। पुलिस रिमांड के दौरान, विजिलेंस की टीम डीएम वर्मा के बैंक खातों और अन्य प्रॉपर्टी की गहन जांच करेगी। इस जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या उन्होंने भ्रष्ट तरीकों से कोई और संपत्ति अर्जित की है या नहीं।

विजिलेंस की प्रतिक्रिया:

स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो की एसपी अंजुम आरा ने इस मामले में जानकारी देते हुए कहा कि "आरोपी डिवीजनल मैनेजर अश्वनी कुमार वर्मा को अदालत से 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। विजिलेंस की टीम आरोपी के बैंक खातों व अन्य प्रॉपर्टी की जांच करेगी। मामले में गहनता से जांच की जा रही है।” एसपी अंजुम आरा ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में विजिलेंस की टीम पूरी सतर्कता के साथ काम कर रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

वन विकास निगम की प्रतिक्रिया:

वन विकास निगम के अधिकारियों ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह घटना संस्था की छवि को धूमिल करती है और सरकारी कर्मचारियों के आचरण पर सवाल खड़े करती है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डीएम वर्मा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उनके निलंबन के आदेश जल्द ही जारी किए जाएंगे। अधिकारी ने यह भी बताया कि निगम भ्रष्टाचार के मामलों को बहुत गंभीरता से लेता है और इस तरह की गतिविधियों में लिप्त किसी भी कर्मचारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बैंक खातों और प्रॉपर्टी की जांच:

डीएम वर्मा के खिलाफ रिश्वतखोरी के इस मामले में विजिलेंस की टीम अब उनके बैंक खातों और प्रॉपर्टी की जांच करेगी। इस जांच का मकसद यह पता लगाना है कि क्या डीएम वर्मा ने अपने पद का दुरुपयोग कर अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की है या नहीं। विजिलेंस की टीम यह भी जांच करेगी कि क्या उनके पास कोई बेनामी संपत्ति है, जिसे उन्होंने अपने या अपने परिवार के नाम पर रखा हो। अगर जांच में ऐसे किसी अवैध संपत्ति का पता चलता है, तो उसे जब्त किया जाएगा और संबंधित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

आगे की कार्रवाई:

डीएम अश्वनी कुमार वर्मा के खिलाफ इस मामले में आगे की कार्रवाई जारी है। विजिलेंस की टीम द्वारा की जा रही जांच के नतीजों के आधार पर उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले ने हिमाचल प्रदेश के सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नई बहस को जन्म दिया है और आम जनता के बीच सरकारी अधिकारियों के आचरण पर विश्वास को कमजोर किया है।

इस घटना के बाद, राज्य के सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी की मांग और भी प्रबल हो गई है। जनता अब सरकारी अधिकारियों से यह उम्मीद करती है कि वे अपने पद का दुरुपयोग नहीं करेंगे और कानून का पालन करेंगे। इस मामले से यह भी स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जनता की भागीदारी और सजगता कितनी महत्वपूर्ण है।

सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार

डीएम अश्वनी कुमार वर्मा का रिश्वतखोरी का यह मामला हिमाचल प्रदेश के सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक और उदाहरण है। यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सभी का सहयोग आवश्यक है। विजिलेंस की टीम की त्वरित और सटीक कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि कानून के हाथ लंबे हैं और कोई भी दोषी व्यक्ति कानून की पकड़ से बच नहीं सकता। इस मामले के परिणामस्वरूप, राज्य के अन्य सरकारी अधिकारियों को भी एक स्पष्ट संदेश मिला है कि भ्रष्टाचार किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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