अखंड भारत दर्पण (ABD) न्यूज पंजाब/जालंधर : दिनांक: 29/09/2024 अखिल भारतीय समता सैनिक दल (रजि.), पंजाब इकाई द्वारा ‘पूना पैक्ट’ और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के '01 अगस्त 2024 को आरक्षण' पर महत्वपूर्ण फैसले को लेकर एक सेमिनार 29 सितंबर 2024 को अंबेडकर भवन, डाॅ. अंबेडकर मार्ग, जालंधर में आयोजित किया गया। सेमिनार के मुख्य वक्ता प्रोफेसर (डॉ.) अजीत सिंह चहल, कानून विभाग, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र (हरियाणा) और सेवानिवृत्त न्यायाधीश माननीय जीके सभरवाल ने "पूना पैक्ट" और 'आरक्षण के संबंध में राज्य बनाम दविंदर सिंह पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 01 अगस्त, 2024 का निर्णय' विषयों पर बहुत विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
अखिल भारतीय समता सैनिक दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जसविंदर वरयाणा ने अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत किया। मुख्य वक्ताओं के भाषण से पहले दल की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य वरिंदर कुमार ने सेमिनार के विषयों पर अखिल भारतीय समता सैनिक दल, अंबेडकर भवन ट्रस्ट और अंबेडकर मिशन सोसाइटी की अपनी स्थिति स्पष्ट की कि उपरोक्त विषयों पर वक्ताओं या श्रोताओं के विचार व्यक्तिगत होंगे, दल, ट्रस्ट या सोसायटी की उनसे कोई सहमति नहीं होगी।
हमारा उद्देश्य सिर्फ समाज में एकता और आपसी भाईचारा कायम रखना है। प्रमुख वक्ताओं के भाषण के बाद उन्होंने श्रोताओं के सवालों का संतोषजनक जवाब दिया। अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि.) के अध्यक्ष चरण दास संधू ने अपने भाषण में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि दलित वर्गों के अधिकार सांप्रदायिक निर्णय के अनुसार दिए गए थे, वे पूना पैक्ट से कहीं अधिक प्रभावशाली थे, क्योंकि इसने दलितों को अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों के माध्यम से अपने विधानमंडलों में अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार दिया था। लेकिन यह भी सत्य है कि पूना पैक्ट ने भारत का इतिहास बदल दिया।
पूना पैक्ट के माध्यम से दलित समुदायों को इतिहास में पहली बार अपने प्रतिनिधि चुनने और भेजने का अधिकार मिला। पंजाब में 1937 के चुनावों के माध्यम से पंजाब विधान परिषद के 8 सदस्य चुने गए। बूटा मंडी, जालंधर के सेठ किशन दास कलेर इन 8 सदस्यों में से एक थे। सांप्रदायिक फैसले में दलितों को 78 सीटें मिलीं, लेकिन पूना पैक्ट के जरिए आरक्षित सीटों की संख्या 148 कर दी गई, जो बाद में 151 सीटें हो गईं, यानी 73 सीटों की बढ़ोतरी। पूना पैक्ट के माध्यम से दलितों को वोट देने का अधिकार मिला। दलितों के लिए सरकारी नौकरियों के दरवाजे बंद थे। पूना पैक्ट के माध्यम से सरकार ने नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू की जो डाॅ.अंबेडकर द्वारा 29 अक्टूबर 1942 को तत्कालीन वायसराय लिलनाथगो को दिए ज्ञापन से लोकप्रिय हुयी। पूना पैक्ट के अनुच्छेद 9 के अनुसार अनुसूचित जातियों के लिए शैक्षणिक सुविधाएं, शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षित सीटें, विदेश में विशेष शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा और छात्रों को छात्रवृत्ति देने आदि का प्रावधान शुरू किया गया। गांधीजी के नेतृत्व में पूना पैक्ट हिंदू नेताओं और डाॅ. अंबेडकर यानि दोनों नेताओं के बीच एक समझौता था। इस समझौते की शर्तों को भारत सरकार अधिनियम 1935 में शामिल किया गया जिसने इसे कानूनी मंजूरी दे दी। 1935 का अधिनियम आगे चलकर भारत के नये संविधान का आधार बना। पूना पैक्ट की सभी धाराओं को विस्तृत और प्रभावी ढंग से संविधान में शामिल किया गया। 1942 में यानी भारत की आजादी से पहले, केंद्रीय विधान सभा (संसद) में कुल 141 सदस्य थे, जिनमें से 102 निर्वाचित और 39 नामांकित सदस्य थे, कुल 141 सदस्यों में से केवल 2 सदस्य अनुसूचित जाति से थे।भारत के नए संविधान के अनुसार, संसद में 120 से 125 सदस्य होते हैं जो देश भर में आरक्षित सीटों से चुने जाते हैं। यदि भारतीय संसद में 125 दलित सदस्य मिट्टी के माधो ही बने रहें, कोई क्रांतिकारी कार्यक्रम प्रस्तुत नहीं करते तो इसमें दोष किसका है?
अखिल भारतीय समता सैनिक दल के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट कुलदीप भट्टी ने अतिथियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि 01 अगस्त, 2024 के आरक्षण को लेकर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद जिन राजनीतिक दलों या नेताओं ने दलित समाज में दरार पैदा करने की कोशिश की है, हम उनकी निंदा करते हैं और हमें हर कीमत पर आपसी भाईचारा बनाए रखना चाहिए।
मंच का संचालन दल के प्रदेश महासचिव सन्नी थापर ने बखूबी किया। इस आयोजन को अंबेडकर भवन ट्रस्ट (रजि.) और अंबेडकर मिशन सोसाइटी पंजाब (रजि.) द्वारा पूर्ण समर्थन प्राप्त था। इस मौके पर अन्य लोगों के अलावा बलदेव राज भारद्वाज, महेंद्र संधू, गौतम, मैडम कविता ढांडे, ज्योति प्रकाश, चमन लाल, हरभजन निमता, निर्मल बिनजी, चरणजीत सिंह, डॉ. संदीप मेहमी, एडवोकेट सुनील मेहमी, एम. आर. सल्हन, रोशन भारती, अजीत सिंह, मलकीत खांबरा, शाम लाल जस्सल, राम लाल दास, एडवोकेट अश्वनी दादरा, एडवोकेट मानसी सहोता, जसपाल सिंह आदि शामिल थे। यह जानकारी अखिल भारतीय समता सैनिक दल (रजि.) पंजाब इकाई के महासचिव सनी थापर ने एक प्रेस बयान के माध्यम से दी।
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