ग्राहकों का पैसा इन तीन बैंकों में कभी नहीं डुबेगा, आरबीआई की लिस्ट

 



ज्यादातर लोग बैंकों में बचत करते हैं, यानी जीवन भर की पूंजी। इससे पूरे देश के पैसे बैंकों में जमा होते हैं। लेकिन ग्राहकों पर इसका बुरा असर होता है अगर बैंक डुब जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन बैंकों का नाम बताया है जो कभी नहीं डुब सकते हैं..।

मेरी काम की चेतावनी—भारत में सर्वश्रेष्ठ तीन सबसे सुरक्षित बैंकों का क्षेत्र काफी विस्तृत हो गया है। इसके परिणामस्वरूप, बैंकों के साथ पिछले कई वर्षों में बहुत अधिक लोग जुड़ चुके हैं। Modi सरकार की जन-धन योजना के बाद से करोड़ों लोगों ने बैंक में खाते खुलवाए हैं। इससे बैंकिंग क्षेत्र में लोगों की रुचि बढ़ी है। इस देश में बैंकों में रखे पैसे को लोग बहुत सुरक्षित मानते हैं। 

बैंक एफडी, लोगों की इसी धारणा के कारण एक लोकप्रिय निवेश विकल्प बन गया है। लेकिन याद रखें कि इसका अर्थ यह नहीं है कि बैंकों में रखा धन डूब नहीं जाएगा। बल्कि बैंक भी ध्वस्त हो जाएंगे। अगर पिछले वर्ष की बात करें तो बता दें कि अमेरिका में सिस्टम से महत्वपूर्ण घरेलू बैंकों में से चार बैंक 2023 में डूब गए। भारत का बैंकिंग सिस्टम मजबूत होने से ऐसी कोई आशंका नहीं दिखाई देती। लेकिन आपको बता दें कि भारत में तीन बैंक हैं जो कभी नहीं डूबेंगे और सरकार उन्हें डूबने नहीं देगी। क्योंकि इन बैंकों में ग्राहकों का पैसा और देश की अर्थव्यवस्था दोनों हैं।

हम कह सकते हैं कि इन बैंकों में रखा धन फिलहाल किसी भी तरह का खतरा नहीं है। आरबीआई के अनुसार, ये सरकारी और निजी बैंक भारत के सबसे सुरक्षित बैंकों में हैं। भारतीय स्टेट बैंक, ICICI बैंक और HDFC Bank देश के सबसे सुरक्षित बैंक हैं, जिनके डूबने की संभावना बिल्कुल नहीं है, भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है। इन तीनों बैंकों को D-SIB (डोमेस्टिक सिस्टमेटिकली इम्पॉर्टेंट बैंक) का दर्जा प्राप्त है। इसका अर्थ है कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए इन बैंकों का डूबना सरकार कतई बर्दाश् त नहीं कर सकती। इनके डूबने से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

D-SIB बैंक क्या हैं?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) इस सूची में शामिल बैंकों पर कड़ी निगरानी रखता है। वित्तीय तंत्र को गिरने से बचाना इसका लक्ष्य है। 2015 से हर अगस्त में इस श्रेणी में शामिल होने वाले प्रत्येक बैंक का नाम रिजर्व बैंक जारी करता है। केंद्रीय बैंक हर बैंक को Systematic Importance Scores (SIC) देता है, जिसके आधार पर बैंकों को छांटा जाता है। बैंकों को इस श्रेणी में रखा जाता है जो इतने बड़े हैं कि असफल होने का खतरा नहीं उठा सकते (भारतीय बैंकों का सर्वश्रेष्ठ 2024) यानी टू बिग टू फेल। इसका अर्थ है कि सरकार भी किसी संकट में इन्हें संभालने में मदद कर सकती है।

D-SIB का जन्म कैसे हुआ?

याद रखना चाहिए कि 2008 की आर्थिक मंदी के बाद बैंकों को D-SIB घोषित करने का प्रणाली शुरू हुई। तब बहुत से देशों के बड़े बैंक डूब गए, जो लंबे समय तक आर्थिक संकट में डाल दिया। 2015 से, भारतीय रिज़र्व बैंक हर साल D-SIB की सूची निकालता है। 2015 और 2016 में D-SIB केवल SBI और ICICI बैंक थे। 2017 से, HDFC भी इस लिस्ट में है। RBI कड़े नियमों से सुनिश्चित करता है कि D-SIB वाले बैंक हर तरह की आर्थिक आपातकाल के लिए तैयार हैं।

D-SIB को बैंक के आधार पर पांच अलग-अलग बकेट्स में रखा गया है। यदि बकेट वन सबसे कम इम्पॉर्टेंट बैंक है तो बकेट फाइव सबसे ज्यादा है। SBI अभी बकेट थ्री पर है, जबकि HDFC और ICICI बैंक अभी बकेट वन पर हैं।



D-SIB को कुछ विशिष्ट उपायों को पूरा करना होगा:

भारतीय रिजर्व बैंक डी-सिब बैंकों पर कड़ी निगरानी रखता है। इन बैकों को बाकी बैंकों से अधिक कैपिटल बफर रखना होगा, ताकि वे किसी भी बड़ी आपातकालीन परिस्थिति या घाटा होने पर भी इससे निपट सकें। ऐसे बैंकों को कैपिटल बफर के अलावा कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) कैपिटल नामक एक एडिशनल फंड भी रखना होगा। SBI को रिस्क वेटेट एसेट (RWA) का 0.60 प्रतिशत CET1 कैपिटल के तौर पर रखना चाहिए, वहीं ICICI और HDFC बैंक्स को 0.20 प्रतिशत एडिशनल CET1 के तौर पर रखना चाहिए, RBI की नवीनतम गाइडलाइन के अनुसार।






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