महाकुंभ मेला एप पर मिलेगी घाटों की लोकेशन साइनबोर्ड व डिजिटल तकनीक से सुविधाजनक होगा अनुभव, श्रद्धालुओं को भटकना नहीं पड़ेगा

महाकुंभ मेला एप पर मिलेगी घाटों की लोकेशन

साइनबोर्ड व डिजिटल तकनीक से सुविधाजनक होगा अनुभव, श्रद्धालुओं को भटकना नहीं पड़ेगा


प्रतापगढ़ 01 नवंबर 2024

मयंक शेखर मिश्रा जिला संवाददाता

अखंड भारत दर्पण न्यूज प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश

महाकुंभ 2025 की स्तर पर जारी है, महाकुंभ  में होने वाले इस 40 से 45 करोड़ भाग लेने की संभावना है। ऐसे मेला प्राधिकरण ने श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा और देने के उद्देश्य से 'महाकुंभ मेला 2025' एप लॉन्च किया है। 

इस एप पर घाटों और मंदिरों की लोकेशन के साथ-साथ प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों का विवरण भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को नियत स्थान पर पहुंचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

श्रद्धालु अब अपने मोबाइल पर 'महाकुंभ मेला 2025' एप का उपयोग कर घाटों और धार्मिक स्थलों की सही लोकेशन प्राप्त कर सकते हैं। 

एप को डाउनलोड और ओपन करने पर इसके होमपेज पर 'प्लान योर पिलग्रिमेज' सेक्शन में श्रद्धालु 'गेट डायरेक्शन टू घाट' विकल्प का चयन कर सकते हैं। इस फीचर से श्रद्धालुओं को प्रयागराज के सात रिसर्च और योजनाबद्ध व्यवस्थाएं महाकुंभ मेला का घाट, सुचित करने के लिए आईआईएम सहित कई प्रमुख संस्थान द्वारा रिसर्च की गई है। 

इस रिसर्च के आधार पर मेला क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन और बाकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं बनाई गई है। प्राधिकरण ने ब्रद्धालुओं से अपील की है कि ये संगम तट पर अधिक भीड़ एकत्रित होने से बचे और अन्य प्रमुख घाटों पर स्नान के बाद अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करें। प्रमुख घाटों जैसे दशाश्वमेध किला घाट, रसूलाबाद नौकायन घाट, महेवा घाट, सरस्वती घाट और ज्ञान गंगा घाट का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। 

मेला प्राधिकरण की सुविधाजनक पहल : 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में प्रयागराज का दौरा करते हुए मेला प्रशासन की वेबसाइट और एप का उद्घाटन किया था। इसके साथ ही सभी प्रमुख घाटों और मार्गों पर साइनबोर्ड्स और डिजिटल मार्गदर्शन का भी इंतजाम किया गया है। गूगल मैप के माध्यम से लोकेशन लिंक जोड़ने के साइनबोर्ड्स की मदद से श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के अपने गंतव्य तक साथ-साथ पहुंच सकेंगे। 

सौंदर्यीकरण और आध्यात्मिक विरासत का संरक्षण: 

योगी सरकार प्रयागराज के घाटों और धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण का कार्य भी कर रही है। दशाश्वमेध और किला घाट जैसे प्रमुख स्थलों पर व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ धार्मिक आस्था के प्रति श्रद्धालुओं की संपूर्ण जानकारी भी दी जा रही है। प्रयागराज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के इस आयोजन को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। यूनेस्को द्वारा कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो भारतीय संस्कृति की विशिष्टता को दर्शाता है। 

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