सरकार ने जीएसटी से जुड़े सभी पुराने नियमों को हटा दिया है। कारोबारियों को बस बकाए टैक्स देना होगा। यदि किसी कारोबारी को इस स्कीम के तहत जीएसटी संबंधित कोई भी डिमांड पोर्टल पर दिखता है, तो वह सिर्फ टैक्स की राशि को जमा करके जुर्माने व ब्याज दोनों से छूट पा सकता है।
न्यू दिल्ली सरकार, आयकर की तरह, जीएसटी विवादों को दूर करने की लगातार कोशिश कर रही है ताकि कारोबारियों को राहत मिल सके। इस प्रयास के परिणामस्वरूप, सरकार ने जीएसटी से जुड़े सभी पुराने नियमों को हटाने का निर्णय लिया है। कारोबारियों को बस बकाए टैक्स देना होगा। बकाया टैक्सों को अगले वर्ष 31 मार्च तक भरने का समय दिया गया है। बकाया जीएसटी भुगतान करने पर उन्हें ब्याज और जुर्माने से पूरी तरह छूट मिलेगी।
कैसे ब्याज और जुर्माने से छूट मिलेगी?
GST विशेषज्ञ और चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा ने बताया कि अगर किसी कारोबारी को जीएसटी पोर्टल पर कोई जीएसटी नियम दिखता है, तो वह सिर्फ टैक्स की राशि को जमा करके जुर्माने और ब्याज दोनों से छुटकारा पा सकता है।
मान लीजिए किसी कारोबारी ने 2018-19 से बकाया टैक्स चुकता नहीं किया है, तो उसे ब्याज भी देना होगा। देर से भरने पर भी दंड मिलेगा। लेकिन अगले वर्ष 31 मार्च तक बकाए गए टैक्स को भरने पर कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना होगा। लेकिन अगर कारोबारी ने इस बकाए टैक्स को अदालत में चुनौती दी है, तो उसे वापस लेना होगा।
इस निर्णय को दिसंबर में जीएसटी काउंसिल की बैठक में मंजूरी मिली थी। इस माह भी इसकी सूचना दी गई है। आयकर से जुड़े पुराने मतभेदों को दूर करने के लिए सरकार ने विवादों से प्रेरित योजना प्रस्तुत की है। जीएसटी विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले वर्ष सरकार ने कारोबारियों को जीएसटी संबंधित इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) देकर बहुत राहत दी थी।
कारोबारियों के आईटीसी जीएसटी रिटर्न भरने में देरी करते हैं। पिछले वर्ष, सरकार ने कारोबारियों को 2017-18 से लेकर 2020-2021 तक के आईटीसी क्लेम के लिए पुराने जीएसटी रिटर्न भरने का अवसर दिया था।
सरकार का नरम रुख
जीएसटी विवादों से जुड़े वकील पीसी अग्रवाल ने कहा कि सरकार की नीति अब लगातार बदलती जा रही है। अगर किसी कारोबारी पर जीएसटी का बकाया है, तो सरकार से अनुरोध करने पर उन्हें आसानी से टैक्स जमा करने की मोहलत मिलती है। गलत रिटर्न को फिर से भरने की भी अनुमति दी गई है। इस तरह की सुविधा नहीं थी जब जीएसटी प्रणाली 2017 के जुलाई में लागू हुई थी।
व्यापारी को टैक्स की राशि के हिसाब से सजा देने का भी प्रविधान है, हालांकि सरकार के बकाए पर कोई जवाब या बहस नहीं है।इस साल से जीएसटी अपीलेट ट्रिब्यूनल भी शुरू हो जाएगा। ट्रिब्यूनल का काम राज्यों की तरफ से सदस्यों की नियुक्ति में देरी से प्रभावित हो रहा है। 44 ट्रिब्यूनल देश भर में बनाए जाना चाहिए। एक ट्रिब्यूनल चार लोगों से बना होगा।News source
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