19वीं सदी में निर्मित ऐतिहासिक घंटाघर अब फिर से सही समय दर्शाएगा, जिसे मंडी के अंतिम राजा ने बनवाया था।
मंडी शहर के केंद्र में स्थित घंटाघर, जिसे इस क्षेत्र की धड़कन माना जाता है, में लगी सुइयां जल्द ही पुनः अपनी लय में घूमते हुए समय का संकेत देंगी। पिछले कुछ समय से यह घड़ी ठप पड़ी थी, लेकिन अब नगर निगम इसके मरम्मत कार्य को प्रारंभ करने जा रहा है।
यह घंटाघर मंडी शहर की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है। आज लोकल 18 की टीम आपको इंदिरा मार्केट में स्थित इस घंटाघर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी। इसे 19वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था और इसकी वास्तुकला एक अद्वितीय मिश्रण प्रस्तुत करती है, जिसमें यूरोपीय और भारतीय शैलियों का समावेश है। इसकी सफेद रंग की ऊंची मीनार और चारों दिशाओं में स्थित घड़ियां शहरवासियों को समय बताने का कार्य करती हैं।
मंडी के अंतिम राजा जोगिंद्र सेन द्वारा स्थापित घंटाघर का निर्माण एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना है। यह घंटाघर 28 फरवरी 1939 को तत्कालीन मिलिटरी एडवायजर इन चीफ सर आर्थर एम मिल्ज द्वारा उद्घाटित किया गया था। मंडी शहर के प्रमुख आकर्षणों में से एक, यह घंटाघर न केवल वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और इतिहास का भी प्रतीक है।
अब इस घंटाघर की नहीं घूमती सुइयां , जल्द होगा ठीक
हालांकि, इस प्रतिष्ठित घंटाघर की घड़ी की सुइयां कुछ समय से स्थिर हैं और समय नहीं बता रही हैं। लेकिन अब नगर निगम ने इस समस्या का समाधान करने का निर्णय लिया है, जिससे जल्द ही यह घड़ी फिर से अपनी पुरानी लय में चलने लगेगी। यह मरम्मत कार्य शहरवासियों के लिए एक सुखद समाचार है, क्योंकि यह घंटाघर मंडी की पहचान और सांस्कृतिक धरोहर का एक अभिन्न हिस्सा है।
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