केन्द्र को बर्बाद करने के बाद अब बिहार के पीछे पड़ा है पीके ।

 


बिहार के जमालपुर से पारो शैवलिनी की खास रपट               बिहार में चुनावी माहौल  मौसम की तरह पूर्ण रूप से गरम है।एक तरफ पटना के गांधी मैदान में बिहार के जमुई निवासी इन्जीनियर आई पी गुप्ता ने तेरह अप्रैल को तेरह लाख पान समाज के लोगों को एकजुट होकर अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिए बुलाया।जबकि गांधी मैदान की केपेसिटी ही सात से आठ लाख लोगों की है।इसमें कोई दो राय नहीं कि गुप्ता की ललकार पर पान समाज के लोगों ने गांधी मैदान की जमीन को अपनी संख्या से पाट दिया।ये वही आई पी गुप्ता हैं जो कभी राजद के नाम पर एमपी का चुनाव लड़ने के लिए खड़े थे,और जब राजद ने उनसे किनारा कर लिया था तब दूसरी बार उन्होंने लोजपा का दामन थाम कर एम एल ए के लिए उस समय खड़े हुए जब रामविलास पासवान जीवित थे।यहां भी उन्हें एकबार फिर से मुंह की खानी पड़ी थी।इसबार उन्हें कांग्रेस पर भरोसा था। लेकिन,समय रहते  उन्हें ऐसा लगा कि अगर इसबार भी कांग्रेस ने उनके साथ छल किया तो वो फिर एकबार हाशिये पर आ जायेंगे।अब गुप्ता को ऐसा क्यों लगा,यह तो स्वयं वो ही जाने। लेकिन,इसबार उन्होंने अपने आत्मा की सुनी और गांधी मैदान के मंच से अपार पान समाज के लोगों के सामने एक नयी पार्टी भारतीय इन्कलाब पार्टी की घोषणा कर दी और बगैर किसी बड़ी पार्टी के सपोर्ट बिना अपने दम पर चुनाव लड़ने की बात कर दी।             

    

 दूसरी तरफ,केन्द्र के मोदी सरकार को बर्बाद करने के बाद पी के यानि प्रशान्त किशोर जन सुराज पार्टी की आड़ में बिहार की राजनीति में अपनी भूमिका का निर्वाह करते हुए बिहार में बदलाव का बिगुल फूंक रहे हैं।हालांकि पी के यानि प्रशान्त किशोर गुप्ता जी की तरह भीड़ जमा नहीं कर पा रहे हैं हैं।शायद,प्रशान्त किशोर की कूटनीति को बिहार की जनता भलीभांति समझ रही है।पीके की बात तो नहीं करूंगा।मगर,इन्जीनियर साहब ने बिल्कुल सही निर्णय लिया है।तब है कि पान समाज ने तो अपनी एकजुटता तेरह अप्रैल को दिखा दिया है। बस,जरूरत है तो पान के तथाकथित नेताओं को एकजुट होकर सामने आने की। अगर ऐसा होता है तो पान समाज का ये दूसरा लाल होगा जो बिना किसी बड़े पार्टी के सपोर्ट बिना अपने दम पर एक सच्चा पान विधायक बिहार को देगा जो केवल पान के लिए नहीं,गरीब-गुरबा की आवाज़ बनकर बिहार विधानसभा में एक शेर की तरह दहाड़ता नजर आयेगा।ठीक उसी तरह जिस तरह तांती का एक शेर मुकुन्द राम तांती दहाड़ा करते थे।

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